Panchatantra story of the Elephant : हीरा कई सालों से एक सर्कस में काम कर रहा था। इन कई सालों में वह तरह तरह के करतब दिखा कर सबका मन मोह लेता था।
एक बार हीरा रिंग में साईकिल चला रहा था। अचानक साईकिल का एक पाईप टूट गया जिससे हीरा हाथी गिर गया। उसके गिरते ही स्टेज कई जगह से टूट गया और उसकी लकड़ी उसके शरीर में कई जगह चुभ गई खून निकलने लगा।
हीरो वहीं लेटा हुआ करहा रहा था। सर्कस के शो को बंद करके डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने चैक किया तो गिरने की वजह से हीरा के घुटने में काफी चोट आ गई थी।
डॉक्टर ने कहा – ‘‘यह अब कभी करतब नहीं दिखा सकेगा।’’ यह सुनकर सब घबरा गये। सर्कस के मालिक ने कहा – ‘‘डॉक्टर साहब कितना भी पैसा खर्च हो जाये। इसे किसी तरह ठीक करो नहीं तो मेरा बहुत नुकसान हो जायेगा।’’
डॉक्टर ने कहा – ‘‘अब यह घुटना टूट चुका है। कुछ दिन में ठीक तो हो जायेगा। लेकिन मुड़ेगा नहीं। करतब कैसे दिखायेगा।’’
हीरा को बहुत परेशानी हो रही थी। किसी तरह उसे उसके बाड़े में ले जाया गया वहां उसके जख्मों पर पट्टी होने लगी। हीरा कुछ ही दिनों में ठीक हो गया। एक दिन उसने खड़े होने की कोशिश की लेकिन घुटने के उपर वजन आते ही वह कराह उठा।
अब हीरा हाथी केवल एक जगह बैठा रहता था। डॉक्टर ने उसे चलने फिरने से मना किया था।
एक दिन होटल के मालिक ने एक बड़ी सी गाड़ी बुला कर उसे जंगल में छुड़वा दिया, क्योंकि वे अब उसे बैठा कर खाना नहीं खिलाना चाहते थे।
रात को उसे जंगल में छोड़ कर सब वापस चले गये। हीरा हाथी जंगल में एक पेड़ के नीचे पड़ा था। वह वहीं सो गया। सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा जंगल के कई जानवर उसके आस पास खड़े हैं।
हीरा हाथी बहुत खुश हुआ। उसने सूंड उठा कर सबको नमस्कार किया। तभी उसमें से एक सियार बोला – ‘‘तुम कौन हो और हमारे जंगल में कैसे आये?’’
हीरा हाथी ने कहा – ‘‘भाई मैं सर्कस में काम करता था। मेरे पैर में चोट लग गई। अब मैं करतब नहीं दिखा सकता। इसलिये उन लोगों ने मुझे यहां छोड़ दिया।’’
सियार ने यह सुन कर कुछ सोचा फिर बोला – ‘‘ओहो तो तुम शहर के रहने वाले हो। देखो तुम्हारा और हमारा कोई मेल नहीं है। तुम्हारे कारण हमारे जंगल का माहौल खराब हो जायेगा। हम शहर वालों से नफरत करते हैं। वहां के शिकारी कभी भी आकर हमारा शिकार करने के लिये घात लगा कर बैठ जाते हैं। इसलिये तुम हम सबसे दूर रहना। जंगल में कोई भी तुमसे दोस्ती नहीं करेगा।’’
सभी ने सियार की बात का समर्थन किया। हीरा से कोई भी बात नहीं करता था। हीरा हाथी कुछ दिन ऐसे ही पड़ा रहा। वह काफी कमजोर हो गया था। फिर एक दिन उसने खड़े होने का फैसला किया।
हीरा हाथी ने एक पेड़ की डाल को अपनी सूंड से पकड़ा और बाकी तीन पैरों पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने चोट लगे पैर को जमीन पर धीरे से रखा। हीरा हाथी को दर्द तो हो रहा था। लेकिन पहले से कम हो रहा था।
वह धीरे धीरे जाकर अपना खाना ढूंढने लगा। खाना मिलने से उसमें ताकत आने लगी, लेकिन जब भी उसे कोई जानवर दिखता वह मुंह बना कर दूसरी ओर चल देता था।
हीरा हाथी एक दिन दोपहर को बैठ कर आराम कर रहा था। तभी उसने सोचा इससे तो सर्कस में अच्छे थे। वहां सभी जानवर अपने अपने पिंजरों में रहते थे। लेकिन एक दूसरे से बात तो किया करते थे।
अगले दिन वह फिर से जंगल के बीच में एक नदी के किनारे गया। वहां कुछ जानवर पानी पी रहे थे। हीरा हाथी ने कहा – ‘‘भाई मुझसे भी दोस्ती कर लो मैं किसी का कुछ नहीं बिगाड़ूंगा।’’
तभी वहां पानी पी रहा हिरण बोला – ‘‘हम सबने फैसला किया है कि हम तुमसे दोस्ती नहीं करेंगे। फिर क्यों बार बार हमारे सामने आ जाते हो। तुम शहर वालों के चक्कर में मेरे परिवार के चार सदस्य शिकारी मार कर अपने साथ ले गये।’’
हीरा हाथी बोला – ‘‘लेकिन इसमें मेरा क्या कसूर है। मुझे भी तो जंगल से सर्कस वाले उठा कर ले गये थे। उस समय मैं बहुत छोटा था।’’
किसी ने हीरा की बात नहीं सुनी और सब इधर उधर चले गये। हीरा नदी पर पानी पीकर वापस अपनी जगह पर आ गया।
उस जंगल में सभी जानवर बहुत प्यार से रहते थे। सब एक दूसरे की बातें मानते थे। एक दिन जंगल के राजा शेरसिंह ने सबको बुलाया और कहा – ‘‘मेरे परिवार के लोगों मैं जानता हूं तुम सब मेरी बहुत इज्जत करते हो। लेकिन मैं अब बूढ़ा हो चुका हूं। इसलिये अब मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकता हूं। मुझे लगता है मैं ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाउंगा।’’
सियार ने कहा – ‘‘ये क्या कह रहे हो महाराज हम तो पूरे जंगल में आपके ही कारण निर्भय घूमते हैं। ’’
शेरसिंह ने आगे कहना शुरू किया – ‘‘देखो मैं बहुत कमजोर हूं। मुझे पता लगा है कि दूसरे जंगल का शेर इस जंगल पर कब्जा करना चाहता है। वह बहुत धूर्त है। वह तुम लोगों का शिकार करना चाहता है। वह चाहता है कि यहां आये और हर दिन एक जानवर को मार कर अपने जंगल में ले जाये। वहां के सियार और चीते सब मिल कर उसका भोजन करें। इसलिये तुम्हें अब सावधान रहना होगा।’’
यह सुनकर हिरण बोला – ‘‘महाराज हमारी रक्षा कौन करेगा।’’
शेरसिंह ने कहा – ‘‘तुम सब मिल कर रहना। क्योंकि अब हमारे जंगल में कोई भी शेर नहीं बचा है जिसे में अपनी जगह दे सकूं।’’
सभी जानवर बहुत परेशान हो गये। अगले दिन से सभी झुण्ड में निकलते थे। लेकिन एक दिन शेरसिंह मर गया। उसके मरने की खबर जब आसपास के जंगलों में पहुंची तो कई शेर उस जंगल पर कब्जा करने का प्रयास करने लगे।
एक दिन पीछे वाले जंगल से एक शेर आया और एक हिरण को गरदन से उठा कर ले गया। इससे सभी जानवर बहुत डर गये।
हीरा हाथी को भी यह बात पता लगी। वह बिना किसी को बताये जहां से पिछला जंगल शुरू होता था। वहां जाकर खड़ा हो गया। कई दिन बीत गये। हीरा हाथी वहीं खड़ा रहा। सभी जानवर उसे देख रहे थे।
एक दिन वही शेर फिर से शिकार की तलाश में जंगल में घुसने की कोशिश करने लगा।
तभी पेड़ के पीछे से हीरा हाथी निकला उसने शेर की पूंछ को अपनी सूंड में लपेटा और शेर को चारो ओर घुमा दिया। फिर एक ओर फैंक दिया। हीरा हाथी के इस काम से शेर को बहुत चोट लगी। वह करहाता हुआ वापस भाग गया।
जंगल के सभी जानवर हीरा के आस पास इकट्ठा हो गये। सियार बोला – ‘‘भाई तुमने हमारी जान बचा कर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है।’’
हीरा हाथी बोला – ‘‘एहसान कैसा आप सब मेरे घर के सदस्य हो। यह जंगल हमारा घर है। कोई भी मेरे घर में घुसने की कोशिश करेगा तो ऐसे ही मार खयेगा।’’
सियार ने कहा – ‘‘हमें माफ कर दो हमने तुम्हारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। आज से तुम हमारे राजा हो।’’
हीरा हाथी बहुत खुश हुआ वह अपनी सूंड उठा कर सबसे प्यार करने लगा।
उस दिन से जंगल में सभी उसके दोस्त थे। दूसरे जंगल वालों को जब यह बात पता लगी, तो वो कभी भी उस जंगल में घुसने की हिम्मत नहीं कर पाये।
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