A Horror Story : मेरा नाम रौनक है। मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर काम करता हूं। मैं आपके साथ घटना शेयर कर रहा हूं।
लेकिन उससे पहले मैं जानना चाहता हूं, कि क्या आप भूत प्रेत, बुरी शक्तियों में विश्वास रखते हैं। अगर हां तो यह कहानी आपके लिये एक सबक साबित होगी और अगर नहीं तो आज के बाद आप उन पर विश्वास करने लगोगे। हो सकता है आप विश्वास न भी करो। यह आप पर निर्भर करता है।
जैसा कि मैंने बताया मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूं और अभी दिल्ली में सैटल हूं। लेकिन इससे पहले मैं एक हिल स्टेशन पर गांव के पास रहता था। उस जगह का नाम मैं नहीं बताना चाहता हूं।
मेरी जिन्दगी का जो सबसे अच्छा दिन था। जिसके सपने मैंने कई साल तक देखे थे। जब वह दिन आया तो मैं अपने आपको दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान मान रहा था। उस दिन मेरी मंगनी अमृता से हुई थी। जिसे मैं बहुत प्यार करता था।
मेरे बड़े भाई शिखर जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने मुझे पढ़ाने और काबिल बनाने के लिये बहुत छोटी उम्र से काम करना शुरू कर दिया। दूसरी और मेरी भाभी अवन्तिका मुझे बिल्कुल अपने बेटे की तरह प्यार करती थीं।
तो मैं बात कर रहा था। उस दिन के बारे में जब मेरी मंगनी अमृता से हुई थी। लेकिन वही दिन मेरी जिन्दगी का सबसे मनहूस दिन साबित होगा। ये मैंने कभी नहीं सोचा था।
मंगनी की रस्मों का निबटना भैया भाभी अपनी कार से जंगल के रास्ते वापस आते हैं। रास्ते में उनकी कार से एक आदमी का एक्सीडेंट होना। जिसमें मेरे भैया की कोई गलती नहीं थी। बस एक गलती थी उनकी कि उन्होंने उस आदमी को वहीं छोड़ दिया।
काश वो उसे अस्पताल ले जाते। वो बच जाता तो शायद आज मेरे भैया भाभी भी जिन्दा होते, लेकिन ऐसा हुआ नहीं उस आदमी को दो नरपिशाचों ने पकड़ लिया उसका खून चूस कर उसे मार डाला उसके बाद वह भी नरपिशाच बन गया। एक बात यहां बताना जरूरी है। कि नरपिशाच अगर इंसान का खून पीते हैं तो उनकी शक्ति और ज्याद बढ़ जाती है, लेकिन अगर उन्हें इंसान का खून न मिले तो वो धीरे धीरे कमजोर होते जाते हैं।
शायद हमारी गलती यह थी, कि जिस रास्ते पर लोग दिन में भी जाने से डरते हैं। हम उसी रास्ते से रात को वापस आ रहे थे।
इस घटना के बाद शुरू होता है हमारी बर्बादी का सफर। उन नरपिशाचों ने कैसे हमसे बदला लेने के लिये हमारा पीछा किया।
मेरे भैया भाभी ने कैसे मुझे बचाने के लिये। मुझे अपने से अलग कर दिया। उनका बस एक ही मकसद था, कि कम से कम एक वारिस तो बच जाये।
मेरी शादी अमृता से हो पाई। मैं दिल्ली कैसे पहुंचा। मेरे भैया भाभी की मौत कैसे हुई। क्या अब मैं उन नरपिशाचों के चंगुल से बच गया हूं। या आज भी मेरी जान को खतरा है।
क्या अब कभी मैं उस हिल स्टेशन पर जा पाउंगा। वहां जो हमारी प्रोपर्टी है। जहां मैं रहना चाहता हूं। जहां मेरे भैया भाभी की यादें हैं। क्या मैं कभी वहां सुकून से रह पाउंगा।
इन्ही सारे सवालों के जबाब आपको हमारी कहानी इन्तकाम में मिलेंगे। इस कहानी को कई भागों में पूरा किया जा रहा है। उम्मीद है इसे पढ़ कर आपको अच्छा लगेगा। इस कहानी को केवल मनोरंजन के लिए लिखा गया है।
इन्तकाम – भाग – 1 | इन्तकाम – भाग – 2 |
इन्तकाम – भाग – 3 | इन्तकाम – भाग – 4 |
इन्तकाम – भाग – 5 | इन्तकाम – भाग – 6 |
इन्तकाम एक काल्पनिक कहानी है। इस कहानी के पात्र, स्थान या घटना का वास्तविक जीवन की किसी भी घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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