नरपिशाचों का हमला | Horror Story in Hindi Narpishach

Horror Story in Hindi Narpishach
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Horror Story in Hindi Narpishach : अचानक पुलिस स्टेशन में रात को फोन की घंटी बजी। आधी नींद में एक हवलदार ने फोन उठाया।

दूसरी ओर से एक आदमी घबराध हुआ बोल रहा था – ‘‘साहब यहां गाड़ी में एक लाश पड़ी है आप जल्दी आ जाओ’’ हवलदार ने जल्दी से पता नोट किया और वायरलेस पर पैट्रोलिंग टीम को मैसेज दे दिया।

रात के सन्नाटे को चीरती हुई तेज सायरन की आवाज के साथ पुलिस की गाड़ी उस गाड़ी के पास आकर रुकी। जांच पड़ताल करने पर कहीं भी चोट का कोई निशान नहीं था। बस एक उंगली में कट का निशान लगा था। जिससे निकला खून सूख चुका था।

लाश को पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया गया। दो दिन बाद जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई तो सब हैरान रह गये। उस आदमी के शरीर में एक बूंद भी खून नहीं था। पूरा शरीर पीला पड़ा हुआ था। लेकिन खून सूख कैसे गया?

डॉक्टर ने बताया उसे सुनकर इंस्पेक्टर को विश्वास नहीं हुआ उसने कहा -‘‘इस उंगली के कट से किसी ने सारा खून चूस लिया है। यही इसके मरने का कारण है।’’

जांच करने पर पता लगा यह लाश पैंतिस साल के योगेश की है। उसके घर में उसकी पत्नी और एक सात साल की बेटी थी। लाश घरवालों को सौंप कर पुलिस ने खूनी की जांच और खून करने की वजह पता करने के लिये पूछताछ शुरू की, लेकिन तीन महीने तक जुटे रहने पर भी कुछ पता नहीं लग सका।

एक दिन रात को योगेश की पत्नी अपनी बेटी के साथ सो रही थी, तभी उसकी बेटी जाग गई और ‘‘पापा-पापा’’ चिल्लाने लगी।

उसकी मां ने उसे किसी तरह चुप करा कर पूछा – ‘‘बेटी क्या बात है क्या कोई सपना देखा है।’’ वह बोली- ‘‘नहीं मां पापा सामने खड़े थे और कह रहे थे अपनी उंगली में एक कट लगा ले, फिर वे मुझे ले जायेंगे। मम्मी जल्दी से मेरी उंगली में एक कट लगा दो।’’

योगेश की पत्नी को डर सताने लगा उसने बेटी को चुप करा कर सुला तो दिया लेकिन उसे खुद नींद नहीं आ रही थी। अगला दिन भी इसी डर में बीता। रात के समय दोंनो मां बेटी सो गईं। सुबह जब मां ने अपनी बेटी को देखा तो उसकी उंगली पर खून की एक बूंद जब कर सूख गई थी। पास ही सेफ्टी पिन पड़ी थी। बच्ची का पूरा शरीर पीला पड़ चुका था।

उसे जल्दी-जल्दी हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने जबाब दे दिया। योगेश की पत्नी ने पुलिस को सब कुछ बता दिया। पोस्टमार्टम के लिये लाश भेज दी गई। दो दिन बाद रिर्पोट में वही खून न होने की बात सामने आई।

इस बात को पन्द्रह दिन बीत चुके थे। घर में इकट्ठा हुए सभी रिश्तेदार भी धीरे धीरे वापस जा चुके थे। रात के समय योगेश की पत्नी सो रही थी। तभी उसे योगेश और उसकी बेटी दिखाई दी। वो दोंनो उसे भी कट लगाने के लिये कह रहे थे। उनकी बातों का उस पर ऐसा असर हुआ कि अगले दिन पुलिस को उसकी भी लाश मिली और हाथ की उंगली में एक छोटा सा कट था। ऐसा लगता था। जैसे किसी ने उसी कट से सारा खून पी लिया हो।

पूरे शहर में यह बात आग की तरह फैल गई। कई तांत्रिको ने न्यूज चैनलो पर बहस छेड़ दी उनकी नजर में ये नरपिशाचों का काम था। वे सबको अपने अंदर शामिल करना चाह रहे थे। अगले चार महीने में शहर के अलग अलग स्थानों पर इसी तरह की घटनाओं का पता लगने लगा।

जहां पहले घर का एक व्यक्ति मृत पाया जाता फिर वे अपने घर के बाकी सदस्यों को नरपिशाच बनने के लिये उंगली पर कट लगवाता और सारा खून पी लेता था।

इस खबर का असर यह हुआ कि अंधेरा होते ही पूरे शहर में सन्नाटा पसर जाता। लोग दिन में भी अकेले घर से बाहर नहीं जाते थे। सभी ने अपने घरों से चाकू और दूसरी धारदार चीजें फेंक दी। जहां तक कि कांच के बरतन भी हटा दिये। आदमियों ने डर के मारे शेव करना बंद कर दिया कहीं कोई कट लगे और नरपिशाच उनका खून पीने आ जाये।

कुछ दिन बाद हाईवे पर एक बाईक पर दो लोग जा रहे थे। बाईक फिसलने से दोंनो गिर जाते हैं उनके सर से खून बहने लगता है। दिन में ही दोंनो सड़क पर बेहोश पड़े थे। पुलिस वहां पहुंचती है तो पता लगता है दोंनो मर चुके हैं। बाद में पता लगता है कि इनकी मौत एक्सीडेंट की वजह से नहीं सर पर खून निकल आने से नरपिशाच इनका पूरा खून पी गया।

इस खबर के फैलते ही पूरे शहर में सन्नाटा पसर जाता है। लोग बाहर आना जाना अपने वाहन इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं शहर की सड़कों पर केवल पुलिस की गाड़ी सायरन बजाती घूम रही थी।

जो भी इंसान इन नरपिशाचों की बलि चढ़ता कुछ ही दिन में उसके पूरे परिवार का खून चूस कर मार दिया जाता था। मरने वालों को जब कुछ नहीं मिलता तो वे अपने घर की कांच की खिड़की तोड़ कर उंगली पर कट लगा लेते।

ऐसे ही एक परिवार पर पुलिस ने कड़ा पहरा लगा दिया। कि देखें कौन आता है खून चूसने। घर के सबसे छोटे लड़के ने रात को सिगरेट से अपनी उंगली को जला लिया फिर उसे कुरेदना शुरू किया जब खून निकलने लगा। तभी पुलिस आ गई। उन्होंने जो देखा सबके होश उड़ गये।

एक काला साया धुएं की शक्ल में आया और उस उंगली के जख्म से पूरा खून पीने लगा। कुछ ही देर में लड़का मर गया। लड़के के मरते ही वह साया भी गायब हो गया।

अपनी आंखों से देख कर पुलिस भी डर गई। पूरे शहर में लोग हर घर के लोग एक दूसरे को आपस में बांध कर रखने लगे कहीं अकेले में नरपिशाच उन्हें अपना शिकार न बना ले।

आने वाले कुछ महीने में शहर में लोगों की संख्या कम होती जा रही थी और नरपिशाचों की संख्या बढ़ती जा रही थी। एक भी इंसान गलती से बाहर निकला और उसकी लाश अगले दिन मिल जाती थी। जिस घर से एक भी इंसान मर जाता कुछ ही दिनों में उसका पूरा परिवार खत्म हो जाता था।

शहर की पुलिस के भी कई लोग मर चुके थे। शहर के लोग इस शहर को छोड़ना चाहते थे। लेकिन दिन दहाड़े मर जाने के डर से घरों में रहने को मजबूर हो गये। शहर का बाकी देश से जैसे नाता ही कट गया था। कोई भी सामान उस शहर में नहीं पहुंच पाता था।

शहर के सभी लोग घरों में भूखे मरने लगे। मजबूरी में उन्हें बाहर निकलना पड़ा बाहर आते वे मर जाते। पूरे शहर में नरपिशाचों का आतंक था। केवल एक मां काली के मंदिर के पुजारी थे। जो सुरक्षित थे। वे मंदिर के आंगन में लगे कई फलों के पेड़ों से फल तोड़ कर मां काली को भोग लगाते और खुद भी वहीं खाकर गुजारा करते। मंदिर के अंदर किसी बात का खतरा नहीं था।

मंदिर के पुजारी ने शहर को बचाने के लिये लगातार सात दिन तक जाप कर मां काली का आहवान किया। मां के आशीर्वाद से उन्होंने बहुत सारे काले धागों को अभिमंत्रित किया। इस जाप की शक्ति से पंडित जी बहुत शक्तिशाली हो गये। उन्होंने अपनी कलाई पर धागा बांधा और बाकी के धागे लेकर शहर में निकल पड़े सभी घरों में जाकर उन्होंने धागे बांधे।

अब सभी लोग घरों से बाहर निकलने लगे। नरपिशाच किसी को अपना शिकार नहीं बना पा रहे थे। खून न मिलने से उनकी शक्ति कमजोर होती जा रही थी।

इधर पंडित जी ने हर दिन शहर के अलग अलग स्थानों पर हवन करना शुरू कर दिया। जिसके मंत्रों के उच्चारण से सभी नरपिशाचों को मुक्ति मिलने लगी। पंडित जी ने पहले ही शहर के मुख्य द्वारा पर काला धागा बांध दिया था। जिससे कोई भी नरपिशाच शहर से बाहर न जा सके।

कुछ ही दिनों में पूरा शहर सामान्य हो गया। उस शहर के लोगो ने पंडित को मानना शुरू कर दिया। पंडित जी का बहुत मान सम्मान किया गया। इस तरह शहर के लोगों को नरपिशाचों से मुक्ति मिल गई थी।

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