इन्तकाम – भाग – 6 | Tantrik Horror Story

Tantrik Horror Story

Tantrik Horror Story : खाना खाकर तीनों बेडरूम में सोने चले जाते हैं। लेकिन किसी को नींद नहीं आ रही थी। अगले दिन सुबह सब देर से उठे क्योंकि सुबह के समय थोड़ी नींद आ गई थी। रौनक ड्राईंग रूम में सोफे पर बैठा था।

अवन्तिका बेडरूम से बाहर आई – ‘‘अरे रौनक तुम कब जग गये आज तो उठने में देर हो गई मैं अभी तुम्हारे लिये चाय बना कर लाती हूं।’’

रौनक बोला – ‘‘नहीं भाभी चाय पीने का बिल्कुल मन नहीं है। आपसे कुछ बात करनी थी।’’

अवन्तिका सोफे पर बैठ गई – ‘‘हां हां रौनक बोलो क्या बात है?’’

रौनक ने गहरी सांस लेते हुए कहा – ‘‘भाभी मैं अमृता को सब कुछ बता देना चाहता हूं।’’

अवन्तिका ने उसे बीच में टोकते हुए कहा – ‘‘नहीं रौनक अभी ऐसा मत करना तुम्हारी बात सुनकर वो हम सबसे मिलने आ जायेगी। उसे भी उसी रास्ते से आना होगा। मैंने सुना है नरपिशाच बहुत तेजी से इंसानों की गंध सूंघ लेते हैं कहीं उन्हें अमृता और तुम्हारे रिश्ते के बारे में पता लग गया तो वो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। तुम उसे फोन करके कह दो कि बिजनेस के किसी काम से एक महीने के लिये बाहर जा रहे हो आकर मिलेंगे।’’

रौनक की आंखों से आंसू छलक रहे थे उसने उन्हें पोंछते हुए कहा – ‘‘भाभी मैं न आप लोगों को छोड़ सकता हूं न ही अमृता को आगे क्या होगा पता नहीं।’’

अवन्तिका ने उसे दिलासा देते हुए कहा – ‘‘भैया सब ठीक हो जायेगा। भगवान पर भरोसा रखो।’’

कुछ ही देर में शिखर भी वहां आ गया। तीनों नाश्ता करने लगे। तभी शिखर ने कहा – ‘‘रौनक क्या सोचा तुमने कब जा रहे हो मुंबई?’’

रौनक बोला – ‘‘नहीं भैया जो होगा सब मिल कर सह लेंगे मैं आपको अकेला छोड़ कर कहीं नहीं जा रहा हूं।’’

किसी तरह दिन बीता रात होने लगी थी। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। रौनक ने दरवाजा खोला तो सामने काला कुर्ता धोती पहले एक आदमी खड़ा था। इससे पहले कि रौनक कुछ कहता वह बोला – ‘‘मुझे तांत्रिक बाबा ने भेजा है। वो रात को पूजा करने आयेंगे। पूजा का सामान एक जगह इकट्ठा कर लीजिये और सभी नहा कर जमीन पर आसन लगा कर बैठ जायें।’’

यह कहकर वह चला गया। उसकी बात सुनकर अवन्तिका ने पूजा की सारी तैयारी कर दी। सभी नहा कर तैयार होकर एक कमरे में आसन बिछा कर बैठ गये।

रात के ग्यारह बज गये थे लेकिन तांत्रिक का कुछ अता पता नहीं था। तभी किसी ने जोर से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। वह आवाज इतनी तेज थी। कि तीनों डर गये। शिखर ने डरते डरते दरवाजे के पास पहुंच कर पूछा – ‘‘कौन है?’’

बाहर से तांत्रिक की आवाज आई – ‘‘जल्दी से दरवाजा खोल मैं हूं तांत्रिक’’

शिखर ने दरवाजा खोला तो देखा तांत्रिक अपने दो चेलों के साथ खड़ा था। उसके माथे से खून बह रहा था। वे तीनों जल्दी से अंदर आये और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया।

शिखर बोला – ‘‘ये आपके खून कैसे निकल रहा है?’’

तांत्रिक के ने उसे घूरते हुए कहा – ‘‘अच्छा जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं।’’

तभी वहां रौनक और अवन्तिका भी आ गये।

शिखर बोला – ‘‘क्या कहा रहे हो बाबा मुझे कैसे पता होगा?’’

यह सुनकर तांत्रिक और उसके दोंनो चेले हसने लगे। उनके ठहाकों से पूरा घर गूंज गया। रौनक ने शेखर का हाथ पकड़ लिया और तांत्रिक की ओर इशारा किया। तांत्रिक की आंखे लाल थीं जैसे उनमें खून उतर आया था।

रौनक बोला – ‘‘भैया ये तांत्रिक नहीं है।’’

यह सुनकर तांत्रिक बोला – ‘‘हां सही कहा तूने मैं वही हूं जिसे तूने मारा था। मुझ से बच कर कहां जायेगा तू।’’

शेखर, रौनक और अवन्तिका तीनों डर से कांपने लगे। ये तो तांत्रिक के भेष में नरपिशाच उनके घर में आ गये थे।

तीनों को सामने साक्षात मौत नजर आ रही थी। तभी तीनों नरपिशाच के रूप में सामने प्रकट हो गये।

शिखर बोला – ‘‘आपको मारना है तो मुझे मार दो लेकिन इन दोंनो को छोड़ दो ये दोंनो बेकसूर हैं।’’

लेकिन तीनों नरपिशाच बिना कुछ बोले ठहाका लगा रहे थे। उनमें से तांत्रिक का रूप लिये नरपिशाच बोला – ‘‘तू तो मेरा शिकार है लेकिन ये दोंनो जो मेरे साथ हैं इन्हें भी तो खून पीना है।’’

तभी दरवाजे के नीचे से धुआं आने लगा। जिससे तीनों नरपिशाच परेशान हो गये। पहला बोला – ‘‘हमें भगाने का उपाय कर रहा है हम तुझे छोड़ेंगे नहीं अभी तो हम जा रहे हैं लेकिन फिर वापस आयेंगे।’’

यह कहकर तीनों दरवाजा खोल कर तेजी से बाहर भाग गये। तभी तांत्रिक एक आदमी को लेकर घर में आया।

तांत्रिक बोला – ‘‘मैं जैसे ही तेरे घर के सामने आया मुझे अहसास हो गया कि तुम तीनों पर हमला हो चुका है। तभी मैंने धूनी जला कर तेरे दरवाजे के बाहर फेंकी जिससे वे तीनों भाग गये।’’

अवन्तिका जोर जोर से रोने लगी -‘‘बाबा आज आपने हमें बचा लिया। नहीं तो हम मारे जाते।’’

शिखर और रौनक दोंनो कुछ बोल नहीं पा रहे थे। मौत अभी अभी उन्हें छूकर गुजरी थी।

तभी तांत्रिक बोला – ‘‘चिंता मत करो मैं अभी मंत्रों से इस घर को बांध देता हूं। फिर इस घर में कोई बुरी शक्ति घुस नहीं पायेगी। चलो पूजा शुरू करते हैं।’’

कुछ ही देर में तांत्रिक ने पूजा शुरू की बहुत देर तक पूजा करने के बाद उसने हवन की राख को अपने चेले से घर के चारों और बिखेर दिया।

जाने से पहले तांत्रिक ने कहा – ‘‘मैं अब यहां नहीं आउंगा। तुम लोग जब तक इस घर में हो सुरक्षित हो। लेकिन अगर किसी काम से बाहर जाओ तो ये माला ले लो एक बार में एक ही आदमी बाहर जाये वो भी इस माला को पहन कर।’’

तांत्रिक चला गया। तीनों वहीं सोफे पर बैठ गये।

रौनक बोला – ‘‘भैया ये तो बहुत भयानक हैं। हम इनसे कब तक बच पायेंगे।’’

शिखर बोला – ‘‘पहले तो मैं इन सब पर कम विश्वास करता था लेकिन आज जो कुछ हुआ उससे मैं जान गया हूं कि मैं जिंदा नहीं रहूंगा।’’

अवन्तिका बोली – ‘‘आप भी बेकार की बातें करते हो कुछ नहीं होगा आपको। उपाय कर तो रहे हैं।’’

तीनों एक दूसरे को समझा रहे थे लेकिन खुद अंदर से डरे हुए थे।

शेष आगे …

इन्तकाम – भाग – 1इन्तकाम – भाग – 2
इन्तकाम – भाग – 3इन्तकाम – भाग – 4
इन्तकाम – भाग – 5इन्तकाम – भाग – 6