True Love with Modern Girl : ‘‘लेकिन साधना मेरी बात तो सुनो!’’ अमित बार बार साधना को पुकार रहा था, लेकिन साधना उसे अनसुना करके वहां से चली जाती है।
अमित हताश और निराश होकर वहीं बैठ जाता है। सड़के किनारे पटरी पर न जाने कितनी देर वह बैठा रहता है। सोचता रहता है। फिर किसी तरह हिम्मत जुटा कर साधना को मनाने चल देता है।
इधर साधना आंखों में आंसू लिये तेज तेज कदमों से अपने घर की ओर चल दी थी। घर पहुंच कर साधना सीधे अपने कमरे में जाकर पलंग पर लेट जाती है। तभी उसकी मम्मी शोभा जी उसके पास आती हैं – ‘‘बेटी क्या बात है बहुत परेशान लग रही है। अमित से लड़ाई हो गई क्या।’’
‘‘मम्मी उसका नाम मत लो। मैं अब उससे कभी नहीं मिलूंगी। बहुत बुरा है वो। आप जाओ इस समय मुझे किसी से बात नहीं करनी।’’ -साधना ने बोला और बगैर जबाब का इंतजार करे वह दूसरी ओर मुंह करके लेट गई।
शोभा जी बाहर ड्राईंग रूम में आकर बैठ गईं। साधना की परेशानी ने उन्हें भी परेशान कर दिया था। आखिर ऐसी क्या बात थी, जो साधना इतनी परेशान है। यही सोच कर शोभा भी इधर उधर टहलने लगती हैं। तभी डोर बेल बजती है।
शोभा जी गेट खोलती हैं तो सामने अमित खड़ा था – ‘‘आंटी जी साधना है क्या?’’
शोभा जी ने उसे ड्राईंग रूम में बिठाया और पूछा – ‘‘बेटा क्या बात हो गई वो बहुत परेशान है।’’
‘‘कुछ नहीं आंटी बस ऐसे ही गुस्सा हो गई क्या मैं उससे मिल सकता हूं।’’ शोभा जी के हां कहने पर अमित साधना के कमरे में पहुंच जाता है। अचानक अमित को देख कर साधना उठ कर बैठ जाती है और जोर से चिल्लाने लगती है – ‘‘चले जाओ यहां से आज के बाद मुझसे मिलने की कोशिश मत करना।’’
अमित बार बार साधना को मनाता रहा लेकिन वह उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी। अमित ने जाते हुए बस इतना ही कहा – ‘‘साधना आज तुम बहुत गुस्से में हो, लेकिन मेरी बात पर गौर करना मैंने कुछ गलत नहीं कहा और हां मैं आज के बाद तुमसे कभी नहीं मिलूंगा।’’
अमित के बाहर जाते ही शोभा जी फिर से साधना के कमरे में आईं और बोली – ‘‘ये क्या किया बेटी अमित कितना अच्छा है तूने उसे बेज्जत करके घर से निकाल दिया।’’
साधना कुछ नहीं बोली। वह चुपचाप रोती रही।
आखिर हुआ क्या था दरअसल अमित और साधना की मुलाकात एक बस स्टेंड पर हुई थी। अमित अपने घर जा रहा था रात का समय था। साधना भी अपने गांव के लिये बस के इंतजार में बैठी थी। बस स्टेंड पर मुश्किल से दो चार लोग होंगे। साधना बाद बार घड़ी देख रही थी। अमित उसके पास वाली बैंच पर बैठा था।
साधना अपनी जगह से उठी और अमित के पास जाकर बोली। -‘‘आपको पता है बुलंदशहर जाने वाली बस कितनी देर में आयेगी।’’
‘‘आपको बुलंदशहर जाना है?’’ – अमित ने पूछा तो साधना बोली – ‘‘हां वहां से आगे गांव में जाना है।’’
अमित ने कहा – ‘‘मेरी बात मानिये तो वापस चली जाईये। यहां बस का कुछ पता नहीं कब आयेगी। रात ज्यादा हो रही है। अगर बस आ भी गई तो रात को दो बजे आपको बुलंदशहर उतारेगी। रात में गांव कैसे जायेंगी। सुबह की बस पकड़ लेना।’’
साधना डर गई – ‘‘मेरा कोई और ठिकाना नहीं है क्या मैं यहा रुक सकती हूं।’’ अमित ये सुनकर बोला – ‘‘नहीं यहां सेफ नहीं है। आप इस शहर में किसी को नहीं जानती?’’
साधना ने डरते हुए कहा – ‘‘मैं यहां किसी के बुलाने पर नौकरी के लिये आई थी। उसने मुझसे सारे पैसे ले लिये और नौकरी भी नहीं लगवाई अब वापस जा रही हूं।’’
अमित बोला – ‘‘वैसे तो मैं आपको नहीं जानता पर अगर ऐसा है तो आप मेरे घर चलिये सुबह तक रुकियेगा और सुबह बस पकड़ लेना। घबराईये मत यहीं पास में मेरा घर है घर में मेरी मम्मी हैं। आप सुरक्षित रहेंगी।’’
साधना के पास कोई साधन नहीं था। वह अमित के घर चली गई। अगले दिन जब वह जाने लगी तो अमित ने उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा और उसे अपने ऑफिस में नौकरी की बात करने के लिये कहा।
एक दिन और साधना ने रुकने का फैसला किया। शाम को अमित आया तो उसने बताया कि उसकी कंपनी में नौकरी मिल जायेगी। साधना बहुत खुश हुई अगले दिन से वह ऑफिस जाने लगी। बाद में उसने किराये पर एक फ्लेट ले लिया और गांव से अपनी मां को भी बुला लिया।
धीरे धीरे अमित और साधना एक दूसरे को पसंद करने लगे। साधना का प्रमोशन हो गया। उसकी सैलरी भी अब बढ़ गई थी। साधना एक अच्छे अर्पाटमेंट में शिफ्ट हो गई। मॉर्डन सोसाईटी में उठना बैठना। पार्टी करना उसका रोज का काम हो गया।
इधर अमित ने वह कंपनी छोड़ दी। वह दूसरे शहर में नौकरी करने लगा। धीरे धीरे अमित और साधना में दूरी बढ़ने लगीं। अमित के दोस्त उसे बताते कि साधना किसी और लड़के के साथ घूमती है। लेकिन अमित इसकी परवाह नहीं करता।
धीरे धीरे अमित का भ्रम टूटने लगा। साधना उसका फोन नहीं उठाती थी। मैसेज का जबाब नहीं देती थी। एक दिन अमित अपनी मां से मिलने आया तो उसने साधना को बाहर मिलने के लिये बुलाया।
अमित ने साधना के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और दूसरे शहर में उसके साथ चलने के लिये कहा। साधना ने साफ मना कर दिया। अमित ने कहा – ‘‘मैंने तुम्हारे लिये नौकरी का भी इंतजाम कर लिया है। जितना पैकेज यहां मिल रहा है उससे अच्छा मिल जायेगा।’’
इसी बात को लेकर अमित और साधना में कहा सुनी हो रही थी। तभी अमित ने कहा – ‘‘साधना भूलो मत तुम आज जो कुछ भी हो मेरी वजह से हो। उस समय तुम मेरे प्यार के लिये तरसती थीं। आज मेरा फोन भी नहीं उठातीं। साफ साफ बताओ बात क्या है।’’
साधना बोली – ‘‘अमित मैं अभी शादी नहीं करना चाहती। जीवन में शादी सब कुछ नहीं होती। यहां आजादी से जीना ये सब छोड़ कर मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकती।’’
यह सुनकर अमित को गुस्सा आ गया और उसने कहा – ‘‘बात यह है कि तुम किसी और से प्यार करने लगी हों। मैं अब तुम्हें पसंद नहीं हूं। मेरे दोस्तों ने सब बता दिया है।’’
साधना को बहुत गुस्सा आया और वो अमित को उल्टा सीधा सुना कर अपने घर आ गई।
अमित साधना से बेज्जत होकर अगले ही दिन अपनी मां को लेकर वापस लौट गया। उसने साधना का नम्बर भी ब्लॉक कर दिया।
साधना अब जिस लड़के को पसंद करने लगी थी। उसकी नजर साधना के पैसों पर थी। वह किसी न किसी बहाने से साधना से पैसे मांगता रहता था। एक दिन साधना ने मना किया तो उसने साधना को कहीं मिलने बुलाया और उसे बहुत मारा। साथ उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। साधना किसी तरह जान बचा कर अपने घर पहुंची।
उस दिन उसे समझ आया कि उसने अमित के प्यार को खोकर कितनी बड़ी गलती कर दी। वह तैयार होकर अमित से मिलने के लिये चल दी। जब वह अमित के घर पहुंची तो पता चला साधना के घर से आते समय अमित कार ड्राईव कर रहा था। वह गुस्से और नफरत में ख्यालों में खोया था। उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया और वह और उसकी मां दोंनो खत्म हो गये। साधना के पैरों तले जमीन खिसक गई।
जिस अमित ने उसे सहारा दिया। वह उसी की मौत का कारण बन गई। साधना रोते हुए घर वापस आ गई। उसने अपनी मम्मी से कहा – ‘‘मम्मी गांव वापस चलो अब मैं न यहां नौकरी कर पाउंगी न शादी।’’
दोंनो गांव के लिये रवाना हो गये।
Leave a Reply
View Comments