Never Tell a Lie Story : सुनैना जैसे ही अपने स्कूल की क्लास में पढ़ाने पहुंची उसने देखा क्लास खाली है। गांव का छोटा सा स्कूल था। लेकिन आज क्या हुआ बच्चे कहां गये।
सुनैना बाहर आई वह गेट के पास गई। आस पास भी कोई बच्चा नहीं था। वह पीछे मैदान में गई वहां भी कोई बच्चा नहीं था। आखिर सब बच्चे कहां गये। यही सोचती हुई वह वापस जाने लगी।
अभी स्कूल के गेट से बाहर निकली ही थी, कि रामप्रसाद उस स्कूल का चपरासी मिल गया। वह उसे देखते ही चौंक गया – ‘‘अरे मेडम आप?’’
सुनैना ने कहा – ‘‘पहले यह बताओ कि सारे बच्चें कहां हैं और तुम स्कूल को खुला छोड़ कर कहां घूम रहे हो।’’
रामप्रसाद घबरा गया वह बोला – ‘‘मेडम आपकी तबियत बहुत खराब थी। इसलिये मैं तो आपको देखने अस्पताल गया था।’’
सुनैना को अब और ज्याद गुस्सा आ गया वह बोली – ‘‘किसने कहा तुमसे कि मेरी तबियत खराब है? मैं यहां बच्चों का इंतजार कर रही हूं।’’
रामप्रसाद बोला – ‘‘मेडम वो वरुण ने कहा था। जब बच्चों ने सुना तो वे सब अपने अपने घर चले गये। मैं आपको देखने अस्पताल चला गया।’’
सुनैना बोली -‘‘तुम्हें वरुण का घर पता है। चलो मेरे साथ।’’
दोंनो वरुण के घर पहुंच जाते हैं। वरुण घर के अंदर सो रहा था। वहां पहुंच कर सुनैना ने उसकी मां से बात की – ‘‘देखिये आपको बच्चा हद से ज्याद झूठ बोलता है। वह भी ऐसे कि सब विश्वास कर लेते हैं। कभी कहता है मेरी मां मुझसे घर का काम करवाती है। कभी मेरे पापा मुझे मारते हैं। आज तो उसने हद कर दी मेरी बीमारी की खबर फैला कर स्कूल की छुट्टी करवा दी।’’
सुनीता जी ने कहा – ‘‘हे भगवान मैंने तो कभी इससे घर का काम नहीं करवाया और इसके पिता तो इसे बहुत प्यार करते हैं। उन्हीं के लाड़ प्यार से ये बिगड़ गया है। आप रुकिये मैं अभी उसे लेकर आती हूं।’’
सुनीता वरुण को देखने घर के अंदर गईं, लेकिन यह क्या वह तो सारी बात सुनकर पिछले दरवाजे से भाग गया था।
सुनीता जी ने आकर बताया कि वह भाग गया है, तो सुनैना ने कहा – ‘‘आप अपने पति के साथ उसे लेकर कल स्कूल आईये वहीं बात करेंगे।’’
अगले दिन दोंनो वरुण को साथ लेकर स्कूल पहुंच जाते हैं। सुनैना उनसे कहती है – ‘‘देखिये हम इसे अपने स्कूल में नहीं रख सकते। मैं इसका नाम काट रही हूं। आप इसे कहीं और पढ़ा लीजिये।’’
भजनलाल जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा – ‘‘मेडम ऐसा मत कीजिये। यहां आस पास कोई भी स्कूल नहीं है। मैं आगे से इसकी गारंटी लेता हूं यह कभी झूठ नहीं बोलेगा।’’
सुनैना ने कहा – ‘‘ठीक है इस बार इसे एक मौका दे देती हूं। लेकिन अगर इसने फिर से कोई शरारत की तो मैं आपसे बात करे बगैर इसे स्कूल से निकल दूंगी।’’
भजनलाल, सुनीता और वरुण को लेकर घर आ जाते हैं और वरुण से कहते हैं – ‘‘बेटा अगर आज के बाद तूने झूठ बोला तो तेरा मेरा रिश्ता खत्म समझ।’’
वरुण के उपर इन बातों का कोई असर नहीं होता वह अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं देता। अगले दिन से वह स्कूल जाने लगता है।
कुछ दिन तक तो वह अपने आपको रोक कर रखता है। लेकिन उसे झूठ बोलने की आदत थी। लोगों को परेशान करने में उसे बहुत मजा आता था।
एक दिन वह रात के समय छत पर लेटा था। आसमान बिल्कुल साफ था। तारे चमक रहे थे। वरुण कल क्या झूठ बोले। किसे बेवकूफ बनाये इसी बारे में सोच रहा था।
तभी उसे एक ख्याल आया आसमान में एक तारा टूट रहा था। उसने मांगा कि उसका झूठ कभी पकड़ा न जाये वह सच हो जाये।
सुबह उठते ही वह स्कूल जाने के लिये तैयार हो रहा था। रात की बात उसे याद नहीं थी। तैयार होकर वह स्कूल जाने लगा तो उसकी मां सुनीता ने कहा – ‘‘बेटा नहा कर स्कूल जाना चाहिये था।’’
यह सुनकर वरुण बोला – ‘‘मां तुम्हें पता नहीं आज सुबह तुम्हारे उठने से पहले मैं कुएं पर गया था, लेकिन वहां कुआ सूख गया है। उसमें पानी नहीं है।’’
सुनीता परेशान हो गई – ‘‘हे भगवान वह तो गांव में अकेला कुआं है। गांव वाले तो प्यासे मर जायेंगे।’’
वरुण अपनी हसी छुपाता हुआ स्कूल की ओर चल दिया। रास्ते में उसने देखा कुएं के पास भीड़ लगी थी। वरुण ने उधर नहीं देखा और सीधा स्कूल पहुंच गया।
कुछ देर पढ़ाई करने के बाद वरुण को प्यास लगी वह स्कूल में रखे चार मटकों में से पानी पीने गया। लेकिन वे खाली थे।
वरुण बोला – ‘‘रामप्रसाद जी ये मटके खाली क्यों हैं। मुझे प्यास लग रही है। तब रामप्रसाद ने कहा – ‘‘पता नहीं किसकी नजर लग गई गांव को गांव का कुआ सूख गया है।’’
यह सुनकर वरुण के हाथ पैर फूल गये। वह दौड़ कर कुएं पर पहुंचा। कुआ सूखा पड़ा था। गांव के लोग उसके आस पास खड़े थे। वरुण को भी प्यास लग रही थी। तभी उसे याद आया कि उसने टूटते तारे को देख कर झूठ को सच बनाने की बात कही थी। वो सच हो गई।
वरुण रोता हुआ घर पहुंचा उसने अपनी मां सुनीता को सारी बात बताई। सुनीता ने यह सुनकर कहा – ‘‘मूर्ख तूने अपने साथ साथ पूरे गांव के लिये संकट खड़ा कर दिया अब गांव के लोग उनके बच्चे सब प्यासे मर जायेंगे। पानी का दूसरा कुआ यहां से कई किलोमीटर दूर है।’’
वरुण ने कहा मां मैं एक और झूठ बोल देता हूं। क्या पता इससे पानी आ जाये। उसने कहा – ‘‘कुए में तो बहुत पानी है।’’
यह कहकर सुनीता को लेकर वह कुए पर पहुंचा। लेकिन वह अभी भी सूखा था।
सुनीता ने कहा – ‘‘तेरे एक ही बार झूठ को सच करने के लिये वह तारा टूटा था अब वह काम नहीं करेगा।’’
वरुण रोने लगा। पूरे गांव में यह बात फैल गई। सभी वरुण और उसके माता पिता को कोसने लगे।
वरुण के माता पिता बहुत परेशान हो गये। रात होने लगी थी। वरुण और उसके माता पिता वहीं कुए के पास बैठे थे। उसके पिता को बहुत प्यास लग रही थी। वे तड़पने लगे।
वरुण रोने लगा – ‘‘भगवान मेरे झूठ को झूठ बना दो मैं अब कभी झूठ नहीं बोलूंगा। मेरे पिता को बचा लो।’’
तभी एक और तारा टूट गया। वरुण ने देखा कुए में से आवाज आ रही थी। उसने देखा उसमें पानी भर रहा था। वह पानी उपर तक आ गया था। वरुण ने पानी निकाला और अपने पिता को दिया।
उसके बाद वरुण ने कहा – ‘‘मैं कसम खाता हूं आज के बाद कभी झूठ नहीं बोलूंगा।’’
वरुण के माता पिता सभी गांव वालों को बुला लाये। पूरा गांव बहुत खुश हुआ। वरुण की झूठ बोलने की आदत छुट गई थी।
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