आत्मा की पुकार | Short Horror Story in Hindi

Short Horror Story in Hindi
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Short Horror Story in Hindi : अमावस्या की वो रात जब बिल्कुल अंधेरा था। हाथ को हाथ नहीं दिखाई पड़ता था। ऐसी अंधेरी रात में निशांत अपनी कार से घर की ओर जा रहा था। वह जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता था।

तभी उसे रास्ते में एक आदमी काले कपड़े पहने चलता दिखाई दिया। निशांत आगे बढ़ रहा था तभी उसने हाथ दिया। निशांत गाड़ी रोकना नहीं चाह रहा था, लेकिन अचानक वह आगे आ गया।

जोर से ब्रेक लगा कर निशांत ने गाड़ी रोकी – उसे बहुत गुस्सा आया।

निशांत: क्या है मरना है क्या?

वह आदमी साईड वाली विंडो के पास आकर बोला –

आदमी: मरना नहीं बचाना है, तुझे, तेरे परिवार को, तेरे कारोबार को।

निशांत को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

आदमी: परेशान है फिर भी इतना गुस्सा। कारोबार तेरा चल नहीं रहा। परिवार बीमारी से परेशान है और तुझे नहीं पता तेरे उपर मौत का साया छाया हुआ है।

निशांत: तुम्हें यह सब कैसे पता।

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आदमी: इस अमावस्या की रात मैं तेरा ही इंतजार कर रहा था। मुझे पता था। तू हाईवे छोड़ कर इस सुनसान रास्ते से गुजरेगा। मुझे अपने साथ ले चल आगे मौत का साया तेरा रास्ता रोके खड़ा है।

निशांत डर गया उसने उस आदमी को अपनी गाड़ी में बिठा लिया। निशांत ने गौर से देखा काले कपड़े पहले वह कोई तांत्रिक था। गले में कई छोटी बड़ी माला पड़ी हुईं थी हाथ की हर उंगली में अंगूठी, उसका रंग भी सांवला था। आंखों में काजल लगाये हुए था।

निशांत ने सोचा कहीं इसे गाड़ी में बिठा कर कोई गलती तो नहीं कर दी, लेकिन इसकी बातों को सुनकर वो इसे बैठाने से रोक नहीं पाया।

निशांत चुपचाप गाड़ी चला रहा था। तभी उस तांत्रिक ने कहा –

तांत्रिक: रुक जा यहीं पर वो सामने देख जिन्न खड़ा है अगर तू आगे जायेगा तो तेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जायेगा।

निशांत: लेकिन बाबा मुझे तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है।

तांत्रिक: चुप रह वो तुझे बुला रहा है। तेरी मौत बन कर। चुपचाप गाड़ी की लाईट बंद कर दे।

निशांत ने ऐसा ही किया। गाड़ी की लाईट बंद करते ही सारे में गुप अंधेरा छा गया।

तभी निशांत ने तेज आवाज सुनी जैसे धड़ाम से कुछ गिरा है –

तांत्रिक: लाईट जला लगता है वो जा रहा है।

निशांत ने लाईट जला कर देखा तो रास्ते में एक बड़ा सा पेड़ गिरा पड़ा था।

निशांत: बाबा अभी तो वहां कुछ नहीं था।

तांत्रिक: चुप रह वह जिन्न गुस्सा होकर जा रहा है उसे पता लग गया कि मैंने तेरी रक्षा की है।

निशांत: लेकिन बाबा मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

तांत्रिक: वह चला गया। लेकिन गुस्से में यह पेड़ बीच में गिरा गया। यहां से गाड़ी मोड़ ले वैसे भी आगे जा नहीं सकते।

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निशांत: बाबा आपने मेरी जान बचा ली। बहुत बहुत धन्यवाद।

तांत्रिक: वो सब बाद में भाग यहां से ये जिन्न बहुत शक्तिशाली होते हैं।

निशांत गाड़ी मोड़ कर दौड़ा रहा था। फिर वह हाईवे पर पहुंच गया। शहर आने वाला था तभी तांत्रिक ने कहा –

तांत्रिक: गाड़ी रोक दे मुझे यहीं उतरना है।

निशांत: लेकिन बाबा इस सुनसान रास्ते पर आप कहां जायेंगे?

तांत्रिक: मुझसे सवाल मत कर चुपचाप घर चला जा कल रात को मैं तेरे घर आउंगा।

निशांत डर के मारे कुछ नहीं बोला और गाड़ी लेकर घर की ओर चल दिया।

घर पहुंच कर उसने अपनी पत्नि रेखा को सारी बात बताई।

रेखा: सुनिये मां-पिताजी को यह सब मत बताना। पिताजी पहले से बीमार हैं मांजी यह सब सुनेंगी तो डर जायेंगी।

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निशांत: अरे उस तांत्रिक ने मेरा पता तो पूछा ही नहीं वह यहां तक कैसे पहुंचेगा।

रेखा: वह सब छोड़िये आप सही सलामत आ गये यही काफी है।

अगले दिन रात को नौ बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया। निशांत ने गेट खोला। सामने वही तांत्रिक खड़ा था।

निशांत: बाबा आप आपको मेरा घर कैसे मिला

तांत्रिक: मुझे पूजा करनी है। तेरे घर में किसी का साया है।

तांत्रिक ने पूजा शुरू कर दी। तभी उसकी निशांत की मां तांत्रिक के सामने आकर बैठ गईं।

मां: तुझे भी खा जाउंगी।

तांत्रिक: किसने भेजा है तुझे यहां?

मांः इस परिवार को बर्बाद करना है।

तांत्रिक: सही सही बता क्या बात है?

मां: यह मुझे शमशान से साथ लाया।

तांत्रिक: कब ?

मां: इसका दोस्त मरा था। तब यह शमशान गया था। वहां इसके दोस्त के बराबर में मेरी चिता जल रही थी। यह जूते पहन कर उस पर चढ़ गया।

तभी मैं इससे बदला लेने इसके साथ आ गई।

तांत्रिक: निशांत ये सही बोल रही है?

निशांत: हां पता नहीं बाबा एक चिता जल तो रही थी पास में पर मुझे नहीं पता मैंने कब उस पर पैर रख दिया।

तांत्रिक: शमशाम में जूते पहन कर क्यों गया तू?

निशांत: बाबा गलती हो गई।

तांत्रिक: लड़का गलती मान रहा है, जा चली जा यहां से।

मां: नहीं इसके बाप को लेकर जाउंगी।

तांत्रिक: मेरे साथ चल मैं तुझे मुक्ति दिलाउंगा।

मां: मुझे मुक्ति नहीं मिल सकती। मेरी बेटी भूखी है।

तांत्रिक: कहां है तेरी बेटी?

मां: जमना के पीछे झुग्गी में है। उसे भूखा छोड़ कर मैं भीख मांगने निकली थी। तभी एक ट्रक चढ़ गया। मेरी बेटी मेरा इंतजार कर रही है।

तांत्रिक: तेरी बेटी का इंतजाम हो जायेगा। चल मेरे साथ।

तभी निशांत की मां बेहोश हो गई।

तांत्रिक: तुम्हें इसकी बेटी को पालना होगा तभी इसकी आत्मा को शांति मिलेगी। जल्दी बोलो।

रेखा: ठीक है बाबा हम पालेंगे। लेकिन पिताजी को ठीक कर दीजिये।

निशांत ने भी उसकी हां में हां मिलाई।

तांत्रिक और निशांत उस झुग्गी में गये। वहां झुग्गी वालों से बात की और निशांत ने उस बच्ची को गोद ले लिया।

उसके बाद न तो वह तांत्रिक नजर आया न वह चुड़ेल।

निशांत का परिवार बहुत खुशहाल हो गया। उसके पिता स्वस्थ हो गये। कारोबार फिर से चलने लगा।

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Image Source : Playground

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