बड़ी बहन | Moral Story Elder Sister

Moral Story Elder Sister
Moral Story Elder Sister

Moral Story Elder Sister : अमित और कविता भाई बहन थे। कविता बड़ी थी। अमित छोटा था। दोंनो के माता पिता का स्वर्गवास हो चुका था। कविता एक आफिस में काम करती थी उसका भाई अमित कालेज में पढ़ता था।

एक दिन अमित ने कविता से कहा ‘‘दीदी मुझे कॉलेज की फीस देनी है मुझे कुछ रूपये चाहिये’’

कविता ने कहा ‘‘अभी तो मेरे पास पैसे नहीं हैं कल तक मैं तुझे पैसे दे दूंगी’’

कविता आफिस से एडवांस मांग कर अमित को पैसे देती है। वह अपने भाई को अफसर बनाना चाहती थी। इसलिए वह दिन में आफिस में काम करती थी। और शाम एक घर में काम करती थी।

कुछ दिन बाद अमित की पढ़ाई पूरी हो गई एक दिन अमित ने घर आकर कविता को बताया ‘‘दीदी मुझे बहुत बड़ी कंपनी में मैंनेजर की नौकरी मिल गई अब तुम काम करने नहीं जाओंगी’’  यह कहकर वह जिद करने लगा हार कर कविता मान गई और उसने काम करना छोड़ दिया अब वह केवल घर संभालती थी।

ऐसे ही समय बीत रहा था एक दिन अमित ने कहा ‘‘दीदी मैंने कुछ रूपये जोड़ लिये हैं अब मैं आपकी शादी करना चाहता हूं।’’

यह सुनकर कविता ने कहा ‘‘नहीं भाई पहले मैं तेरी शादी करूंगी जब घर संभालने वाली आ जायेगी तो मैं भी शादी कर लूंगी।

कविता ने एक अच्छी सी लड़की देख कर अमित की शादी कर दी। अल्का को भाभी के रूप में पाकर कविता बहुत खुश हो रही थी। धीरे धीरे अल्का ने पूरा घर संभाल लिया। तीनों बहुत खुशी से रह रहे थे।

एक दिन अल्का की मॉं अल्का से मिलने आई। उन्हें कविता शुरू से ही पसंद नहीं थी। मौका पाकर उसने अल्का से कहा ‘‘तेरी नन्द शादी नहीं करना चाहती है यह तो जीवन भर तेरे पति की कमाई पर ऐश करना चाहती है। तू बहुत सीधी है।’’

यह सुनकर कर अल्का ने कहा ‘‘मॉं तुम बेकार की बात कर रहीं हो अमित इनके लिए लड़का देख रहे हैं। जैसे ही मिल जायेगा शादी हो जायेगी।’’

लेकिन अल्का की मॉं ने कहा ‘‘बेटी तू नहीं समझेगी यह तेरे को कभी चैन से रहने नहीं देगी’’

अगले दिन अमित ने कविता से कहा ‘‘दीदी मैंने आपके लिए लड़का देखा है आप कहें तो बात आगे बढ़ाई जाये’’

लेकिन कविता ने कहा ‘‘नहीं भाई मैं अभी शादी नहीं करना चाहती जब करनी होगी आपको बता दूंगी’’

यह सुनकर अमित और अल्का को आश्चर्य हुआ। अल्का के दिमाग में मॉं की बातें गूंजने लगीं। उसके बाद अल्का का व्यवहार कविता के लिए बदल गया वह अमित को सामने कुछ नहीं कहती। लेकिन अमित के जाने के बाद कविता से छोटी छोटी बात पर लड़ती रहती।

एक दिन कविता कहीं गई थी अकेले में अल्का ने अमित से कहा ‘‘दीदी शादी क्यों नहीं करना चाहती। कहीं ऐसा तो नहीं तुम्हारी बहन हमेशा हमारे उपर बोझ बन कर बैठी रहें।’’

यह सुन कर अमित को बहुत गुस्सा आया उसने कहा ‘‘खबरदार मेरी दीदी के बारे में कुछ कहा तो वे जो चाहेंगी वही होगा तुम्हें पता उन्होंने अपना पूरा जीवन मुझे बड़ा आदमी बनाने में लगा दिया।’’

अल्का को समझ आ गया कि अमित उसकी बात कभी नहीं सुनेगा उसने अपनी नन्द को रास्ते से हटाने के लिए एक तरकीब सोची।

एक दिन अल्का ने कविता से कहा ‘‘दीदी काफी दिनों से मैं कहीं बाहर नहीं गई हूं कल हम मन्दिर चलते हैं।’’ यह सुनकर कविता बहुत खुश हुई

अगले दिन दोंनो मन्दिर में पहुंच जाती हैं। मन्दिर में पूजा करने के बाद अल्का कविता को प्रसाद देती है। उसने प्रसाद में कुछ मिला रखा था। प्रसाद खाकर कविता बेहोश हो जाती है। अल्का उसे छोड़ कर घर वापस आ जाती है। उसे लगता है जहर मिले प्रसाद से कुछ देर में कविता मर जायेगी।

कुछ देर बाद कविता को होश आता है लेकिन वह अपनी पिछली जिन्दगी भूल गई। वह मन्दिर मैं बैठ कर रोने लगती है।

शाम को जब अमित घर वापस आकर अल्का से कविता के बारे में पूछता है तो अल्का कहती है ‘‘दीदी तीर्थ यात्रा पर गई हैं। कुछ दिनों में वापस आ जायेगीं’’

तब अमित कहता है ‘‘दीदी मुझे बगैर बताये अचानक कैसे चली गई’’ वह परेशान हो जाता है लेकिन अल्का उसे समझा कर शान्त कर देती है।

इधर कविता को उसी मन्दिर के पुजारी मन्दिर में स्थान दे देते हैं। वह दिनरात मन्दिर में सेवा करने लगती है। मन्दिर के सभी भक्त और पुजारी कविता का बहुत ध्यान रखते थे। ऐसे ही समय बीत रहा था। लेकिन कविता को पिछला कुछ याद नहीं आ रहा था।

काफी दिन बीत जाने पर अमित कविता को ढूंढने निकल गया। वह कविता को ढूंढता रहा लेकिन कविता कहीं नहीं मिली। एक दिन वह थक कर उसी मन्दिर में एक पेड़ के नीचे बैठा था। तभी वहां कविता आई उसने कहा ‘‘भैया मन्दिर में भण्डारा शुरू हो रहा आप भी बैठ कर भोजन कर लीजिये’’

कविता की आवज सुनकर अमित चौंक गया। कविता को देख कर वह रोने लगा। तब कविता ने कहा भैया आप क्यों रो रहे हो। तभी वहां पुजारी बाबा आ गये उन्होंने अमित से पूछा तो अमित कविता के बारे में बताया।

पुजारी बाबा ने कहा ‘‘ये लड़की यहां बेहोश मिली थी। होश आया तो इसे कुछ याद नहीं था। अच्छा हुआ तुम मिल गये इसे अपने घर ले जाओ भगवान ने चाहा तो वहां जाकर इसकी यादाशत वापस आ जायेगी।

अमित ने कविता को चलने के लिए कहा तो वह रोने लगी और जाने से मना कर दिया लेकिन अमित जिद कर रहा था। तब कविता ने कहा ‘‘भाई मुझे सब कुछ याद है। लेकिन मैंने जानबूछ कर नाटक किया ताकि तुम और भाभी मेरे बिना खुश रह सको भाभी को मेरा घर में रहना पसंद नहीं इसलिए अब मैं उस घर में नहीं जाना चाहती।’’

यह सुनकर अमित रोने लगा और कविता से बोला ‘‘दीदी अगर आप घर नहीं चलोंगी तो मैं भी यहीं रहूंगा।’’ उसकी बातें सुनकर कविता घर आने के लिए तैयार हो गई लेकिन उसने अमित से कहा ‘‘मेरी एक शर्त है तुम भाभी पर गुस्स नहीं करोगे’’

अमित मान गया और कविता को लेकर घर आ गया। कविता को देखकर अल्का सहम गई वह रोने लगी और उसने अमित और कविता से माफी मांगी। कविता के कहने पर अमित ने उसे माफ कर दिया।

कुछ दिन बाद कविता ने शादी कर ली और अपने ससुराल विदा हो गई।

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