Saas Bahu Stories Hindi : रचना गुरुग्राम की एक एम एन सी में सीनियर पोस्ट पर काम करती थी। उसके परिवार में उसके पापा योगेश जी और मम्मी गीता थीं।
एक दिन वह ऑफिस जाने के लिये तैयार हो रही थी।
गीता जी: रचना टिफिर पैक कर दिया है। ले जाना।
रचना: ओके मम्मी, बॉय बॉय।
गीता जी: अरे रुक तो नाश्ता भी नहीं किया तूने।
रचना: नहीं मम्मी आज बहुत जरूरी मिटिंग है।
रचना ऑफिस चली जाती है।
इधर गीता जी काम खत्म करके अपनी एक सहेली को फोन करती हैं।
गीता जी: रमा तूने एक लड़के के बारे में बताया था। बात चला न मुझे अब जल्द से जल्द रचना की शादी करनी है।
रमा: लेकिन तू तो कह रही थी। कि रचना शादी के लिये अभी तैयार नहीं है।
गीता: अरे आजकल के बच्चे तो बस काम में ही लगे रहते हैं। हमें ही सोचना पड़ेगा। इनके पास तो फुर्सत ही नहीं है।
रमा: ठीक है मैं लड़के वालों से बात करके बताती हूं।
अगले दिन रमा गीता को लड़के के बारे में सारी बात बता देती है और उसका बॉयो डाटा और फोटो भी भेज देती है।
शाम को योगेश जी जब घर आते हैं तो गीता जी उन्हें सारी बात बता कर लड़के की फोटो दिखा देती हैं।
कुछ ही देर में रचना भी आ जाती है। दोंनो उससे शादी की बात करते हैं। पहले तो वह मना कर देती है। लेकिन बहुत समझाने के
बाद वह लड़के से मिलने को तैयार हो जाती है।
दो दिन बाद एक रेस्टोरेंट में दोंनो मिलने पहुंच जाते हैं।
सचिन और रचना दोंनों मिलते हैं और काफी देर तक बात करते रहते हैं।
रचना: देखो सचिन, मैं एक सीनियर पोस्ट पर हूं। एक तो मैं अपनी जॉब नहीं छोड़ सकती। दूसरे मैं घर का काम नहीं कर पाउंगी।
क्योंकि मुझे घर आकर भी ऑफिस का काम करना पड़ता है।
सचिन: मैं समझता हूं रचना हम मेड लगा लेंगे। रही बात नौकरी की तो मुझे और मेरे घर वालों को तुम्हारी नौकरी करने पर कोई
एतराज नहीं है।
दोंनो की सहमति होने पर, दोंनो परिवार एक दूसरे मिलने पहुंच जाते हैं।
योगेश जी: भाई साहब बच्चों ने तो एक दूसरे को पसंद कर ही लिया है। अब आप भी बता दीजिये।
राजेश जी: भई जब बच्चे मान गये तो भला हमें क्या एतराज है। आप अच्छा सा मुर्हुत निकलवा लीजिये।
चार महीने बाद शादी तय हो जाती है।
इधर रचना की कंपनी को बड़ा प्रोजेक्ट मिलता है। जिसकी जिम्मेदारी रचना को सौंप दी जाती है।
एक दिन रचना ऑफिस से घर आती है।
गीता जी: बेटी अब शादी में केवल बीस दिन बचे हैं तू अब ऑफिस से छुट्टी ले ले।
रचना: मां मैं तो केवल शादी में दो दिन की छुट्टी ले पाउंगी। इस समय मेरा बहुत जरूरी प्रोजेक्ट चल रहा है। अगर यह काम सही
से हो गया तो, मेरा प्रमोशन हो जायेगा।
योगेश जी: लेकिन बेटा शादी की रस्में तो सात दिन पहले शुरू हो जायेंगी।
रचना: पापा मैं इसी लिये शादी से इंकार कर रही थी। मेरे कैरियर का ये गोल्डन पीरियड चल रहा है। आप लोगों की बात मान कर मैंने शादी को हां कर दी लेकिन मैं अपने कैरियर से ध्यान नहीं हटा सकती।
गीता जी ने अपनी सहेली रमा के साथ मिल कर सारी शॉपिंग कर ली। इधर योगेश जी ने भी शादी की सारी तैयारियां कर ली थीं।
शादी से एक दिन पहले ही हल्दी, मेंहदी की रस्में की गईं।
रचना: मम्मी मेरे केवल एक हाथ में ही मेंहदी लगाना मुझे फोन भी करने हैं।
मेंहदी और हल्दी के बीच में भी रचना फोन पर ऑफिस में काम समझा रही थी।
गीता जी: अरे अब बस कर इतना क्या काम कि शादी की रस्में भी ढंग से नहीं कर रही है।
अगले दिन शादी का समय आया। बारात आ चुकी थी। रंजन और रचना दोंनो जयमाला पहने स्टेज पर बैठे थे। तभी रचना की एक
सहेली रचना के पास आई। रचना का मोबाईल उसके हाथ में था।
रचना फोन पर बात करने लगी।
रचना: क्या सर्वर डाउन हो गया। ऐसा कैसे हो सकता है कल ही हमें टेस्ट किया था।
रचना ने जल्दी से फोन काटा और रंजन से बोली। रंजन मुझे जाना पड़ेगा। मेरी कंपनी में सर्वर डाउन हो गया है।
रंजन: क्या कह रही हो रचना क्या मैं यहां स्टेज पर अकेला बैठा रहूंगा। कम से काम आज के दिन तो तुम्हें समय निकालना चाहिये।
तभी उसकी सहेली ने रचना के कान में कुछ कहा।
रचना: अच्छा रंजन लेकिन मुझे काम तो करना पड़ेगा मैं यहीं बैठ कर अपना काम निबटा लेती हूं। फिर हम फेरों के लिये चलेंगे।
रंजन: ठीक है अगर इतना ही जरूरी है तो मैं तैयार हूं।
रचना फोन पर कुछ जरूरी बात करती है।
इधर योगेश जी, गीता जी और रचना के सास ससुर कुछ समझ नहीं पा रहे थे।
योगेश जी: रंजन बेटा क्या बात है अचानक क्या हुआ।
रंजन: कुछ नही पापा जी रचना को कुछ जरूरी काम है।
गीता जी: अरे बेटी ये क्या कह रही है आज तो कम से कम काम मत कर।
तभी रचना की सहेली उसके ऑफिस के दो और लोगों के साथ वहां आ जाती है।
रचना: बस मां एक घंटे का समय दे दो।
रचनां वहीं स्टेज पर बैठ कर लेपटॉप पर काम करने लगती है। बाकी दोंनो लोग नीचे कुर्सी पर बैठे काम कर रहे थे। बीच बीच में
रचना उनका काम देख रही थी।
इसी तरह करीब तीन घंटे बीत जाते हैं।
पंडित जी: योगेश जी विवाह का मुर्हुत निकला जा रहा है। वर वधू को भेजिये।
योगेश जी: रचना अब चल बहुत परेशान हैं सब।
रचना: बस पापा कुछ देर और।
राजेश जी: समधी जी कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपकी बेटी शादी करना ही नहीं चाह रही है। इस तरह हमारी बेज्जती करने का क्या मतलब है। हम अब और इंतजार नहीं कर सकते।
रचना: माफ कीजिये अंकल जी मैंने तो पहले ही कहा था। कि मेरे लिये मेरा काम जरूरी है।
राजेश जी: चल बेटा हम चलते हैं। अब मैं यहां एक मिनट नहीं रुक सकता।
योगेश जी: नहीं समधी जी ऐसा मत कीजिये।
रंजन: पापा मैं तो रचना से ही शादी करूंगा। जो लड़की काम के लिये अपनी शादी की परवाह नहीं कर रही। वह कभी भी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटेगी।
राजेश जी चुप हो जाते हैं। कुछ ही देर में सर्वर काम करने लगता है।
उसके ऑफिस के लोग वापस चले जाते हैं।
रचना: अंकल जी मुझे माफ कर दीजिये। लेकिन अगर आज मैं ये सब नहीं करती तो मेरी कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता,शायद कंपनी बंद हो जाती। उस कंपनी में करीब तीन सौ लोग काम करते हैं। उनका क्या होता। मेरी शादी भले ही टूट जाये लेकिन
मैं उन लोगों की नौकरी जाते नहीं देख सकती।
राजेश जी: बेटी मुझे ये सब पता नहीं था। तेरे जैसी बहु पाकर हम धन्य हो गये। और हां मुझे अंकल नहीं पापा कहना सीख ले।
यह सुन सब लोग हसने लगे। रचना उन्हें देख कर शर्मा गई।
Read Also
#1 दिवाली की सफाई | Saas bahu ki Diwali ki Safai
#2 गृहस्थी की चाभी | Hindi Saas Bahu kahani
#3 सास बहु की लड़ाई | Saas Bahu ki Ladai Kahani
Leave a Reply
View Comments