शेर का अपहरण | Sher ki Kahani

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Sher ki Kahani : सुन्दरवन के जंगल में सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे। उनका राजा था शेर जिसका नाम था मंगल। सभी जानवर शेर मंगल का बहुत आदर करते थे।

मंगल किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था। वह शिकार के लिये भी दूर दूसरे जंगल में जाता था। एक रात को मंगल अपनी गुफा के बाहर सो रहा था।

जंगल के सभी जानवर सो रहे थे। तभी मंगल को खाने की खुशबू आई उसे भूख लगने लगी। उसने देखा कि उसकी गुफा से कुछ दूर मांस का बड़ा सा टुकड़ा रखा है कि ताजा था।

मंगल उस टुकड़े को उठाने के लिए तेजी से वहां गया और उसे खाने लगा। लेकिन यह क्या तभी उपर से एक लोहे का पिंजरा उसके उपर आकर गिर गया। मंगल को समझ आ गया कि यह शिकारियों की चाल है। वह दहाड़ मारता इससे पहले ही एक शिकारी ने उसे अपनी बन्दूक से बेहोशी का इंजेक्शन मार दिया।

मंगल बेहोश उस पिंजरे में पड़ा था। तभी शिकारियों ने उसे अपने बड़े से ट्रक में डाला और वहां से चल दिये। इन शिकारियों नें मंगल को शहर के एक सरकस में बेच दिया। मंगल को जब होश आया तो वह शेरों के पिंजरे में था। जहां और भी शेर थे।

मंगल ने कहा – ‘‘भाई तुम कब से यहां कैद हो?’’

एक शेर बोला – ‘‘भाई मुझे तो कई साल हो गये। अब तो इनके इशारों पर करतब दिखाने पड़ते हैं नहीं तो हमें खाना नहीं मिलता।’’

अगले दिन से मंगल को ट्रेनिंग देने के लिये एक रिंग मास्टर आया। उसके इशारों को मंगल ने मानने से इंकार कर दिया और दहाड़ कर उसे भगा दिया। इससे नाराज होकर सरकस के मालिक ने उसका खाना, पानी बंद कर दिया।

मंगल भूखा पिंजरे में पड़ा पड़ा कमजोर हो रहा था। अब उसकी आंखें बंद होने लगी थीं।

इधर जंगल में जब पता लगा कि उनके राजा शेर मंगल का अपहरण हो गया है तो सभी जानवर परेशान हो गये।

भोलू हाथी ने सबको इकट्ठा किया और कहा – ‘‘हमें अपने राजा को छुड़ा कर लाना होगा। उन्हें ढूंढना होगा।

उसकी बात सुनकर सभी जानवरों ने हां में सर हिला कर सहमति जताई।

तभी जंगल की ताई मीना लोमड़ी ने कहा – ‘‘यह बात तो ठीक है लेकिन पहले पता तो लगे वे कहां हैं और किस हाल में हैं। उन शिकारियों ने उनका शिकार कर लिया या उन्हें कहीं बेच दिया।

तभी एक हिरण आगे आया और बोला – ‘‘हां ताईजी ठीक कह रही हैं। मेरे ख्याल से ये काम तो अपना चिंटू बंदर कर सकता है क्योंकि हम तो शहर जा नहीं सकते हमारा भी शिकार हो जायेगा। बंदर को शहर में जाने से कोई परेशानी नहीं होती।’’

यह सुनकर चिंटू बंदर बोला – ‘‘आप सब तैयारी करो अपने महाराज को छुड़ाने की मैं शहर जाकर पता करता हूं कि वे कहां हैं।ं’’

चिंटू बंदर उसी समय शहर के लिये रवाना हो गया। इधर बाकी सभी जानवर इकट्ठे होकर विचार करने लगे।

भोलू हाथी ने कहा – ‘‘हम हमला रात के समय करेंगे। सबसे आगे हम हाथियों का झुण्ड रहेगा। फिर पीछे लोमड़ी और गीदड़ रहेंगे। लोग हमसे डरते हैं इसके बाद बाकी जानवर रहेंगे। कुछ जानवर जंगल में रहकर सबके घरों की रखवाली करेंगे। कहीं दूसरे जंगल वालों को पता लग गया कि हम सब शहर गये हैं तो वे यहां कब्जा न कर लें।

इधर चिंटू बंदर जब शहर पहुंचा तो रात हो चुकी थी। वह मंगल को ढूंढ रहा था। वह पहले चिड़ियाघर में गया वहां उसे मंगल नहीं मिला।

फिर वह वहां से सरकस में गया। वह धीरे धीरे शेरों के पिंजरे की ओर जा रहा था। तभी उसने देखा बाकी शेर तो इधर उधर घूम रहे हैं। लेकिन एक शेर दीवार की ओर मुंह करे लेटा हुआ है।

चिंटू बंदर एक तरफ छिप कर उन पर नजर रख रहा था। तभी एक शेर दूसरे से बात करता दिखाई दिया वह बोला – ‘‘कितना मूर्ख है ये सुंदरवन का शेर इसे लगता है यहां से जा पायेगा। हमें देखो आज तक यहां से निकल नहीं पाये। कितने दिन भूखा मरेगा। बाद में तो इसे हंटर की मार के आगे करतब दिखाने ही पड़ेंगे।’’

चिंटू बंदर ने जब देखा कि यह तो हमारे महाराज मंगल हैं तो उसकी आंखों में आंसू आ गये लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था। वह वहीं छिपा रहा।

कुछ देर बाद सभी शेर सोने चले गये तब वह चुपचाप मंगल के पास गया और बोला – ‘‘महाराज मैं हूं चिंटू बंदर सुन्दरवन से आया हूं।’’

उसकी आवाज सुनकर मंगल ने आंखें खोल कर देखा – ‘‘चिंटू भाई ये मुझे धोखे से बेहोश करके पकड़ लाये। मेरी मदद करो।’’

चिंटू बंदर बोला – ‘‘महाराज चिंता मत कीजिये सभी जानवरों ने आपको छुड़ाने का उपाय सोच लिया है मैं तो बस आपका पता लगाने आया था कि आप कहां हो। कल रात को हम यहां हमला कर देंगे और आपको छुड़ा कर ले जायेंगे।’’

रात में चिंटू बंदर जंगल वापस लौट गया। उसने जंगल में जाकर सारी बात बता दी उसकी बात सुनकर जंगल के सभी जानवर बहुत गुस्सा हो गये।

तभी भोला हाथी बोला – ‘‘भाईयों ये समय गुस्से का नहीं है। हमें होशियारी से काम लेना होगा। चुपचाप रात को हमला करेंगे। कल रात होते ही सब यहां इकट्ठा हो जाना और जैसे मैं बताया है वैसे ही करना। चिंटूं बंदर हमारे आगे आगे पेड़ों पर चलेगा जिससे किसी भी खतरे को दूर से देख सके।’’

अगले दिन रात को सभी जानवर इकट्ठा होकर शहर की ओर रवाना हुए। शहर पहुंच कर जब वे सरकस के सामने पहुंचे तो वहां के चौकीदार ने शोर मचाने के लिये जैसे ही सीटी निकाली चिंटू बंदर ने उसे झपट लिया। फिर एक गीदड़ ने उस पर हमला कर दिया और उसे बेहोश करके वे आगे बड़े।

शेरों के पिंजरे में पहुंचे तो सभी शेर इतने जानवरों को देखकर आश्चर्यचकित रह गये। भोलू हाथी ने अपनी सूंड से पिंजरे का गेट तोड़ दिया। सभी शेर बाहर आ गये। उनमें से एक बोला – ‘‘मंगल भाई हमें भी अपने साथ ले चलो हमारा कोई ठिकाना नहीं है।’’

मंगल बोला – ‘‘ठीक है लेकिन तुम मेरे जंगल के किसी भी सदस्य को नुकसान नहीं पहुंचाओगे वादा करो।’’

सभी शेरो ने वादा किया। सरकस में इतने शोर से सरकस के मालिक और सभी काम करने वाले जाग गये। रिंग मास्टर भी आ गया।

सरकस का मालिक हाथ जोड़ कर घुटनों के बल बैठ गया और बोला – ‘‘हमें माफ कर दो’’

मंगल ने कहा – ‘‘आज के बाद अगर मैंने कभी यह सरकस देखा तो इसे तहस नहस कर दूंगा आज से इस सरकस में कोई जानवर काम नहीं करेगा। तुम इंसानों को जो करतब दिखाने दिखाओ और इस रिंगमास्टर को काम से निकाल दो।’’

सरकस का मालिक हां में सर हिलाता रहा।

सभी जानवर अपनी मस्ती में अपने राजा को लेकर वापस जंगल की ओर चल दिये।

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