पिशाचिनी का प्यार | Pishachini Horror Story Part-1

Pishachini Horror Story Part-1
Pishachini Horror Story Part-1

Pishachini Horror Story Part-1 : मनोज और प्रेरणा की शादी को अभी एक साल ही हुआ था। मनोज एक कारखाने में काम करता था। प्रेरणा घर संभालती थी।

एक दिन मनोज शाम को घर आया तो प्रेरणा ने कहा – ‘‘सुनो जी आज घर का सामान लेने जाना है।’’

यह सुनकर मनोज बोला – ‘‘ठीक है तुम चाय बना लो पीकर चलते हैं।’’

प्रेरणा चाय बना कर लाई। दोंनो चाय पीकर सामान लेने निकल पड़े। अधेरा हो गया था। मनोज, प्रेरणा को साईकिल पर बैठा कर बाजार में पहुंच जाता है। सारा सामान खरीद कर दोंनो वापस चल देते हैं।

अभी कुछ ही दूर गये थे, कि साईकिल का टायर पंचर हो जाता है। दोंनो साईकिल से उतर कर पैदल चलने लगते हैं। सर्दी का समय था। रात को पूरा रास्ता सुनसान पड़ा था।

प्रेरणा ने कहा – ‘‘मनोज मुझे डर लग रहा है। यहां कोई भी नहीं है, और हमारी साईकिल भी पंचर हो गई है।’’

प्रेरणा की बात सुनकर मनोज हसने लगा – ‘‘अरे तो क्या हुआ। तुम तो बेकार में ही डर रही हों। मैं हूं तुम्हारे साथ। डरो मत आगे एक पंचर बनाने वाले की दुकान है आगे, वहां पंचर लगवा कर जल्दी घर पहुंच जायेंगे।’’

दोंनो तेज तेज कदमों से आगे बढ़ रहे थे। अचानक प्रेरणा के बालों पास से एक तेज हवा का झोका गुजर जाता है। जिससे प्रेरणा रुक कर इधर उधर देखने लगती है।

मनोज उसे देख कर कहता है – ‘‘क्या हुआ रुक कैसे गईं। जल्दी चलो।’’

प्रेरणा मनोज का हाथ कस कर पकड़ लेती है – ‘‘मनोज यहां कोई है। अभी अभी मुझे ऐसे लगा जैसे मेरे पीछे से कोई मुझे छू कर निकला है।’’

मनोज इधर उधर देखता है लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता। वह कहता है – ‘‘प्रेरणा कोई नहीं है चलो।’’

दोंनो तेजी से कदम बढ़ा रहे थे। तभी उन्हें कुछ आवाजें सुनाई देने लगती हैं। ये आवाजें साईड में खड़े पेड़ों के पीछे से आ रहीं थीं।

इस बार मनोज भी थोड़ा डर जाता है। तभी अचानक लाईट चली जाती है। स्ट्रीट लाईट बंद होते ही चारों ओर घना अंधेरा पसर जाता है। प्रेरणा की तो चीख निकल जाती है।

वह हाथ से टटोल कर मनोज का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, लेकिन उसे मनोज कहीं दिखाई नहीं देता।

प्रेरणा वहीं रुक कर अधेरे में मनोज को देखने की कोशिश करती है। प्रेरणा बुरी तरह डर जाती है। वह दो कदम आगे बढ़ाती है, लेकिन यह क्या वह किसी चीज से टकरा कर गिर जाती है।

गिरते ही प्रेरणा की कोहनी से खून निकलने लगता है। इसकी परवाह करे बगैर, वह मनोज, मनोज चिल्ला रही थी। वह उस चीज को जिससे वह टकरा कर गिरी थी। टटोलती है। अरे यह क्या यह तो मनोज की साईकिल गिरी पड़ी थी।

प्रेरणा बहुत घबरा जाती है। वह उठ कर खड़ी हो जाती है – ‘‘मनोज कहां हो तुम मेरे पास आओ मुझे बहुत डर लग रहा है।’’

लेकिन मनोज की ओर से कोई जबाब नहीं आता। कुछ ही देर में लाईट वापस आ जाती है। तेज रोशनी में प्रेरणा देखती है कि उसके पास ही साईकिल गिरी पड़ी थी। साईकिल पर टंगे हुए दोंनो थैले भी गिर गये थे। कुछ सामान इधर उधर बिखर गया था।

मनोज का कहीं अता पता नहीं था। प्रेरणा मनोज को पुकारती हुई, चारों ओर बेतहाशा भाग रही थी – ‘‘मनोज, मनोज कहां हो तुम। मुझे बहुत डर लग रहा है।’’

लेकिन सब बेकार वह सड़के किनारे बैठ कर रोने लगी। वह नीचे सिर झुकाये बैठी थी। तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। प्रेरणा ने पलट कर देखा। उसके बराबर में मनोज खड़ा था – ‘‘मनोज तुम कहां चले गये थे। मैं कब से तुम्हें पुकार रही हूं। जानतो हो मैं कितना परेशान हो गई थी।’’

प्रेरणा खड़ी हुई और मनोज से लिपट गई, लेकिन मनोज ने कोई जबाब नहीं दिया। उसने प्रेरणा को अपने से अलग किया और बोला – ‘‘चलो घर चलते हैं।’’

मनोज ने साईकिल को सीधा किया उस पर बचे हुए सामान का थैला टांगा, और घर की ओर चल दिया। प्रेरणा को उसका व्यवहार कुछ बदला हुआ नजर आ रहा था। प्रेरणा उसके पीछे पीछे चल रही थी।

प्रेरणा के मन में कई सवाल उमड़ रहे थे। मनोज कहां गया था। वह इतने गुस्से में क्यों है। उसने मुझसे अच्छे से बात भी नहीं की, और अब वह किसी बात का जबाब भी नहीं दे रहा है।

रास्ते में प्रेरणा ने कई बार मनोज से सवाल किये, लेकिन मनोज चुपचाप सिर झुकाये चला जा रहा था, जैसे उसे प्रेरणा से कोई मतलब नहीं था। मनोज के इस व्यवहार से प्रेरणा बहुत परेशान हो गई थी।

घर पहुंच कर प्रेरणा किचन में खाना बनाने चली गई। मनोज अपने कमरे में जाकर सो गया।       

प्रेरणा उसके लिये खाना बना कर लाई लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला। काफी आवाज देने पर भी जब वह नहीं जगा तो प्रेरणा बाहर ही एक चादर बिछा कर सो गई।

सुबह प्रेरणा ने मनोज से बात करने की कोशिश की, तो वह गुस्से में बोला – ‘‘मैं तुझसे नफरत करता हूं। दूर रह मुझसे।’’

मनोज की आंखे लाल अंगारे की तरह दहक रहीं थीं। प्रेरणा बहुत डर गई। उसने कुछ नहीं कहा मनोज अपने काम पर चला गया।

धीरे धीरे मनोज का व्यवहार बदलता जा रहा था। वह घर आता, खाना खाकर चुपचाप कमरा बंद करके, सो जाता। एक दिन प्रेरणा ने कमरे में बने छोटे से रोशनदान से अंदर देखा, तो मनोज दीवार की ओर मुंह करके खड़ा किसी से बात कर रहा था, और हस रहा था।

प्रेरणा को कुछ समझ नहीं आया, तो वह जोर जोर से दरवाजा पीटने लगी। काफी देर बाद मनोज ने दरवाजा खोला और गुस्से में बोला – ‘‘क्या है सो जा जाकर।’’

प्रेरणा को भी गुस्सा आ गया – ‘‘तुम किससे हस हस कर बातें कर रहे थे।’’

तभी मनोज की आंखें लाल हो गई। वह गुस्से में बोला, लेकिन उसकी आवाज में एक लड़की की आवाज शामिल थी – ‘‘यह मुझसे बात कर रहा था। क्या करेगी। अब ये तेरा नहीं है। इसे मैंने अपने वश में कर लिया है। अपनी जान बचाना चाहती है तो भूल जा इसे और कहीं और चली जा।’’

यह कहकर मनोज अंदर चला गया, और जोर से दरवाजा बंद कर लिया। प्रेरणा बहुत डर गई – ‘‘हे भगवान इस पर तो किसी प्रेत का साया है।’’

प्रेरणा पूरी रात रोती रही। सुबह मनोज प्रेरणा से बात किये बगैर, काम पर चला गया। कुछ ही देर में दरवाजे पर दस्तक हुई। प्रेरणा ने दरवाजा खोला, तो सामने मनोज का दोस्त पवन खड़ा था -‘‘भाभी जी मनोज है क्या? वह कई दिन से काम पर नहीं आया। मालिक ने मुझे पता करने भेजा है। अगर कल तक वो काम पर नहीं आया, तो उसे नौकरी से निकाल देंगे।’’

प्रेरणा को गहरा धक्का लगा उसने कहा – ‘‘भैया वो कहीं गये हुए हैं, मैं शाम को उनसे बात करूंगी, कल उन्हें काम पर जरूर भेज दूंगी।’’

पवन के जाने के बाद प्रेरणा घर से निकली, वह एक तांत्रिक को जानती थी। वह उसके पास पहुंच गई, उसने तांत्रिक को सारी बात बताई। तांत्रिक बोला – ‘‘बेटी उसे किसी तरह मेरे पास ला, वैसे तो यह काम मुश्किल है लेकिन फिर भी तू कोशिश कर। अगर वह न आया तो उसका कोई कपड़ा ले आना, मैं उससे ही उस प्रेतात्मा को बुलाउंगा।’’

शाम को प्रेरणा ने मनोज के आते ही उसे रोका, और बात करने बैठ गई – ‘‘मनोज मुझे मालूम है तुम मुझसे नफरत करते हो, लेकिन तुम काम पर भी नहीं जा रहे हो। अगर तुम कल तक काम पर नहीं गये, तो तुम्हारी नौकरी चली जायेगी।’’

मनोज गुस्से में बोला – ‘‘मैं वो दो टके की नौकरी नहीं करूंगा। वैसे भी मैं अब कोई काम नहीं करूंगा।’’

प्रेरणा ने प्यार से मनोज को कहा – ‘‘अच्छा मत करना बस मेरी एक बात मान लो, कल मेरे साथ चलना मैं तुम्हें किसी से मिलवाना चाहती हूं।’’

मनोज ने कहा – ‘‘मैं तेरे साथ कहीं नहीं जाने वाला। तेरा मेरा रास्ता अलग अलग है।’’

यह कहकर वह अपने कमरे में चला गया, और दरवाजा बंद करके बैठ गया।

अगले दिन प्रेरणा मनोज की कमीज लेकर, तांत्रिक के पास गई। तांत्रिक ने तंत्र मंत्र करना शुरू किया। कुछ ही देर में मनोज वहां गुस्से में आया, और लड़की की आवाज में बोला – ‘‘तूने मुझे यहां बुलाया है। तू और इस तांत्रिक दोंनो को मैं मार दूंगी।’’

यह देख कर प्रेरणा रोने लगी। उसे बहुत डर लग रहा था। तांत्रिक ने कुछ और मंत्र पढ़ कर, एक बोतल से पानी लेकर मनोज पर फेंका। पानी पड़ते ही मनोज अपनी आवाज में चिल्लाने लगा – ‘‘प्रेरणा मैं मर जाउंगा। मुझे बचा लो। ये तांत्रिक मुझे मार देगा।’’

प्रेरणा बोली – ‘‘बाबा इन्हें छोड़ दो, इन्हें बहुत तकलीफ हो रही है।’’

तांत्रिक ने हसते हुए कहा – ‘‘चिंता मत कर ये सब उसकी चाल है। चुपचाप बैठ देख मैं क्या करता हूं।’’

तांत्रिक आंख बंद करके मंत्र पढ़ता, और फिर पानी मनोज पर फेंक देता। कुछ देर में मनोज लड़की आवाज में बोला – ‘‘ठीक है अभी तो मैं जा रही हूं। लेकिन मैं इसे छोड़ूगी नहीं।’’

मनोज बेहोश होकर एक ओर लुढ़क गया। तांत्रिक बोला – ‘‘जा लेजा इसे अपने घर, मैंने इसे उस पिशचिनी की कैद से आजाद कर लिया। लेकिन ध्यान रखना। वो फिर आयेगी। पिशाचिनी इससे प्यार कर बैठी है। वो इतनी आसानी से इसका पीछा नहीं छोड़ेगी। जब भी तुझे इसका व्यवहार बदला नजर आये, तुरंत मेरे पास आ जाना।’’

प्रेरणा ने मनोज के मुंह पर पानी के छींटे मारे। मनोज उठ गया, जैसे वह किसी नींद में से जागा हो। मनोज बोला – ‘‘अरे मुझे क्या हुआ था। मैं यहां कैसे आया। तुम रो क्यों रही हों।’’

प्रेरणा ने कुछ नहीं कहा, वह मनोज को घर ले आई। अगले दिन मनोज काम पर भी पहुंच गया। सब कुछ पहले जैसा चल रहा था। लेकिन प्रेरणा अब हमेशा डरी रहती थी, कि क्या वो पिशाचिनी फिर आयेगी?

क्या हुआ मनोज के साथ। क्या तांत्रिक की बात सच हो पाई, कि पिशाचिनी इससे प्यार कर बैठी है। जानेंगे अगले भाग में।

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