Panchtantra Story Snake and Monkey : मोनू बंदर पेड़ पर उछल कूद कर रहा था। तभी उसने नीचे देखा एक सांप पेड़ के नीचे बने बिल से निकल रहा था।
वह शिकार की तलाश में था। तभी मोनू को शरारत सूझी। उसने पेड़ की डाल को अपनी पूंछ से लपेटा और नीचे लटक गया। फिर वह सांप से बोला – ‘‘क्या हुआ भाई आज कोई शिकार नहीं मिली।’’
सांप ने फन उठा कर देखा उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। एक तो वह भूखा था। उपर से बन्दर उसका मजाक उड़ा रहा था। सांप बोला – ‘‘एक बार नीचे आ मेरे जहर से बच नहीं पायेगा।’’
मोनू बंन्दर ने दांत दिखा कर जोर से हसते हुए कहा – ‘‘अरे मंगलू भाई मैं तो तुम्हारे फायदे की बात कर रहा था, लेकिन चलो तुम अपने लिये खाना ढूंढो। देखो कोई चुहा मिल जाये। मैं तो चला।’’
मंगलू सांप के मन में लालच आ गया वह बोला – ‘‘अरे नहीं मोनू भाई मैं तो मजाक कर रहा था। बताओ न कैसे मेरा फायदा हो सकता है।’’
मोनू ने कहना शुरू किया – ‘‘भाई कब तक शिकार की तलाश में भागते रहोगे। मेरी बात मानों तो मैं तुम्हारे लिये ऐसा इंतजाम कर सकता हूं। कि तुम्हें अपने बिल में रहते हुए ही रोज दूध पीने को मिल जायेगा।’’
मंगलू सोच में डूब गया – ‘‘कितना अच्छा हो कि कहीं जाना भी न पड़े और दूध भी पीने को मिल जाये।’’
मोनू ने उसे देखा तो वह बोला – ‘‘क्या सोच रहे हो मंगलू भाई मेरी बात माननी है या मैं चलूं।’’
मंगलू ने उसे रोकते हुए कहा – ‘‘अरे भाई सपने दिखा कर कहां भागे जा रहे हो। बताओ यह सब कैसे होगा?’’
मोनू ने बताते हुए कहा – ‘‘देखो मैं गांव में अफवाह फैला दूंगा कि मंगलू को नागमणि मिल गई है। अगर वह नागमणि किसी के सिर पर रख दे तो उसकी उम्र बढ़ जायेगी और वह कभी नहीं मरेगा। लेकिन वह नागमणि उसके सिर पर ही रखेगा जो उसे खुश करेगा। बस अब तुम ध्यान से सुनो मैं कहीं से मणि जैसा दिखने वाला एक कांच का टुकड़ा ले आउंगा। उसे तुम दूर से सबको दिखा देना। फिर जो तुम जानवरों से मांगोगे वे तुम्हें लाकर देंगे। तुम अपने लिये दूध मांग लेना और मेरे लिये फल मांग लेना।’’
मंगलू यह सुनकर बहुत खुश हुआ और बोला – ‘‘वो तो ठीक है लेकि अगर कुछ दिन बाद मेरी पोल खुल गई तो क्या होगा?’’
यह सुनकर बंदर हसने लगा और बोला – ‘‘भाई गांव के कुछ नई उम्र के जानवरों के सिर पर तुम यह मणि रख देना। उनकी उम्र तो पहले ही काफी होगी। बाद में जो बुजुर्ग होंगे वो मर जायेंगे। इससे सबको लगेगा कि मणि का असर हो गया है।’’
अगले दिन मोनू बंदर एक कांच का टुकड़ा लाकर मंगलू को दे देता है। और सारे जंगल में खबर फैला देता है।
अब तो मंगलू और मोनू दोंनो के मजे आ जाते हैं। दोंनो को खुश करने के लिये जानवर तरह तरह का खाना दूध सब दे जाते थे। कुछ दिन तक सब ठीक चलता रहा। मंगलू बहुत घमंड में आ जाता है। वह कुछ नये जानवरों के सिर पर मणि रख देता है।
एक दिन गांव में हाथी और शेर बात करते हैं।
शेर कहता है – ‘‘भाई मैं बूढ़ा होता जा रहा हूं। अब मुझसे शिकार नहीं होता है। मैं मंगलू के पास गया था, लेकिन उसने मणि मेरे सिर पर रखने से मना कर दिया।’’
यह सुनकर हाथी ने भी अपन सूंड उठा दी और कहा – ‘‘भाई मैं भी गया था, लेकिन उसने मुझे भी भगा दिया। हमें उससे वह मणि छीननी होगी।’’
यह सुन कर शेर बोला – ‘‘लेकिन उसे बिल से बाहर कैसे निकालेंगे?’’
हाथी ने शेर को एक तरकीब बताई वह बोला – ‘‘एक बरतन में दूध भर कर उसके बिल से कुछ दूर पर रख देना और मैं उसे आवाज दे दूंगा। जब वह बाहर आयेगा, तो मैं अपने पैर से उसका सिर कुचल दूंगा। वह मर जायेगा और मणि हमें मिल जायेगी।’’
शेर ने कुछ देर सोचने के बाद कहा – ‘‘ठीक है ऐसा ही करते हैं तुम सांप को ठिकाने लगा देना और मैं उस बंदर के बच्चे का शिकार करूंगा।’’
अगले दिन उन्होंने ऐसा ही किया। हाथी ने बिल के पास जाकर आवाज दी – ‘‘मंगलू भाई मैं आपके लिये ताजा दूध लाया हूं। जल्दी से बाहर आ जाओ।’’
मंगलू खुशी खुशी बाहर आकर दूध के कटोरे की ओर बढ़ने लगा। तभी हाथी उसका सिर पैर से कुचलने लगा। धूप के कारण हाथी की परछाई मंगलू ने देख ली। वह एक तरफ हो गया।
मंगलू बोला – ‘‘भाई मुझे क्यों मार रहे हो?’’
यह सुनकर शेर जोर से दहाड़ा – ‘‘बड़ा घमंड है न तुझे अब देख तुझे मार कर तेरी मणि हम ले लेंगे।’’
मंगलू शेर के पैरो में जाकर लेट गया वह बोला – ‘‘महाराज मुझे माफ कर दीजिये ये कोई मणि नहीं है। यह तो एक कांच का टुकड़ा है। इस मोनू ने मुझे यह दिया था और मंगलू ने सारी बात बता दी।’’
इधर हाथी ने गुस्से में अपनी सूंड में मोनू को लपेट लिया।
मोनू को लगा कि वह मर जायेगा उसने मंगलू से कहा – ‘‘भाई जल्दी से हाथी को काट लो जिससे मैं बच जाउं।’’
मंगलू बोला – ‘‘भाई इससे पहले हाथी मुझे अपने पैर से कुचल देगा। मैं तो जा रहा हूं।’’
मोनू समझ चुका था, कि अब मंगलू उसके कहने में नहीं आयेगा वह बोला – ‘‘हाथी भाई मुझे माफ कर दो। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगा।’’
शेर ने कहा – ‘‘सुन बे बन्दर भाग जा इस जंगल से यहां के जानवरों को भड़का रहा है। आज के बाद तू इस जंगल में दिखा तो तुझे मार कर खा जाउंगा।’’
हाथी ने मोनू को छोड़ा और वह दुम दबा कर जंगल से भागने लगा। भागते भागते वह बोला भाई मंगलू बड़ी जल्दी रंग बदल लिया। अपना कोई नहीं है, इस जंगल में मैं तो शहर चला।
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