#21 प्यार करने की सजा
कैसे हो सकता? अभी सचिन यही सोच रहा था, कि उसका दोस्त जोगी उसके पास आया। क्या बात है बहुत परेशान नजर आ रहा है।
‘‘कुछ नहीं यार कुछ समझ नहीं आ रहा मैंने तुझे जिस लड़की के बारे में बताया था। सुनैना नाम है उसका। वह मुझसे मिलने आने वाली थी, लेकिन मैं चार दिन से हर दिन जाकर उसका इंतजार कर रहा हूं। वह उस जगह मिलने आती ही नहीं।’’ सचिन ने परेशान होकर कहा।
जोगी बोला -‘‘अरे बस इतनी सी बात उसके घर चला जा हो सकता है कोई परेशानी हो या घरवालों को तेरे और उसके बारे में पता लग गया हो। इतना परेशान क्यों हो रहा है।’’
सचिन ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा – ‘‘भाई यही तो परेशानी है। मैं दो दिन से उसका घर ढूंढ रहा हूं। जिस घर का उसने पता बताया था, वहां पर वह नहीं रहती है। अजीब सी बात यह है, कि उस मौहल्ले में उसे कोई नहीं जानता।’’
यह सुनकर जोगी हसने लगा – ‘‘अबे तुझे उल्लू बना कर चली गई। गलत पता दे गई।’’
‘‘नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता उसकी आंखों में मैंने प्यार देखा है। वह मुझे कभी धोखा नहीं दे सकती। जरूर कोई न कोई परेशानी होगी।’’ सचिन ने विश्वास के साथ कहा।
दोंनो दोस्त बातें करते करते घर की ओर चल दिये। जोगी ने कहा – ‘‘भाई परेशान मत हो अब तो रात होने वाली है। कल से फिर उसे ढूंढने की कोशिश करते हैं।’’
सचिन रात को अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नींद उसकी आंखों से बहुत दूर थी। परेशानी में उसने सोचा कि कुछ देर छत पर घूम आता हूं। फ्रेश हवा में मूंड ठीक हो जायेगा। वह छत पर गया। चारों ओर गहरा सन्नाटा छाया हुआ था। तभी उसने उपर देखा पानी की टंकी के पास उसे किसी का साया नजर आया।
‘‘इतनी रात को कौन हो सकता है? यह सोच कर सचिन ध्यान से देखने लगा। ‘‘अरे लगता है मेरा ही वहम है। कोई नहीं है वहां।’’ सचिन पीछे मुड़ा और ग्रिल के पास जाकर खड़ा हो गया।
अब उसके कानों में किसी के रोने की आवाज आ रही थी – ‘‘कौन है वहां। कौन रो रहा है।’’ घबराहट और गुस्से से सचिन ने चिल्ला कर कहा।
फिर वह आवाज आना बंद हो गई। सचिन बैचेन हो चुका था वह बड़बड़ाने लगा – ‘‘एक तो मैं वैसे ही परेशान हूं। यहां छत पर आया था, लेकिन यहां भी चैन नहीं है।’’
वह बड़बड़ाता हुआ सीढ़ियों की ओर चल दिया। वहां पहुंच कर वह छत का दरवाजा बंद करने के लिये पलटा तभी उसने देखा छत पर एक लड़की खड़ी है। वह डर गया।
‘‘कौन हो तुम और इस वक्त यहां क्या कर रही हों।’’ सचिन की आवाज सुनकर वह लड़की रोने लगी।
‘‘अरे ये तो सुनैना है। यह इस वक्त यहां कैसे आ गई।’’ सचिन झट से छत पर पहुंच गया।
लेकिन ये क्या सुनैना का चेहरा बहुत भयानक सा लग रहा था। कम रोशनी में वह बहुत भयानक लग रही थी। उसके एक हाथ से खून बह रहा था। यह देखककर सचिन डर गया। उसने नीचे देखा तो उसके पैरों से भी खून बह रहा था।
सचिन ने देखा कि छत पर जगह जगह खून बह रहा था। आधी छत उसके खून से भर चुकी थी।
‘‘ये क्या हुआ तुझे सुनैना। किसने किया यह सब।’’ सचिन बिना कुछ सोचे समझे सुनैना से सवाल पूछ रहा था।
सुनैना बस रो रही थी। सचिन उसकी ओर बढ़ा तो उसने कहा – ‘‘रुक जाओ सचिन मेरे पास मत आना मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी। लेकिन अब हम कभी नहीं मिल पायेंगे। मैं बस एक बार तुम्हें देखना चाहती थी।’’
सुनैना की आंखों से आंसू बह रहे थे। सचिन ने पूछा – ‘‘बस एक बार ये सब कैसे हुआ सुनैना। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। मुझे बताओ क्या हुआ तुम्हें चलो मैं तुम्हें अस्पताल ले चलता हूं। बहुत खून बह रहा है।’’
सुनैना ने रोना बंद किया और बोली – ‘‘सचिन मैं जा रही हूं। मैं मर चुकी हूं। अब तुम मेरे बारे में सोचना बंद कर दो। मैं तुम्हारे प्यार के सहारे जिंदा थी, लेकिन मेरे घर वालों को यह सब पता लग गया। उन्होंने मुझे मार डाला।’’
धक् से सचिन वहीं खड़ा रह गया। उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पा रहा था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, कुछ देर बाद वह बोला – ‘‘बताओ सुनैना यह सब किसने किया मैं उसे जिंदा नहीं छोड़ूंगा।’’
सुनैना ने कहा – ‘‘सचिन मैं तुम्हें किसी परेशानी में नहीं डालना चाहती हूं। मैं जा रही हूं। तुम किसी और का साथ पकड़ लेना।’’
सचिन चिल्ला पड़ा – ‘‘क्या कह रही हो सुनैना मैं तुम्हारे अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। मैं भी जीना नहीं चाहता मैं भी मर जाना चाहता हूं।’’
सुनैना रो रही थी। सचिन बार बार उससे बात करने की कोशिश कर रहा था। कुछ देर बाद सुनैना ने कहा – ‘‘अगर ऐसा है तो जाओ सचिन छत से कूद जाओ फिर तुम मेरे साथ आ जाओगे हम साथ साथ रह सकेंगे।’’
सचिन बिना कुछ सोचे समझे तेज कदमों से चलता हुआ रेलिंग के पास पहुंच गया। वह रेलिंग पर चढ़ने लगा। एक बार उसने पीछे मुड़ कर देखा। सुनैना उसे देख कर हस रही थी।
सचिन ने वहीं से आवाज दी – ‘‘रुको सुनैना मैं भी आ रहा हूं तुम्हारे पास’’ वह रेलिंग पर चढ़ गया।
सचिन कूदने ही वाला था तभी किसी ने उसके पैरों को कस के पकड़ लिया।
तेज झटके के साथ एक आदमी ने सचिन को रेलिंग से नीचे खींच लिया। सचिन छत पर गिर गया।
सचिन ने गुस्से कहा – ‘‘अबे कौन है तू? कहां से बीच में आ गया।’’
दोंनो खड़े हुए तो देखा सामने जोगी खड़ा था। उसने सचिन के गाल पर जोर से चांटा जड़ दिया।
‘‘मैं तेरी जान बचाने आया था। नहीं तो तू अभी उस चुड़ेल का शिकार बन चुका होता।’’
सचिन ने देखा छत पर उसके माता पिता, उसका छोटा भाई सब खड़े थे। वह चिल्लाने लगा – ‘‘सुनैना कहां हो तुम मेरे पास आओ’’
जोगी ने उसका गिरेबान पकड़ा और लगभग धक्का देते हुए बोला – ‘‘वो सुनैना नहीं रजिया थी। उसे मरे पन्द्रह साल हो गये हैं। उसके प्रेमी ने उसे धोखा दिया था। उसने उसका फायदा उठा कर उसे मार दिया। तब से वो इसी तरह सुन्दर लड़कों को अपने जाल में फसाती है और उन्हें आत्महत्या करने के लिये उकसाती है।’’
‘‘नहीं ये नहीं हो सकता मेरी सुनैना ऐसा नहीं कर सकती तुझे कुछ गलतफहमी हुई है।’’ सचिन ने जोगी से अपने आप को छुड़ाते हुए कहा।
सचिन के पापा ने बीच में टोकते हुए कहा – ‘‘सचिन यह तुम्हारा सच्चा दोस्त है। जिस लड़की के प्यार में तुम पागल हो रहे थे। ये उसका पता लगाने पहुंचा। बहुत खोज करने के बाद उसे यह सब पता लगा। यह ठीक कह रहा है। इतनी रात को यह यही सब बताने यह आया था। यह हमें नीचे सारी बातें बता रहा था। तभी तुम्हारे चिल्लाने की आवाज सुन कर हम छत पर आये, तो देखा तुम अकेले बड़बड़ा रहे थे। फिर तुम कूदने चल दिये, तब इसने रोका।’’
सचिन अपना सिर पकड़ कर वहीं पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया।
‘‘भाई मुझे माफ कर दे। मैं उसके प्यार में अंधा हो गया था।’’ सचिन ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
जोगी ने उसे पकड़ कर खड़ा किया और गले लगा लिया – ‘‘चल नीचे अब वो कभी नहीं आयेगी तुझे परेशान करने।’’
सचिन सबके साथ नीचे आने लगा, लेकिन यह क्या उसके कानों में अब भी सुनैना के रोने की आवाज आ रही थी। जिसे अनदेखा करते हुए वह अपने परिवार के पास लौट गया था।
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