पुनर्जन्म | Hindi Horror Story

Hindi Horror Story
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Hindi Horror Story : एक अंधेरी गुफा में एक तांत्रिक आत्मा को वश में करने की कोशिश में लगा था। सामने अग्निकुण्ड में आहूति दिये जा रहा था। तान्त्रिक जोर जोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहा था।

बाहर का मौसम बहुत खराब था। आधी-तूफान जैसे सब कुछ तबाह करने के लिये अपना जोर दिखा रहे थे। इधर तांत्रिक अग्निकुण्ड के चारों ओर जल्दी जल्दी लकड़ी के ढेर लगा देता है। जिससे बाहर की आंधी अग्निकुण्ड को बुझा न दे।

फिर वह अपनी जगह आकर बैठ जाता है। उसे यह सब करते लगभग तीन घंटे बीत जाते हैं। अब उसे केवल अखिरी की इक्कीस आहूतियां डालनी थीं।

बहुत संभल कर मंत्र बोलता और सही समय पर आहूति देता। तभी उसे गुफा के दरवाजे पर सफेद साड़ी पहले लंबे बालों के साथ एक औरत दिखाई देती है। उसका चेहरा इतना भयानक था कि एक बार तांत्रिक भी डर गया।

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हर आहूति के साथ वह तड़प उठती थी। धीरे धीरे जैसे वह तांत्रिक के वश में जा रही थी वह उसके सामने आकर बैठ जाती है।

चुड़ेल: मुझे जाने दे। क्या चाहता है मुझसे?

तान्त्रिक बिना कुछ बोले आहूति देता रहता है। उसे अपनी आखिरी आहूति का इंतजार था। वह ध्यान भटकाना नहीं चाहता था।

इधर चुड़ेल अपने उग्र रूप में आने लगती है। जैसे आहुति की मार उसे पड़ रही थी।

इक्कसवीं आहुति के साथ ही तांत्रिक उठ कर खड़ा हो जाता है।

चुड़ेल का गुस्सा भी कम हो जाता है।

तान्त्रिक: अब तू मेरे वश में है। जा आज के बाद तुझे जब भी याद करूं आ जाना मेरी शक्ति बन कर।

चुड़ेल बिना कुछ बोले गुफा से बाहर निकल जाती है।

तान्त्रिक: आज के लिये इतना काफी है। अब यह मेरे वश में है अब मुझे अपना अगला कदम उठाना चाहिये।

इधर इस सब से बेखबर यहां से सैंकड़ो किलोमीटर दूर गुजरात में सेठ भंवर लाल जी के घर कई बर्षों के बाद पोता हुआ। यह खबर सुनते ही घर में खुशी के ढोल बजने लगे। पूरे मौहल्ले में मिठाई बांटी गईं।

सेठ भंवरलाल जी अपने पोते के आने की खुशी में पूरे नगर में दावत दी गई कई साल बाद उनके आंगन में खुशियों ने दस्तक दी थी।

लेकिन इस बात से भंवरलाल के छोटे भाई सोहनलाल को गहरा धक्का लगा।

भंवरलाल का इकलौता बेटा गजेन्द्र एक रोड एक्सीडेंट में मारा गया। उसकी पत्नि मीरा उस समय गर्भवती थी। कहने वाले कहते हैं, कि सोहनलाल ने जायदाद के लालच में अपने भतीजे का एक्सीडेंट करवा दिया।

सोहनलाल बच्चे से पीछा छुड़ाने की तरकीब सोचने लगे। उसने उसी रात अपने भरोसे के आदमी रवाना किया जो तान्त्रिक के पास पहुंचा।

नौकर: सेठ सोहनलाल ने उस बच्चे को खत्म करने के लिये कहा है।

तान्त्रिक: काम हो जायेगा बस ये बता पैसा कितना मिलेगा।

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आदमी: मुंहमांगा पैसा मिलेगा बोल कितना चाहिये फिलहाल ये पांच लाख रख।

तान्त्रिक: अब जा मुझे पूजा करनी है अपने मालिक से कहियो पैसे तैयार रखे जल्द उसे अच्छी खबर मिलेगी।

तान्त्रिक: पूजा कर चुड़ेल को बच्चे को खत्म करने का काम सौंपता है।

चुड़ेल रात को सेठ भंवरलाल की हवेली के बाहर पहुंच जाती है। जब रात को सब सो रहे थे तो वह बच्चे को मारने जाती है।

बच्चे को मारने के लिये वह जैसे ही बच्चे के गले तक अपने बड़े बड़े नाखूनों वाले हाथ ले जाती है। देख कर चौंक जाती है। जैसे वह नींद से जाग जाती है। यह तो उसका अपना बच्चा है। उसे याद आता है एक आदमी कार से जा रहा था किसी ने उसे गोली मारी जिससे उसका बेलेंस बिगड़ गया और कार सामने से गोदी में बच्चा लिये औरत को टक्कर मारती है फिर गहरी खाई में गिर जाती है। गाड़ी में भंवरलाल का बेटा गजेन्द्र था।

चुड़ेल: यह तो मेरा बेटा है इसे जन्म मिल गया। मैं भटक रही हूं अपनी उम्र पूरी करने के लिये। मैं इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचने दूंगी आज से मैं अपने बेटे की रक्षा करूंगी।

अगले पल वह तांत्रिक के सामने होती है।

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तान्त्रिक: हो गया काम जा अब आराम कर।

चुड़ेल: अभी तू पूजा नहीं कर रहा है न ही मैं तेरे वश में हूं। पहले यह बता कि किसने तुझे बच्चे को मारने के लिये कहा था।

तान्त्रिक: अच्छा अभी बताता हूं।

वह अग्निकुंड की ओर जाने लगा। लेकिन चुड़ेल के एक वार से नीचे गिर गया। चुढ़ेल उसकी छाती पर बैठ गई।

तान्त्रिक: मुझे मत मार मैं तुझे छोड़ दूंगा।

चुड़ेल: पहले उसका नाम बता?

तान्त्रिक: उसके चाचा सोहनलाल ने।

चुड़ेल: उस बच्चे को किसी ने छुआ भी तो मैं उसे जिन्दा नहीं छोड़ूगी।

यह कहकर चुड़ेल तान्त्रिक के गले में अपने नाखून घुसा कर उसे मार देती है।

सुबह सभी को सोहनलाल की लाश घर की छत पर मिलती है। उसके मुंह से खूल बह रहा था। जैसे किसी ने छाती पर चोट की हो।

चुड़ेल अपन अपने बच्चे के आस पास रहने लगी। जिससे उसे कोई नुकसान न पहुंचा सके।

एक दिन भंवरलाल जी ने पंडित जी को घर बुलाया।

भंवरलाल जी: पंडित जी कोई अच्छा सा मुहुर्त निकालिये बच्चे के नामकरण का।

पंडित जी: रुको यजमान इस घर पर तो चुड़ेल का सांया है। पंडित जी ध्यान लगा कर सारी बात समझ जाते हैं। वो सारी बात भंवरलाल जी को बताते हैं।

भंवरलाल जी: पंडित जी इस सब से पीछा छुड़वाईये।

पंडित जी: कल अमावस्या की रात है मेरे घर आना वहीं पूजा करेंगे। लेकिन अकेले आना।

अगले दिन पंडित जी पूजा कर चुड़ेल को वहां आने के लिये विवश कर देते हैं।

चुड़ेल: मुझे छोड़ दे पंडित उस तान्त्रिक को भी मैंने मार दिया।

पंडित: मैं भगवान का भक्त हूं। उनकी मर्जी के आगे सारी शक्तियां नाकाम हो जाती हैं। तू यहां से चली जा।

चुड़ेल: नहीं मैं अपने बच्चे को बचाने आई हूं।

पंडित: जिससे उसे खतरा था वो मर गया। तू जा मैं तेरी मुक्ति के लिये यज्ञ करता हूं।

पंडित जी के यज्ञ से चुड़ेल को मुक्ति मिल जाती है।

उसका बच्चा ठीक से पलने लगता है। भंवरलाल जी के घर में खुशियां वापिस आ जाती हैं।

नोट: यह एक काल्पनिक कहानी है।

Image Source : Playground

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