शादी की तैयारी | Dowry Story Hindi

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Dowry Story Hindi : राकेश जी कुछ परेशान से इधर उधर घूम रहे थे। उन्हें परेशान देख मंजू जी ने कहा – ‘‘आप परेशान क्यों हो रहे हैं। आने दीजिये उन्हें देखते हैं क्या कहते हैं।’’

राकेश जी ने कहा – ‘‘मुझे पहले ही पता था यही होना है। पन्द्रह दिन शादी के लिये रह गये हैं कुछ समझ नहीं आ रहा। अरे तुम सन्ध्या से पूछो अमित से कोई बात हुई है क्या?’’

मंजू जी ने सन्ध्या को आवाज लगाई। साथ ही राकेश जी को समझाते हुए बोली – ‘‘आप शान्त हो जाईये सब ठीक हो जायेगा।’’

सन्ध्या जल्दी से आई – ‘‘क्या बात है मम्मी पापा इतने परेशान क्यों हैं?’’

‘‘कुछ नहीं बेटा बस तेरी कुछ अमित से बात हुई क्या?’’ मंजू जी ने जल्दी से पूछा। राकेश जी ने उन्हें घूरते हुए कहा – ‘‘बता क्यों नहीं देती उसे, सुन बेटी तुझे पता है शादी पक्की हुए तीन महीने बीत गये। उस समय तेरे होने वाले सास, ससुर और अमित से हमने साफ साफ पूछा था, कि आपकी कोई डिमांड तो नहीं है। उस समय उन्होंने कुछ नहीं बताया, लेकिन आज सुबह समधी जी का फोन आया बोले कुछ जरूरी बात करनी है मैं आपके घर आ रहा हूं। क्या अमित ने भी तुझे कुछ बताया है क्या डिमांड की है मुझे पहले से बता दे। मेरा दिल बैठा जा रहा है।’’

सन्ध्या ने कहा – ‘‘नहीं पापा अमित से इस बारे में कोई बात नहीं हुई है, और हां अगर वो ज्यादा डिमांड करें तो आप रिश्ता तोड़ देना।’’

राकेश जी बोले – ‘‘आजकल लोग खुल कर कुछ नहीं बोलते जब रिश्ता पक्का हो जाता है जब अपना मुंह फाड़ते हैं। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा पन्द्रह दिन रह गये शादी में, कार्ड बट चुके हैं। इसी मौके का फायदा उठाते हैं लड़के वाले।’’

‘‘ओहो आप दोंनो भी न कहां से कहां पहुंच जाते हो। पहले उन्हें आने दीजिये बात करेंगे। अगर हम उनकी डिमांड पूरी कर सकेंगे तो हां कर देंगे। नहीं तो मना कर देंगे।’’ मंजू जी ने समझाते हुए कहा।

तभी डोरबेल बजी सभी सहम गये। राकेश जी ने गेट खोला तो सामने उनके समधी किशोरीलाल जी खड़े थे। राकेश जी ने उनका स्वगात किया। उन्हें सोफे पर बिठाया। तभी मंजू जी पानी ले आईं।

राकेश जी ने हिचकते हुए कहा – ‘‘भाई साहब कोई काम था तो मुझे बुलवा लेते आपने क्यों कष्ट किया।’’

किशोरीलाल जी बोले – ‘‘अरे समधी जी कुछ जरूरी बात करनी थी। साथ ही सोचा बिट्यिा से मिल लेंगे।’’ यह कहकर वह हसने लगे।

उनकी हसी में फीकी हसी मिलाते हुए राकेश जी ने कहा – ‘‘बेटा सन्ध्या इधर आओ।’’

सन्ध्या ने आकर उनके पैर छुए। किशोरी लाल जी ने मिठाई, फल देते हुए कहा – ‘‘बेटी ये रख ले तेरी सास ने भिजवाये हैं।’’ सन्ध्या शर्माते हुए अन्दर चली गई लेकिन कमरे से बाहर निकलते ही, वह भी ध्यान से बातें सुनने की कोशिश करने लगी।

कुछ ही देर में मंजू जी ने नाश्ता लगा दिया चाय की चुस्की लेते हुए किशोरी लाल जी ने कहा – ‘‘वाह समधन जी चाय का जबाब नहीं। हां तो भाई साहब मुझे कुछ जरूरी बात करनी थी। आपने शादी की तैयारियां तो कर ली होंगी।’’

राकेश जी का सब्र का बांध टूट गया वो बोले – ‘‘जी भाई साहब सब तैयारियां हो गई हैं। कार्ड भी बट गये हैं। आप कुछ और चाहते हैं तो बताईये’’।

किशोरी लाल जी ने हसते हुए कहा – ‘‘हां भाई डिमांड तो है इसीलिये मुझे आना पड़ा।’’

यह सुनते ही सबके चेहरे का रंग सफेद पड़ गया। राकेश जी ने हिम्मत बटोरते हुए कहा – ‘‘जी बताईये।’’

‘‘बात ऐसी है भाई हमने आपसे कहा था, कि हमें केवल लड़की चाहिये, लेकिन आप तो जानते हैं शादी में रिश्तेदारों की नजर दहेज पर होती है, कितना सामान आया, कितना नकद मिला। उनका मुंह कभी बंद नहीं होगा। आपसे बस एक अनुरोध है, कि आप बिल्कुल भी दहेज या नकद न दें। केवल एक रुपये से शादी करेंगे।’’ किशोरी लाल जी ने गंभीर होते हुए कहा।

राकेश जी बोले – ‘‘भाई साहब वो तो ठीक है, लेकिन हमारे भी तो कुछ अरमान हैं, जो भी हमसे बन पड़ेगा करेंगे।’’

किशोरी लाल जी ने कहा – ‘‘आप अपनी बेटी दे रहे हैं मैं उन सभी रिश्तेदारों चाहें वो आपकी तरफ के हों या मेरी तरफ के उन्हें ये संदेश देना चाहता हूं, कि बिना दहेज के भी शादी हो सकती है। रही बात आपकी तो आप ये पैसा अपने बुढ़ापे के लिये संभाल कर रखिये। मैंने एक महीने पहले ही सारे दहेज का सामान बिट्यिा के लिये उसके कमरे में सेट करवा दिया है। हम और आप ही तो मिलकर इस दहेज की बीमारी को मिटायेंगे।’’

राकेश जी की आंखें नम हो गईं थी वो क्या सोच रहे थे और ये सब सुनकर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था।

तभी किशोरी लाल जी ने अपने बैग से निकाल कर दस लाख रुपये टेबल पर रख दिये। फिर उन्होंने कहा – ‘‘अमित ने सन्ध्या से पूछ लिया था, कि मैरिज होम और दावत सब मिला कर बीस लाख का खर्च आ रहा है। हम एक ही फंक्शन करेंगे और आधा खर्च हम उठायेंगे। ये पैसे आप रखिये। हम शादी के दिन सुबह ही आ जायेंगे। सारा इंजताम कर लेंगे आप बिल्कुल चिन्ता मत करना।’’

अब राकेश जी का रुकना मुश्किल था उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वो बोले – ‘‘समधी जी आप चिन्ता न करें मैंने सब इंतजाम कर लिया है आप ये पैसे रख लीजिये।’’

‘‘नहीं समधी जी आपकी बेटी की शादी है तो मेरे भी तो बेटे की शादी है। आप रखिये ये पैसे और कुछ मेरे लायक काम हो तो बताना जरूर।’’ यह कहकर वे उठ कर खड़े हो गये।

मंजू जी और सन्ध्या दोंनो की आंखों से आंसू बह रहे थे। सन्ध्या ने पैर छुए तो किशोरीलाल जी ने एक लिफाफा सन्ध्या को पकड़ा दिया। उनके जाने के बाद सन्ध्या ने लिफाफा खोला तो उसमें पांच हजार रुपये और एक खत था। उसमें लिखा था।

‘‘बेटी अपने पिता का ध्यान रखना वे बिल्कुल चिन्ता न करें। कोई परेशानी हो तो मुझे फोन कर देना।’’