डायन का अधूरा प्यार | Horror Story Adhura Pyar

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Horror Story Adhura Pyar : राकेश ने फोन पर बात करते करते अचानक एक तेज चीख सुनी। वह हेलो हेलो करता रहा लेकिन दूसरी ओर से चीखने की आवाज ही आ रही थी।

राकेश ने लगभग चीखते हुए कहा – ‘‘रमा क्या बात है तुम चीख क्यों रही हों? सब ठीक तो है?’’

लेकिन तभी दूसरी ओर से किसी ने फोन काट दिया। उसके बाद राकेश लगातार फोन मिलाता रहा लेकिन फोन स्विच ऑफ आ रहा था।

राकेश अपनी पत्नी रमा से बात कर रहा था। वह अपने घर से लगभग पन्द्रह किलोमीटर दूर था। रात में उसके पास कोई साधन नहीं था, कि वह घर पहुंच सके।

आखिर क्या हुआ होगा रमा के साथ जो वह इतनी जोर से चीखी थी। यही सोच कर परेशान हो रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह अपना बैग लेकर बाहर सड़क पर आ गया।

अधेरी रात में सुनसान सड़क पर उसे कोई नहीं दिख रहा था। वह कुछ देर खड़ा रहा। शायद कोई सवारी मिल जाये, लेकिन जब कुछ न दिखा। तो वह अपने घर की ओर पैदल चल दिया।

राकेश बहुत घबराया हुआ था। फिर एक जगह रुक कर उसने दुबारा फोन मिलाया, लेकिन अभी भी फोन स्विच ऑफ था।

सुनसान सड़क पर उसे चलते हुए डर भी लग रहा था। वहां स्ट्रीट लाईट बहुत दूर थी। बाकी सड़क पर अंधेरा था, तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। राकेश ने इधर उधर देखा लेकिन वहां कोई नहीं था।

वह आगे बढ़ गया और तेज कदमों से उस स्ट्रीट लाईट की ओर चल दिया। जैसे जैसे वह आगे बढ़ रहा था। किसी औरत के रोने की आवाज उसके कानों में पड़ रही थी। वह और तेज चलने लगा। उसने पलट कर देखा लेकिन वहां कोई नहीं था।

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वह और तेज चलने लगा, लेकिन यह क्या वह जितना तेज चल रहा था। वह आवाज और तेजी से उसके कानों में आ रही थी। राकेश ने रुक कर उस आवाज को सुना तो उसके रोंगटे खड़े हो गये – ‘‘हे भगवान ये तो रमा की आवाज है वह यहां कहां है।’’

तभी रोने की आवाज बंद हो गई। राकेश को लगा यह उसका वहम है वह तेजी से आगे चलने लगा, तभी उसके कानों में रमा की आवाज आई -‘‘रुक जाओ राकेश जहां तुम जा रहे हो वहां अब कुछ नहीं है। मैं यहीं हूं तुम्हारे पास।’’

राकेश जोर से चीखा – ‘‘कहां हो तुम रमा सामने आओ, और तुम इतनी जल्दी यहां कैसे आ गईं। अभी तो तुम फोन पर बात कर रहीं थीं।’’

राकेश रुक कर चारों ओर देखने लगा तभी उसे फोन की याद आई उसने अपना फोन निकाला और उसक फ्लेश लाईट जला कर इधर उधर देखने लगा।

वह जोर से रमा रमा चिल्ला रहा था। लेकिन वहां कोई नहीं था। तभी फिर से रोने की आवाज आने लगी। राकेश को बहुत डर लग रहा था। वह तेजी से आगे चलने लगा।

कुछ दूर जाने पर उसने देखा सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे सफेद साड़ी पहने एक औरत खड़ी थी। उसका मुंह पर लंबे लंबे बाल ढके हुए थे। वह रो रही थी।

राकेश वहीं रुक गया। उसने जोर से कहा – ‘‘कौन है वहां?’’

वह औरत रो रही थी। राकेश ने उसकी आवाज पहचान ली – ‘‘अरे रमा तुम यहां कैसे?’’

राकेश उसके पास जाने लगा लेकिन अचानक वह रुक गया। राकेश को अहसास हुआ कि यह रमा नहीं हो सकती। वह वहीं खड़ा हो गया, तभी वह औरत रोते हुए बोली – ‘‘राकेश मैं अब वहां नहीं हूं जहां तुम मुझे ढूंढ रहे हो। मेरे पास आओ।’’

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राकेश अपने होश हवास खो बैठा था। वह उस औरत की ओर चल दिया। पास जाकर उसने देखा उसके हाथ बिल्कुल काले थे। राकेश ने उसके पैरों की तरफ देखने की कोशिश की लेकिन वह अंधेरे में उसके पैर नहीं देख पाया। तभी तेज हवा के झोंके से उसके चेहरे से बाल हट गये।

राकेश ने जैसे ही उसका चेहरा देखा उसकी चीख निकल गई। इस गहरे सन्नाटे में उसकी तेज चीख से पूरा वातावरण गूंज गया।

भयानक काला चहरा, लंबे दांत जिन पर खून लगा था। जैसे वह अभी किसी का खून पीकर आई हो राकेश उसे देखते ही बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। बंद होती आंखों से राकेश बस इतना ही देख पाया कि वह जोर जोर से हस रही थी।

राकेश की आंख खुली तो वह अस्पताल में बेड पर लेटा था। उसने उठने की कोशिश की लेकिन वह उठ नहीं पाया उसके बदन पर कई जगह पट्ट्यिां बंधी थी। राकेश ने देखा उसके हाथ पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है।

तभी डॉक्टर ने आकर कहा – ‘‘बहुत किस्मत वाले हो आप आपका एक्सीडेंट हुआ और आप बच गये। वैसे कैसे हुआ था आपका ऐक्सीडेंट।

राकेश ने आश्चर्य से डॉक्टर को देखा – ‘‘नहीं डॉक्टर मेरा तो कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ था। उस सड़क पर उस समय कोई नहीं था।’’

तभी एक पुलिस इंस्पेक्टर अंदर आया उसने कहा – ‘‘वहां से कुछ लोग कार से जा रहे थे वहीं तुम सड़क के किनारे खून से लथपथ पड़े थे। हमें लगा किसी ने अंधेरे में तुम्हें टक्कर मार दी।’’

राकेश ने बताया – ‘‘नहीं नहीं इंस्पेक्टर साहब ऐसा कुछ नहीं हुआ था। वो तो एक औरत सफेद साड़ी पहने मेरी पत्नी की आवाज में रो रही थी। मैं उसके पास गया तो मैंने देखा वह बहुत भयानक थी। मैं बेहोश हो गया फिर मुझे कुछ याद नहीं।’’

इंस्पेक्टर ने कहा – ‘‘ओहो तो आप भी उस डायन का शिकार हो गये। वह अक्सर लोगों को ऐसे ही अपना शिकार बनाती है और जान से मार देती है आपकी किस्मत अच्छी थी, कि आप बच गये।’’

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राकेश ने कहा – ‘‘इंस्पेक्टर साहब मेरी पत्नी का पता लगाईये कल उसका फोन आया था। फिर फोन पर उसकी चीख सुनाई दी बाद में फोन कट गया।’’

यह सुनकर इंस्पेक्टर ने कहा – ‘‘आप उनका नम्बर बताईये, और अपने घर का पता भी बताईये मैं किसी को वहां भेज कर पता करवाता हूं।’’

राकेश से पता लेकर पुलिस राकेश के घर पहुंचती है। वहां उसकी पत्नी का शव रखा था। यह देखकर पुलिस वालों ने आस पास के लोगों से पूछा तो एक ने बताया – ‘‘कल हमने इसके चीखने की आवाज सुनी थी। जब हम पहुंचे तो इसके शरीर पर कई घाव थे जिनसे खून बह रहा था। हम इसे अस्पताल ले गये। वहां इसने दम तोड़ दिया। इसका फोन भी गिर कर टूट गया अब तो इसके पति राकेश का इंतजार कर रहे हैं।’’

एक पुलिस वाले ने कहा – ‘‘इनका कोई रिश्तेदार हो तो इनका अंतिम संस्कार कर दीजिये। इनके पति का भी एक्सीडेंट हो गया है वे नहीं आ पायेंगे।’’

वहां से आकर उन्होंने इंस्पेक्टर को सारी जानकारी दी। इंस्पेक्टर ने राकेश से बात की – ‘‘राकेश तुम्हारी पत्नी ठीक है लेकिन हमने उसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताया तुम ठीक हो जाओ तब अपने घर जाकर बता देना।’’

यह कहकर इंस्पेक्टर बाहर चला गया। उसने डॉक्टर से कहा – ‘‘इसकी पत्नी मर गई लेकिन ये बात इसे मत बताना। लेकिन अचानक यह सब कैसे हुआ कुछ पता नहीं लग पा रहा।’’

डॉक्टर ने कहा – ‘‘इंस्पेक्टर साहब ऐसे कई केस मेरे पास आते रहते हैं। यहीं पास में गॉव के सरपंच जोगिन्द्र सिंह है आप उनसे बात कीजिये वे ही कुछ बतायेंगे।

अगले दिन इंस्पेक्टर, सरपंच जोगिन्द्र सिंह के घर पहुंच जाते हैं। सारी बात सुनने के बाद जोगिन्द्र सिंह ने कहा – ‘‘ऐसा कई बार हो चुका है आप शायद यहां नये आये हैं। यह एक डायन है जो लोगों को अपना शिकार बनाती है। जब वह फोन पर बात कर रहा होगा तो उसने सुन लिया होगा। वह जिसे अपना शिकार बनाती है। पहले वह उसे प्यार करने वाले को मार देती है। फिर उसे अपना शिकार बनाती है।’’

इंस्पेक्टर ने कहा – ‘‘लेकिन वह आदमी तो जिंदा है बहुत चोट लगी है उसे।’’

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जोगिन्द्र सिंह ने कहा – ‘‘किस्मत अच्छी थी जो वह बच गया। जब वह उसे मारने वाली होगी शायद तभी वहां वे लोग आ गये होंगे जो उसे अस्पताल ले गये।

कुछ दिन में राकेश चलने फिरने लायक हो गया। इंस्पेक्टर उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर उसके घर ले गये। पत्नी की मौत का पता लगते ही राकेश फूट फूट कर रोने लगा – ‘‘इंस्पेक्टर साहब आपने मुझसे झूठ बोला। मेरी रमा तो पहले ही जा चुकी थी।’’

इंस्पेक्टर ने कहा – ‘‘वह औरत जिसने तुम पर हमला किया वह एक डायन थी। मैंने उसके बारे में पता किया। उसके जब वह जिन्दा थी तो उसके प्रेमी ने उसे छोड़ दिया था। जिसके कारण उसने खुदकुशी कर ली। बाद में उसने अपने प्रेमी को भी मार डाला, तब से जब वह कहीं भी दो प्यार करने वालों के बारे में सुनती है उन्हें मार देती है। तुमसे पहले भी कई केस हो चुके हैं।’’

राकेश को गहरा सदमा लगा था। वह अब सारे दिन घर बंद करके अंदर बैठा रहता था। रात में वह उस औरत को सपने में देखता था।

एक दिन इंस्पेक्टर को पता लगा कि राकेश मर गया। जब वह वहां पहुंचा तो आस पास वालों ने बताया, कि वह रात को उस औरत के दिखने का दावा करता था। वह उससे कहता था। मुझे भी मार दे।

आज हमने देखा तो उसका घर खुला पड़ा था और उसकी लाश जमीन पर पड़ी थी।

इंस्पेक्टर और जोगिन्द्र सिंह जी दोंनो बात कर रहे थे। इंस्पेक्टर बोला – ‘‘क्या कभी इस डायन के खौंफ से यहां के लोगों को आजादी मिल पयेगी।’’

जोगिन्द्र सिंह ने कहा – ‘‘पता नहीं हम तो बस लोगों को समझाते हैं कि रात होते ही अपने घर के खिड़की दरवाजे बंद कर लो और चुपचाप सो जाओ किसी से बात मत करो क्योंकि वह अपना शिकार किसी की बातें सुनकर ही करती है।’’

आज भी उस सड़क पर चारों और सन्नाटा रहता है। मौत का सन्नाटा।

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