बेटी की जिद्द | Rich Girl Story

Rich Girl Story
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Rich Girl Story : कोमल, प्रियदर्शन जी की एकलौती बच्ची जिसे वो बहुत लाड़ प्यार से पाल रहे थे। कोमल सात साल की थी, लेकिन उसके पिता उसे अभी केवल दो साल की समझते थे।

प्रियदर्शन जी का बहुत बड़ा कारोबार था। शहर के बीचो बीच आलीशान कोठी। कई नौकर उनके घर की देखभाल करते थे। कई बड़ी बड़ी गाड़ियां। पैसों की कोई कमी नहीं थी।

सुबह कोमल सो रही थी। तभी उसकी मम्मी कविता ने उसे उठाया। कोमल जल्दी से अपने पापा से मिलने आ रही थी। क्योंकि पापा चले जाते हैं फिर रात को देर से आते हैं।

वह सीढ़ियां उतर ही रही थी। तभी उसने देखा उसके पापा मैंनेजर राधेश्याम को डाट रहे थे – ‘‘राधेश्याम जी आपको कितनी बार कहा है कि मुझे काम में लापरवाही नहीं चाहिये लेकिन आप ठीक से काम ही नहीं कर रहे हैं ऐसा है तो आपको नौकरी से निकाल देता हूं। आपके जैसे बहुत से मैंनेजर लाईन लगा कर खड़े हो जायेंगे।’’

राधेश्याम जी की आंखो से आंसू छलक रहे थे उन्होंने गिड़गिड़ाते हुए कहा – ‘‘सर मेरा बेटा बहुत बीमार था। इसी कारण हॉस्पिटल जाना पड़ा मुझे काम से मत निकालिये आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।’’

कोमल सीढ़ियों पर खड़े-खड़े सब सुन रही थी। थोड़ी देर बात करने के बाद राधेश्याम जी चले जाते हैं। कोमल अपने पापा के पास आ जाती है। उसे देखकर प्रियदर्शन जी बहुत प्यार से कहते हैं -‘‘मेरा बेटा आ गया। आज तो बहुत जल्दी उठ गया। क्या बात है बेटी कुछ उदास सी लग रही हों किसी ने कुछ कहा क्या?’’

यह सुनकर कोमल ने मुस्कुराते हुए कहा – ‘‘नहीं पापा किसी ने कुछ नहीं कहा है। बस आप वो राधेश्याम अंकल को डांट रहे थे। मुझे अच्छा नहीं लगा। बेचारे रो रहे थे।’’

प्रियदर्शन जी ने कहा – ‘‘बेटा तुम इन लोगों को नहीं जानती हों। ये लोग कोई न कोई बहाना बनाते रहते हैं। आगे से मैं ध्यान रखूंगा कि तुम्हारे सामने ये सब न हो।’’

प्रियदर्शन जी बातें कर ही रहे थे तभी कविताजी ने आकर कहा – ‘‘चलो आपको ऑफिस के लिये देर हो रही होगी। कोमल को भी तैयार होकर स्कूल जाना है।’’

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कुछ देर में कोमल के पापा चले जाते हैं। कोमल भी तैयार होकर स्कूल चल देती है। स्कूल में भी उसका मन नहीं लगता। घर आकर वो अपनी मम्मी को सारी बात बताती है – ‘‘मम्मी हम पैसे वालें हैं तो क्या सब हमारे नौकर हैं।’’

कविता जी ने कहा – ‘‘नहीं बेटा ऐसा नहीं है। तुम ये सब मत सोचो।’’

रात को कविता जी ने प्रियदर्शन जी से बात की और उन्हें सब बताया। वो बोले – ‘‘मैं कोशिश करूंगा कि आगे से किसी को भी घर पर ना बुलाउं।’’

कुछ दिन बाद कोमल का जन्मदिन था। कोमल ने स्कूल की कुछ सहेलियों को पार्टी में बुलाया था। उनमें से एक बहुत गरीब घर की लड़की पायल भी थी। उसके पिता चौकीदार थे। पहले तो उसने मना कर दिया। लेकिन कोमल के जिद करने पर वह आने के लिये तैयार हो गये।

दोंनो बाप-बेटी तैयार होकर कोमल के घर पहुंच जाते हैं। कोमल, पायल को देख कर बहुत खुश होती है। लेकिन उसके माता पिता पायल और उसके पिता को देख कर बहुत गुस्सा हो जाते हैं प्रियदर्शन जी कहते हैं – ‘‘बेटा ये कैसे लोगों से दोस्ती कर रखी है। इन्हें यहां से जाने के लिये कहा नहीं तो मैं भी नौकरों से कहकर इन्हें बाहर करवा देता हूं।’’

कोमल बोली – ‘‘क्या हुआ पापा पायल मेरी सबसे अच्छी दोस्त है।’’

कविता जी कहती हैं – ‘‘बेटा दोस्ती बराबर वालों में की जाती है। ये हमारे लायक नहीं हैं।

इनकी बातें सुनकर पायल और उसके पिता वापस चले जाते हैं।

कोमल को ये सब बहुत बुरा लगता है। वह किसी से बात नहीं करती। अगले दिन से वह खाना पीना सब छोड़ देती है। शाम तक उसकी तबियत खराब होने लगती है।

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उसके माता पिता परेशान हो जाते हैं। वे कोमल को बहुत मनाने की कोशिश करते हैं लेकिन कोमल नहीं मानती। वे डॉक्टर को भी बुलाते हैं। डॉक्टर कुछ दवाईयां देता है। लेकिन कोमल दवा भी नहीं खाती।

इसी तरह दो दिन बीत जाते हैं। कविता जी का रो रो कर बुरा हाल हो जाता है। कोमल बेहोश सी होने लगती है।

अपनी बच्ची की ऐसी हालत देख कर प्रियदर्शन जी बहुत परेशान हो जाते हैं। बड़े से बड़े डॉक्टर भी जबाब दे देते हैं।

कविताजी बहुत मुश्किल से कोमल से बात करती हैं कोमल उन्हें बस इतना ही कहती है – ‘‘मम्मी मैं गरीब होना चाहती हूं। जिससे किसी गरीब का दिल न दुखा पाउं।’’

यह सुनकर उसके मम्मी-पापा को गहरा धक्का लगता है। वे समझ जाते हैं कि उनका गरीबों से भेदभाव ही उनकी बेटी के लिये जानलेवा रोग बन गया है।

प्रियदर्शन जी अपनी बेटी से कहते हैं – ‘‘बेटी आज के बाद मैं किसी का अपमान नहीं करूंगा।’’ कविता जी भी उसे समझाती रहीं।

प्रियदर्शन जी उसे छोड़ कर स्कूल पहुंच गये। वहां प्रिंसिपल को सारी बात बताई उसके बाद वे पायल को लेकर उसके घर गये। प्रियदर्शन जी ने कहा – ‘‘भाई जी मुझे माफ कर दो मैंने उस दिन आपका अपमान किया था। मेरी बेटी उसी दिन से खाना पीना छोड़ कर बीमार पड़ी है। मुझे पर एक एहसान कर दो मेरे साथ चलो।’’

पायल के पिता पायल को साथ लेकर उनके घर पहुंच गये। पायल ने कोमल से कहा – ‘‘देख मैं आ गई तेरे पापा मुझे लाये हैं और अब वे कभी गुस्सा नहीं करेंगे।’’

प्रियदर्शन जी ने कहा – ‘‘बेटा अब तो कुछ खा ले देख मैंने अपना घमंड छोड़ दिया है। अब मैं अपनी सारी दौलत गरीबों में बांट दूंगा। तू भी अपनी जिद्द छोड़ दे।’’

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कोमल ने हां में सर हिलाया। उसके बाद डॉक्टर ने कोमल को जूस पिलाया। फिर कुछ खाने के लिये दिया।

प्रियदर्शन जी ने पायल के पिता को अपने पास ही में एक घर बनवा कर दे दिया।

उस दिन के बाद से उनको जितना भी फायदा होता। बस अपने खर्चे लायक रख कर सब दान कर देते थे।

बेटी की जिद्द ने एक पिता को जिन्दगी का सबक सिखा दिया।

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Image Source : Playground

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Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.