#1 सरकस का हाथी | Panchatantra Hathi ki Kahani
#2 आम का बाग | Hindi Kahani Aam Ka Bagh
#3 गिलहरी और जादुई तलाब | Hindi Kahani of Squirrel
#4 मदन हलवाई | Emotional Hindi Moral Kahani
#5 दोस्ती की कीमत | Kids Hindi Story Friendship
#6 पानी की प्यास | Desi Kahani Thirst
#7 गांव का पीपल | Desi Kahani Ghar Vapsi
#8 धूर्त की दोस्ती | Panchatantra Story of Crocodile
#9 सोने की चम्मच | Rich Boy Story in Hindi
#10 दादी का प्यार | Grandmother Moral Story Hindi
#11 पल्टूराम का मौन | Hindi Story for Kids Never Lie
#12 चींटी की टोपी | Ant Story in Hindi
#13 प्यारी बेटी और किस्मत | Hindi Kahaniya Rich Daughter
#14 सोने का पानी | Gold Hindi Kahani
#15 बन्दर की पिटाई | Bandar ki Kahani in Hindi
#16 गंगा जी की कमाई | Poor Boy Story Hindi
#17 कॉलेज का पहला दिन | True Friendship Story
#18 चांद की चांदनी | Village Girl Story for Kids
#19 मजबूरी | Little Boy Emotional Story
#20 बेटी के पैसे | Daughter Motivational Story
#21 चाचाजी की आइसक्रीम | Family Moral Story Hindi
#22 दादाजी का श्राद्ध | Sharaddh Moral Story in Hindi
#23 गुमशुदा | Missing Kids Story in Hindi
#24 आलस की कीमत | Laziness Story for Kids in Hindi
#25 घमण्डी चुहा | Rat Shoe Story for Kids in Hindi
#26 पापा का बिजनेस | Pita Ki Seekh
#27 मोटे लाला जलेबी वाले | Hindi Story of Old Shop
#28 मुखौटा | Mask Story for Kids
#29 भोलू हाथी की कार | Elephant and Car Story
#30 चांदी का पालना | Sister and Young Brother Story
#31 हीरे की कीमत | Friendship Story for Kids
#32 नन्ही परी और गरीब लकड़हारा | Fairy Tail Story for Kids
#33 गर्मी की पार्टी वाटर पार्क में | Moral Story of Rich and Poor Child
#34 चांदी की पायल | Poor Girl Demand Story
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जादूगरनी का तोता | Magic Story for Kids
#36 ठाकुर जी की सेवा | Dharmik Moral Kahani
#37 पारूल की आईस्क्रीम | Bad Habit Story for Kids
#38 नन्हा चरवाहा | Motivation Kids Story Hindi
#39 गांव की चौपाल | Story of Poor Boy
#40 बिल्लियों की शोपिंग | Cat Story in Hindi
#41 प्रिया और जादुई चिड़िया | Little Girl and The Bird
#42 चिड़िया माँ का प्यार | Panchtantra Kahaniya hindi
#43 कान्हा के संग होली | Holi Story in Hindi
#44 अम्मा जी का दर्द | Grandmother Story for Kids
#45 मगरमच्छ और सोने के सिक्के | Crocodile Story For Kids
#46 गरीब की होली | Poor Boy Story on Holi
#47 नटखट चिड़िया | Naughty Bird Story for Kids
#48 नीलम की मौसी | Family Relationship Story
#49 बिल्ली और जादुई छड़ी | Arrogant Cat Story
#50 बंटी की घर वापसी | Poor Boy Story
#51 बेटी की जिद्द | Rich Girl Story
#52 मेरे पापा को छोड़ दो | Brave Girl Story in Hindi
#53 टूटते रिश्ते | Family Relation Story for Kids
#54 बुआ जी का घर | Kahani with Moral for Kids
#55 गरीब चिड़िया बहु और अत्याचारी सास | Bird Story in Hindi for Kids
#56 शहर की हवा | Prernadayak Kahani for Kids
#57 गांव का डाकिया | Little Girl Heart Touching Story
#58 खजाने की चाबी | Kids Moral Hindi Story
#59 पैसे का घमंड | Best Kahani in Hindi
#60 जंगल का भूत | Horror Bhoot Stories For Kids
#61 गरीब की दोस्ती | Friendship Story in Hindi
#62 शेर की सवारी | Lion Story for Kids in Hindi
#63 पानी की प्यास | Children’s Hindi Story
#64 लालची बनिया | Education Story in Hindi
#65 मोर की बांसुरी | Peacock Story in Hindi
#66 बेईमान कबूतर और प्लास्टिक का घर | Birds Story in Hindi
#67 घमंडी गुलाब का फूल | Flower Story for Kids
#68 सोने की बाली | Village Story in Hindi
#69 पानी की बोतल | Bed Time Story for Kids
#70 राजकुमारी का घमंड | Princess Story for Kids
#71 बाइस्कोप की कीमत | Kahani Hindi Mai
#72 नन्हे साधु का जप | Dharmik Kahani in Hindi
#73 जादुई किताब की चोरी | Dream Story in Hindi
#74 बन्दर बना जंगल का राजा | Panchatantra Stories in Hindi
#75 सोने की मछली | Small Story for Kid
#76 चिड़िया की सीख | Chidiya Ki kahani
#77 हाथी की सूझबूझ | Elephant Story for Kids
#78 गुल्लक का जादू | Short Story in Hindi with Moral
#79 बांसुरी वाला (Motivational Hindi Kahani for Kids)
#80 चौबे जी और मूंग दाल का हलवा
#81 गुब्बारे वाला | Motivational Story for Kids
#82 चींटी और शेर की कहानी (Bedtime Story for Kids)
#83 पिता की तीन बातें (Hindi Kahani Clever Boy)
#84 सोने का मुकुट (Hindi Kids Story)
#85 कुए का मेंढक (Bacchon ki Kahani, Frog Story)
#86 चालक सियार और हिरण की दोस्ती
#87 सोने की चिड़िया | Short Story for Children
#88 कुए का भूत
#89 नानी का घर (Kids Story in Hindi)
#90 शेर और चुहे की दोस्ती (Lion and Mouse Story in Hindi)
एक जंगल में एक शेर रहता था। उस शेर का एक दोस्त था चुहा। एक बार शेर जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठ कर आराम कर रहा था। तभी उसके पैर में उस चुहे ने काट लिया।
शेर को बहुत गुस्सा आया।
शेर: तेरी मोत आई है क्या जो जंगल के राजा के पैर में काट रहा है।
चुहा: दम है तो मुझे पकड़ के दिखा। शेर चूहे के पीछे दौड़ लेता है। दौड़ते दौड़ते बहुत दूर जाने पर चुहा कहता है रुको शेर भाई।
शेर: क्यों क्या हुआ निकल गई सब हेकड़ी। मरना ही था तो मुझे इतना क्यों दौड़ाया।
चुहा: अगर में तुम्हें नहीं काटता तो तुम मेरे पीछे नहीं आते। अगर मेरे पीछे नहीं आते तो तुम यहां नहीं सर्कस में करतब दिखा रहे होते।
शेर: वो कैसे?
चुहा: वो देखो सर्कस वालों ने जाल बिछाया था।
शेर ने कुछ दूर वापस आकर देखा तो सचमुच सर्कस वाले जाल बिछा कर बैठे थे।
शेर: चुहे भाई तुमने अपनी जान जोखिम में डाल कर मेरी जान बचाई है। आज से तुम मेरे दोस्त।
चुहा: ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है। ये बात तुम किसी को नहीं बताओगे। नहीं तो जंगल के सारे जानवर तुम्हारी हसी उड़ायेंगे।
शेर: ठीक है लेकिन तुम जब भी किसी मुसीबत में हांे तो मुझे बुला लेना।
चुहा: ठीक है। अब मैं चलता हूं।
इधर शेर उन शिकारियों पर हमला कर देता है। पीछे से हुए हमले से वे डर गये और भाग गये।
शेर और चुहे की दोस्ती पक्की हो गई।
एक दिन चुहा अपने बिल में आराम कर रहा था तभी शेर ने उसे आवाज दी। शेर की आवाज सुनकर चुहा बाहर आया।
शेर: हां भई दोस्त चलो आज जंगल में घमने चलते हैं।
चुहा: चलो भाई।
दोंनो घूमने चल देते हैं। रास्ते में चुहे को एक बिल्ली नजर आती है। चुहा डर के मारे शेर के पैरों के बीच में चलने लगता है। बिल्ली भी शेर के पीछे चलने लगती है।
बिल्ली सोचती है कि शेर इसे देखेगा तो अपने पंजो से इसे दबा कर मार देगा फिर मैं इसे खा लूंगी। बिल्ली को शेर के पीछे जाता देख एक कुत्ता पीछे पीछे चल देता है। बिल्ली चुहे को खायेगी मैं बिल्ली को खा जाउंगा। यह सोच कर कुत्ता पीछे चल देता है।
कुछ और आगे जाने पर एक सियार तीनों को देखता है। तो वह सोचता है कि चलो शेर के जाने के बाद मैं इन तीनों को खा जाउंगा।
उनके कुछ दूर आगे जाने पर मगरमच्छ पीछे पीछे आने लगता है वह सोचता है अगर सियार सबको खा जायेगा तो मैं इसकी टांग पकड़ कर पानी में ले जाकर आराम से खाउंगा।
इसी तरह इनको चलता देख हाथी सोचता लगता है शेर के डर से सब उसके पीछे चल रहे हैं। मुझे भी चलना चाहिये शायद कहीं सभा होने जा रही है।
इस तरह हाथी भी पीछे चल देता है। उनके पीछे इसी तरह पूरे जंगल के जानवर चलने लगते हैं। आगे चलते चलते नदी का किनारा आता है। शेर और चुहा वहां बैठ कर विश्राम की सोचते हैं शेर पलट कर देखता है तो पूरे जंगल के जानवर उनका पीछा कर रहे थे।
शेर: अरे तुम सब हमारे पीछे क्यों आ रहे हो?
सभी जानवर अपना अपना कारण बता देते हैं।
शेर और चुहा दोंनो हसने लगते हैं।
शेर: एक चुहे को खाने के लिये इतने बड़े जानवर लाईन लगा कर चल रहे हैं। ये चुहा तो मेरा दोस्त है। खबरदार किसी ने इसकी तरफ आंख उठा कर देखा तो।
चुहा: शेर भाई रहने दीजिये मैं तो अपने बिल में ही अच्छा था।
शेर: नहीं आज से तुम कहीं भी घूमों अगर इस चुहे को कुछ हुआ तो मैं इस जंगल के सभी जानवरों को खा जाउंगा।
सभी जानवर उसकी बात सुनकर डर जाते हैं।
हाथी: लेकिन महाराज हममे से आधे जानवर तो शाकाहारी हैं। हम तो केवल इसलिये आये थे कि आप सभा करने जा रहे हैं। लेकिन आप तो इस चुहे के गुणगान कर रहे हैं।
शेर: सुनो इस नन्हे से चुहे ने मेरी जान बचाई है। इसलिये ये मेरा दोस्त है। किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिये।
शेर की बात सुनकर सभी जंगल के जानवर चुहे की तारीफ करने लगे।
इसके बाद सभी जानवरों ने मिल कर ये फैसला किया कि आज से हम सब इकट्ठे एक दूसरे की मदद करेंगे और कोई भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचायेगा।
#91 चतुर खरगोश (Rabit Story in Hindi)
एक जंगल में एक खरगोश रहता था। सर्दियों के दिन थे। खरगोश का गाजर खाने का बहुत मन था। वह गॉव की ओर चल देता है। गॉव में जाने से पहले खेतों में उसे गाजर की खुशबू आने लगती है।
वह एक गाजर के खेत में छिप कर बैठ जाता है। तभी वह देखता है कि उस खेत का मालिक किसान गाजर इकट्ठी कर रहा है। किसान सारी गाजर इकट्ठी करके घर की ओर चल देता है। खरगोश भी उसके पीछे पीछे चल देता है।
घर पहुंच कर किसान अपने छोटे से बेटे से कहता है। ‘‘बेटे ये गाजर रखी हैं मैं खेत में काम निबटा कर आता हूं तू इनका ध्यान रखना कल इन्हें शहर में बेचने जायेंगे।
खरगोश उनकी बातें सुन कर सोचता है – ‘‘आज ही गाजर चुरानी पड़ेंगी। कल तो ये इसे शहर में बेच देंगे। किसान के जाने के बाद वह धीरे धीरे गाजर के ढेर के पास पहुंच जाता है।
लेकिन वह लड़का उसे देख लेता है। लड़का एक डंडा लेकर उसे भगाने लगता है। तभी खरगोश लड़के से कहता है – भाई मैं तो तुम्हारी मदद करने आया था। मुझे गाजर का जरा भी लालच नहीं है। मेरे पास तो बहुत गाजर हैं।
लड़का उससे पूछता है – ‘‘तू कैसे मेरी मदद करने आया है?’’
तब खरगोश कहता है – ‘‘शहर में मैंने देखा है लोगा गाजर कम खाते हैं इसलिये तुम्हारी गाजर कम दाम में बिकती है। अगर तुम गाजर का हलवा बना कर बेचो तो बहुत अच्छे दाम में बिक जायेगा। चार गुना दाम मिलेंगे।’’
लड़का यह सुनकर बहुत खुश होता है – ‘‘अच्छा लेकिन मुझे तो हलवा बनाना नहीं आता।
खरगोश कहता है – ‘‘तुम क्यों चिंता करते हो इसमें से आधी गाजर मुझे दे दो मैं शाम तक हलवा बना कर दे जाउंगा। ’’
लड़का कहता है – ‘‘नहीं अगर पिताजी को पता लगा गया तो मेरी पिटाई कर देंगे।’’
खरगोश कहता है – ‘‘लेकिन अगर तुम अपने पिताजी का फायदा करोगे तो वो बहुत खुश होंगे। जब तुम्हारे पिताजी गाजर बेच रहे हों तुम उनसे छिप कर हलवा बेचते रहना बाद में जब तुम उन्हें ज्यादा पैसे दोगे तो वो बहुत खुश होंगे।’’
लड़का उसकी बातों में आ जाता है और गाजर उसे दे देता है।
खरागोश गाजर लेकर मजे से घर आ जाता है।
कुछ देर बाद किसान घर आता है तो लड़का उससे कह देता है कि एक हलवाई गाजर ले गया है और पैसे कल दे देगा।
अगले दिन किसान का बेटा खरगोश का इंतजार करता रहता है लेकिन वह नहीं आता। उसे बहुत गुस्सा आती है। शाम को जब किसान उससे पूछता है तो वह सारी बात बता देता है।
किसान कहता है – ‘‘मूर्ख कभी खरगोश भी गाजर का हलवा बना सकता है वह तुझे मूर्ख बना कर गाजर ले गया।’’
किसान अपने बेटे की पिटाई कर देता है।
शिक्षा: लालच बुरी बला।
#92 लोमड़ी की चालाकी बनी मुसीबत (Short Story for kids in Hindi)
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वह जब भी शिकार पर जाती थी। उसके पीछे चीते पड़ जाते थे और उसे शिकार छोड़ कर भागना पड़ता था।
कई बार तो उसे अपनी जान बचानी भी मुश्किल हो जाती थी। इसी सब से परेशान होकर उसने एक तरकीब सोची।
उसने अपने आपको चीता बनाने की सोची लेकिन यह हो कैसे इसी सोच विचार करते करते उसे एक उपाय सूझा।
वह बढ़ई के पास जाती है।
लोमड़ी: बढ़ई मेरी पूंछ को काट कर लकड़ी की चीते जैसी पूंछ लगा दो। नहीं तो मैं तेरे बच्चों को उठा ले जाउंगी।
बढ़ई डर के मारे लोमड़ी की पूंछ काट कर लकड़ी की पूंछ लगा देता है।
फिर वह एक डॉक्टर के पास जाती है।
लोमड़ी: मेरा मुंह चीते जैसा पिचका दे नहीं तो तेरे बच्चे उठा ले जाउंगी।
डॉक्टर उसका मुंह चीते जैसा कर देता है।
उसके बाद लोमड़ी एक पेंटर के पास जाती है।
लोमड़ी: मेरे शरीर पर चीते जैसा रंग कर दे नहीं तो मैं तेरे बच्चों को उठा ले जाउंगी।
पेंटर उसके शरीर पर चीते जैसे रंगीन चित्रकारी बना देता है।
अगले दिन वह चीतों के बीच में पहुंच जाती है। सभी चीते हैरान रह जाते हैं कि यह नया चीता तो बहुत ताकतवर है। अब वह चीतों के संग शिकार करती और मजे से चीतों के साथ बैठ कर खाती थी। कोई भी उसे पहचान नहीं पा रहा था।
इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं।
एक दिन लोमड़ी चीतों के साथ शिकार पर जाती है। तो चीते एक हिरण के पीछे भागते हैं। लोमड़ी भी उनकी नकल करके भागने लगती है। लेकिन वह चीतों जितनी नहीं भाग पाती।
इससे चीतों को कुछ शक हो जाता है। वे शाम को उससे पूछते हैं।
चीता: अरे तू आज भागा क्यों नहीं तेरे कारण शिकार हाथ से निकल गया।
लोमड़ी: आज मेरी तबियत ठीक नहीं थी कल देखना मैं अकेेले ही शिकार कर लाउंगा।
अगले दिन जब सब शिकार पर जाते हैं तभी बारिश हो जाती है। लोमड़ी का सारा रंग बह जाता है। यह देख कर चीते समझ जाते हैं वह उसके पीछे पड़ जाते हैं। इसी भाग दौड़ में उसकी लकड़ी की पूंछ भी गिर जाती है।
लोमड़ी किसी तरह जान बचा कर लोमड़ियों के झुण्ड में पहुंच जाती है।
वहां जाकर कोई उसे नहीं पहचानता।
लोमड़ी: मैं लोमड़ी हूं। मैं तो बचपन से तुम्हारे साथ रहती थी।
लोमड़ी: अरे ये पता नहीं कौन है न तो इसके हमारे जैसी पूंछ है न इसका मुंह लोमड़ी जैसा है। इसे मार मार कर भगा दो नहीं तो ये हमारे बच्चों को खा जायेगी। इसका मुंह चीते जैसा है।
यह सुनकर सारी लोमड़ी उसे मारने दौड़ पड़ती हैं।
लोमड़ी किसी तरह जान बचा कर दूर जंगल में पहुंच जाती है।
अब वह न तो अपने झुण्ड की रही न चीतों के झुण्ड की।
शिक्षा: अपनों के साथ रहने में ही भलाई है। दूसरों की नकल करने से अपने भी साथ छोड़ देते हैं।
#93 बंदर की चालाकी
Short Stories in Hindi with Moral for Kids
एक समय की बात है एक जंगल में एक बंदर रहता था। वह बंदर अपने आपको बहुत चतुर समझता था। एक दिन जंगल के राजा शेर ने जगंल के सभी जानवरों को बुलाया और कहा –
‘‘बारिश का मौसम आ रहा है आप सभी अपने अपने घरों को ठीक कर लो इस बार बारिश बहुत ज्यादा होने का अनुमान है। और जिनके पास घर या घौसला नहीं है या वे उसे ठीक करने में लाचार हैं। वे बरसात होने तक हमारे साथ रह सकते हैं। जब बारिश का मौसम खत्म हो जाये तो वे अपने घर चले जायें। हमारे महल का बहुत बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है।’’
सभी जानवर अपना अपना घर ठीक करने में लग जाते हैं।
कुछ दिनों में बारिश शुरू हो जाती है।
तभी बंदर देखता है। एक चुहा शेर की गुफा में जा रहा था।
बंदर उससे जाने का कारण पूछता है तो चुहा उसे बताता है ‘‘मेरे दांत टूट चुके हैं। मैं अपना बिल ठीक नहीं कर सकता। उसमें पानी भर जाता है। इसलिये मैं यहां रहने जा रहा हूं।’’
यह सुनकर बंद को तरकीब सूझती है। वह अपने दांतो को काला रंग लगा कर शेर के सामने पहुंच जाता है। शेर उसे भी बिना दांतो वाला जान कर अपने महल में रहने देता है।
कुछ दिन बाद शेर के सैनिक उसे बताते हैं कि कालू बंदर महल के सारे फल ख गया।
शेर को उसकी मक्कारी समझ आ जाती है वह उसे गुफा से बाहर निकाल देता है।
अब बंदर के पास न घर था न खाना वह अपनी चालाकी के कारण एक पेड़ की टहीनी पर बैठ कर रोने लगता है।
शिक्षा: झूठ बोलना कभी कभी बहुत भारी परिणाम देता है।
#94 सच्चा हिरण (Short Story in Hindi)
एक जंगल में एक हिरण बचपन से ही अपने मॉं बाप से बिछड़ जाता है। वह एक पेड़ के पास हरी घास खा रहा था।
तभी उसे एक शेर दिखाई देता है वह डर जाता है शेर उससे कहता है। ‘‘तेरे बाकी साथी कहां है और तू तो बहुत बहादुर लगता है तो मुझे देखकर भी नहीं भागा।’’
हिरण उससे कहता है ‘‘मैं अपने झुंड से बिछुड़ गया हूं आप मुझे खा लोगे तो आपका पेट कहां भर पायेगा आप मुझे अपने बुढ़ापे के लिये अपने साथ रख लो जब आप बूढ़े हो जाओगे आप शिकार न कर सकोगे तब आप मुझे खा लेना मैं जब तक इतना बड़ा हो जाउंगा कि आपकी काफी दिनांे की भूख मिटा पाउंगा।’’
तब शेर कहता है ‘‘लेकिन तब तो तू आसानी से भाग जायेगा।
हिरण कहता है – ‘‘नहीं महाराज आप विश्वास करें मैं कभी झूठ नहीं बोलता।
शेर को उसकी बात समझ में आ जाती है। वह उसे अपने घर ले आता है। उसके लिये हरी घास का इंतजाम करता है। वहां रहते रहते वह शेर की सेवा करने लगता है। शेर की गुफा को साफ रखता।
धीरे शेर बूढ़ा हो जाता है और हिरण खा पीकर दुगना हो जाता है।
एक दिन जब शेर शिकार पर नहीं जा पाता तब हिरण उससे कहता है अब आप मुझे खा लो।
यह सुनकर शेर रोने लगता है और कहता है-
तुझे मेरी गुफा में कई वर्ष हो गये इतना तो कोई अपना बेटा भी साथ नहीं देता जितना तूने दिया है अब मैं तुझे नहीं खा सकता क्योंकि मैंने तुझे अपना बेटा मान लिया है।
वह हिरण शेर को दूसरे जानवरों का बचा हुआ मांस लाकर देता जिससे उसका गुजारा होता था और दोंनो मजे से रहने लगते हैं।
शिक्षा: सच्चाई और ईमानदारी का फल अवश्य मिलता है।
#95 मूर्ख राजा (Moral Story in Hindi)
एक नगर में सूरजसिंह नाम का राजा राज करता था। राजपाठ उसे विरासत में मिला था। राजा दिन रात अपने ऐशो आराम में लगा रहता था। जिसके कारण उसके मंत्री उसका खजाना धीरे धीरे खाली कर रहे थे राजा को इसके बारे में कुछ पता नहीं था।
राजा के एक पिता के पुराने रसोइये पांडूरंग जो बहुत इमानदार थे। वे इस बात से बहुत दुखी थी कि कैसे इस नगर को बर्बाद होने से बचाया जाये।
एक दिन वे अपने घर पर इसी बात पर चिंता कर रहे थे तभी उनकी बेटी जिसका नाम सुलक्ष्मी था वह अपने पिता की परेशानी पूछ बैठी। पांडुरंग ने पूरी बात अपनी बेटी को बता दी।
सुलक्ष्मी ने अपने पिता को एक उपाय बताया। जिसे सुनकर पांडूरंग बहुत खुश हुए। अगले दिन वे राजा सूरजसिंह के सामने गये और उन्होंने कहा ‘‘महाराज आज आपके लिये जो खाना बनने वाला है। उसमें किसी भी प्रकार के मसाले नहीं होंगे’’
राजा को चटपटा खाना बहुत पसंद था। उसने कहा ‘‘पांडूरंग आप हमारे पिता के पुराने रसोइये हो इसलिये हम आपकी बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप कुछ कहेंगे। आपसे नहीं बन सकता तो हम कोई दूसरा रसोईया नियुक्त करेंगे आप जा सकते हैं।’’
तब पांडूरंग ने कहा ‘‘ठीक है महाराज लेकिन मैंने ऐसा क्यों कहा इसका कारण तो जान लीजिये। कारण यह है कि आपके राज्य में कोई भी किसान मसाले की खेती नहीं कर रहा क्योंकि फसल लगाने का खर्च ज्यादा आता है और मसाले बिकते नहीं हैं। जिसका कारण है मसालों का महंगा होना’’
राजा ने कहा ‘‘लेकिन ऐसा क्यों’’
पाडूंरंग ने जबाब दिया ‘‘महाराज हमारे राज्य में जनता को भोजन तक नहीं मिलता तो उसमें वे मसाले कहां से डालेंगे। जो भी मसाले पैदा होते वे राजमहल में चले जाते हैं। या फिर आपके मंत्रियों के घर जोकि बिना पैसे दिये मसाले ले जाते हैं। इस कारण बाजार में मसाले हैं ही नहीं और अगर हैं भी तो बहुत मंहगे हैं।’’
राजा ने कहा ‘‘लेकिन जनता इतनी गरीब क्यों हैं’’
पांडूरंग ने जबाब दिया ‘‘महाराज आपका आधा खजाना खाली हो चुका है राज महल के सभी दरबारी उसे खाली कर रहे हैं। आपका पूरा खजाना खाली होने में बहुत कम वक्त बचा है। अभी तो मसाले बंद हो रहे हैं आगे खाना भी बंद हो जायेगा।’’
राजा को अक्ल आ गई उसने कहा ‘‘पांडूरंग जी आज से आप मेरे महामंत्री और कोषाध्यक्ष रहेंगे। सभी मंत्रियों को फांसी पर लटका दीजिये।’’
यह सुनकर सभी मंत्री राजा से माफी मांगने लगे।
तब पांडूरंग ने कहा ‘‘महाराज इन्हें एक मौका दीजिये ये अपना काम सही से करें नहीं तो सजा मिलेगी’’
राजा ने पांडूरंग को सारा कार्यभार संभलवा दिया। पांडूरंग ने सारी व्यवस्था ठीक करके एक वर्ष में खजाना पहले जैसा कर दिया और जनता के हित में काम किये जिससे जनता का विश्वास राजा के प्रति बढ़ गया।
शिक्षा: एक समझदार व्यक्ति सभी को संकट से निकाल सकता है। जैसे एक रस्सी कुए में गिरे व्यक्ति को निकाल लेती है।
#96 राजा की जादूई चिड़िया (Kids Story in Hindi)
एक समय की बात है राजा कुमेरसिंह के राज्य में अकाल पड़ गया। राज्य में किसी को परेशानी न हो इसलिये राजा ने अपने खजाने खाली कर दिये और अन्य राज्यों से अनाज, सब्जियॉं मंगा कर जनता को बचाया। लेकिन इसके कारण राजकोष खाली हो गया। राजा कुमेरसिंह और उनकी रानी भानूमती बहुत चिंतित थे।
वे दोंनो अपने कुलगुरु के पास गये जो पास ही के जंगल में कुट्यिा बना कर रहते थे। राजा ने अपनी सारी परेशानी उनके सामने रखी। कुलगुरु ने कहा ‘‘मैं तुम्हें एक चिड़िया देता हूं जब तक यह तुम्हारे पास रहेगी। तुम्हारे राज्य में खुशहाली रहेगी। जो भी निर्णय लो इससे पूछ कर लेना। लेकिन यह तुम्हारे अलावा किसी ओर के सामने कुछ नहीं बोलेगी।’’
राजा और रानी दोंनो चिड़िया को लेकर चल देते हैं। तभी गुरुजी ने कहा ‘‘राजन इस चिड़िया को हमेशा खुश रखना नहीं तो तुम भी खुश नहीं रह पाओगे।’’
राजा रानी चिड़िया को राजमहल में ले आते हैं। इसके बाद राज्य से संबन्धित जो भी निर्णय लेने होते राजा अकेले में चिड़िया से पूछता और चिड़िया जो बताती उसके अनुसार निर्णय लेता था।
देखते ही देखते राज्य बहुत खुशहाल हो गया। यह देखकर राजा रानी बहुत खुश हुए लेकिन राजा को एक डर सताने लगा कि कल इस चिड़िया को कोई ले गया तो क्या होगा। यह सोचकर राजा चिड़िया को कहीं बाहर नहीं जाने देता था। उसे पिंजरे में कैद रखता था। रानी के महल में चिड़िया रहती जहां किसी को जाने नहीं दिया जाता था।
एक दिन रानी ने राजा को बताया ‘‘महाराज चिड़िया बहुत उदास है कल से उसने दाना भी नहीं चुगा है।’’
राजा ने उससे जाकर कारण पूछा लेकिन चिड़िया कुछ नहीं बोली।
अब राजा उससे राज्य के संबंधित कोई भी प्रश्न करता चिड़िया चुप रहती थी।
राजा चिड़िया को लेकर अपने कुलगुरु के आश्रम पहुंच गया।
कुलगुरु ने कहा ‘‘राजन इस नन्ही सी जान ने तुम्हारे राज्य को समृद्ध बना दिया और तुमने इसे कैदियों की तरह पिंजरे में कैद कर दिया इसकी आजादी छीन ली’’
राजा ने कहा ‘‘लेकिन महाराज मैं इसे शत्रुओं से बचाना चाह रहा था।
कुलगुरु ‘‘नहीं राजन तुम इसे खोने से डर रहे थे। क्योंकि तुम अब सही निर्णय लेने के काबिल नहीं रहे।
राजा को बात समझ में आ जाती है। वह कहता है – ‘‘गुरु जी मुझे अपनी भूल का अहसास है। मैं अब किसी चिड़िया की मदद से राज पाठ नहीं चलाउंगा अब मैं खुद निणर्य लूंगा।
यह कहकर वह वापस आकर अपने राज्य की देखभाल करने लगा।
शिक्षा: किसी भी जीव की आजादी छीन लेने से उसकी प्रतिभा नष्ट हो जाती है। जीवन में हमेशा आजाद पंछी की तरह उड़ान भरो ज्यादा चिंता, भी एक प्रकार की कैद है इससे बाहर निकल कर देखो रास्ते स्वयं नजर आने लगेंगे।
#97 कुम्हार का गधा (Hindi Kahaniya)
एक कुम्हार के पास एक गधा था। कुम्हार उससे बहुत काम लेता था। इससे गधा बहुत परेशान था। उसे कम से कम खाना मिलता था। सुबह सवेरे कुम्हार उस पर बैठ कर मिटटी लेने चला जाता एक जगह मिट्टी खोद कर उस पर लाद देता था और वह घर के लिये चल पड़ता था।
कुछ दिन बाद बरसात शुरू हो गई कुम्हार ने अपनी पत्नि से कहा ‘‘बरसात शुरू हो गई है न तो अब मिट्टी मिलेगी न अब बरतन सूखेंगे अब इस गधे का क्या करें चार महीने तक इसे खिलाना मेरे बस की बात नहीं’’
कुम्हार की पत्नि ने कहा ‘‘आप चिन्ता क्यों करते हो आप गॉव के बाजार में जाकर खड़े हो जाओ बाजार में व्यापारी आते हैं। उन्हें सामान ढोने के लिये खच्चर की जरूरत होती है आप इसे ले जाकर इससे बोझा उठवाईये इससे पैसे भी मिलेंगे और इसके खाने की चिन्ता भी नहीं करनी पड़ेगी।
कुम्हार अगले दिन बाजार में पहुंच जाता है। वहां से वह बोझा तय करके गधे पर रख देता था। खाली समय में गधा अन्य गधों के साथ खड़ा रहता था।
गधा दूसरे गधे से कहता ‘‘भाई तुम्हारा मालिक भी क्या ऐसा ही करता है मेरा तो बहुत मेहनत करवाता है।
दूसरा गधा उससे कहता है ‘‘भाई मालिक तो सभी एक से होते हैं लेकिन मैं तो अपनी बुद्धि से उसे बेवकूफ बनाता हूं। जैसे मेरे मालिक ने कल मेरी पीठ पर नमक लाद दिया और मुझे नदी के रास्ते जाना था। मैं जैसे ही नदी में उतरा मैं थोड़ी थोड़ी देर में थोड़ा नीचे हो जाता जिससे नमक पानी में घुल जाता और मेरा बोझा कम हो जाता था।’’
गधे को भी समझ आ गई। उसके मालिक ने अगले दिन उसकी पीठ पर कपड़ों के गट्ठर लाद दिये गधा जैसे ही नदी में गया उसे दूसरे गधे की बात याद आ गई वह बार बार नीचे बैठने लगा। लेकिन ये क्या जैसे ही वह नीचे बैठ कर उठा उसका गट्ठर और भारी हो गया। कपड़े पानी में भीग गये और कपड़ों में पानी भर जाने के कारण वे और भारी हो गये। गीले कपड़े देख कर कुम्हार को गुस्सा आया उसने गधे को और मारा। इस तरह गधा बहुत परेशान हो गया।
अगले दिन उसने दूसरे गधे को सारी बात बताई यह सुनकर वह हसने लगा उसने कहा ‘‘तू गधा होने के साथ साथ मूर्ख भी है।’’
यह सुनकर गधे को बहुत बुरा लगा उसने सोचा इसकी बातों में आकर पिटाई भी हुई ज्यादा बोझ भी उठाना पड़ा इससे तो ईमानदारी से काम करना ही ठीक है।
शिक्षा: मित्रों इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपना काम ईमानदारी से करना चाहिये मेहनत से घबराना नहीं चाहिये और दूसरों की सीख आंख बंद करके नहीं माननी चाहिये।
#98 गोलू का बंदर और धूर्त मगरमच्छ (Short Story for Kids)
एक गॉव में गोलू नाम का एक छोटा बच्चा था। एक दिन वह घर के बाहर खेल रहा था। उसके माता पिता काम पर गये हुए थे। तभी वहां एक बंदर आ जाता है जिसे देख कर गोलू डर जाता है।
लेकिन तभी बंदर उससे कहता है
बंदर: डरो नहीं गोलू मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगा।
गोलू: (डरते हुए) अरे तुम तो मेरी जैसी बोली बोल रहे हो।
बंदर: हॉं में तुम लोगों के बीच रहकर तुम्हारी भाषा सीख गया हूं मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूॅं। लेकिन यह बात किसी को मत बताना।
गोलू: ठीक है आज से मैं और तुम दोस्त लेकिन तुम्हें किसी ने मेरे साथ देख लिया तो डंडे से तुम्हारी पिटाई कर देंगे। इसलिये तुम मेरे घर के पीछे आ जाया करो हम वहीं खेलेंगे।
गोलू बंदर को लेकर घर के पीछे चला गया। वहां दोंनो बहुत देर तक खेलते रहे शाम के समय बंदर ने कहा।
बंदर: गोलू अब मैं जा रहा हूं तुम्हारे माता पिता आने वाले होंगे।
उसके बाद बंदर चला गया। अगले दिन से यही सिलसिला चलने लगा गोलू के माता पिता के जाने के बाद बंदर आ जाता और गोलू के साथ खेलता रहता।
शाम को जब बंदर अपने घर जाता तो उसे एक नदी को पार करना पड़ता था। वहां उसका एक दोस्त मगरमच्छ था। वह बंदर को अपनी पीठ पर बैठा कर नदी पार करवा देता था।
एक दिन मगरमच्छ ने बंदर से पूछा
मगरमच्छ: भाई तुम हर दिन सुबह कहां जाते हो?
उसके पूछने पर बंदर ने सारी बात उसे बता दी।
मगरमच्छ के मन में लालच आ गया। उसने सोचा दिन भर मछली खा खाकर परेशान हो गया हूं अगर किसी तरह वह बच्चा खाने को मिल जाये तो मजा आ जाये। यही सोच कर उसने बंदर से बात की।
मगरमच्छ: बंदर भाई किसी दिन उसे भी मेरी पीठ पर सवारी करवा दो वह भी नदी में घूमने का आनन्द ले लेगा और उससे मेरी दोस्ती भी हो जायेगी।
बंदर: ठीक है मैं उससे बात करके बताता हूॅं। लेकिन मुझे डर है कि वह तुम्हें देख कर डर न जाये।
मगरमच्छ: अरे भाई तुम उसे किसी तरह ले आओ जब वह मेरी सवारी करेगा तो उसका सारा डर निकल जायेगा।
बंदर ने यह बात गोलू को बताई पहले तो गोलू डरा लेकिन फिर बंदर के समझाने पर और नदी में घूमने के लिये वह तैयार हो गया।
अगले दिन दोपहर को बंदर गोलू को लेकर नदी के किनारे पहुंच गया।
बंदर ने मगरमच्छ को आवाज दी। थोड़ी देर में मगरमच्छ किनारे पर आ गया। बच्चे को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया।
मगरमच्छ: गोलू तुम बंदर के दोस्त और बंदर मेरा दोस्त इसलिये आज से तुम भी मेरे दोस्त हो समझे। अब जल्दि से मेरी पीठ पर बैठ जाओ मैं तुम्हें उस पार ले चलता हूं।
बंदर: ठीक है मगरमच्छ भाई हम दोंनो बैठ जाते हैं।
मगरमच्छ: अरे बंदर भाई दोंनो का भार मैं नहीं उठा पाउंगा तुम ऐसा करो गोलू को ही बिठा दो मैं इसे घुमा कर अभी लाया।
बंदर को शक हुआ उसने चालाकी से जबाब दिया।
बंदर: ठीक है अब तुुम नदी की तरफ मुंह कर लो मैं गोलू का बिठा देता हूं।
मगरमच्छ नदी का मुह जैसे ही नदी की ओर हुआ बंदर ने गोलू को पेड़ के पीछे छिपा दिया और बड़ा सा पत्थर मगर के उपर रख दिया।
बंदर: मगरमच्छ भाई गोलू बैठ गया अब तुम इसे घुमा लाओ।
मगरमच्छ खुश हो गया वह नदी के बीच में चल दिया। इधर बंदर एक पेड़ की डाल पर बैठ कर उसे देख रहा था।
तभी मगरमच्छ तेजी से पानी के नीचे जाकर पलट गया जिससे वह पत्थर नदी में गिर गया। मगरमच्छ ने देखा कि वह गोलू नहीं पत्थर था। वह तेजी से किनारे आया।
मगरमच्छ: अरे बंदर भाई आपने गोलू की जगह पत्थर रख दिया।
बंदर: लालची मगरमच्छ तू मेरी दोस्त गोलू को खाना चाहता था। इसलिये तूने यह सब किया। शर्म आनी चाहिये इतने छोटे बच्चे को खाने के बारे में तूने सोचा भी कैसे। चल भाग यहां से नहीं तो अभी पत्थर मार कर तेरी आंख फोड़ दूंगा।
मगरमच्छ समझ चुका था कि उसकी पोल खुल गई वह चुपचाप पानी में चला गया।
बंदर गोलू को लेकर घर वापस आ गया।
बंदर: गोलू भाई मुझे माफ कर दो। आज मेरे कारण तुम्हारी जान जा सकती थी।
गोलू: तुम्हारे जैसा दोस्त हो तो मुझे कोई खतरा नहीं।
इसके बाद दोंनो पक्के दोस्त बन गये। अब दोंनो साथ साथा खेलते, साथ साथ खाते थे।
शिक्षा: धूर्त की दोस्ती हमेशा खतरनाक होती है।
Image Source : playground
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