मुझे I-Phone चाहिये | An Emotional Heart Touching Story

An Emotional Heart Touching Story
An Emotional Heart Touching Story

An Emotional Heart Touching Story : अजय स्कूल से वापस आया। वह लिफ्ट में घुसा तभी उसी के फ्लोर पर रहने वाला राकेश मिल गया। वह अजय के ही स्कूल में ही पढ़ता था।

अजय ने पूछा – ‘‘क्या हुआ आज स्कूल नहीं गया।’’ यह सुनकर राकेश बोला – ‘‘मेरे पापा आज मुझे घुमाने ले गये थे और जानता है उन्होंने मुझे क्या दिया।’’ यह कहकर उसने जेब से आई फोन निकाल कर दिखाया।

अजय यह देख कर हैरान रह गया – ‘‘अभी से आई फोन मेरे पापा तो मुझे सिंपल सा फोन भी नहीं लेने देते।’’

यह सुनकर राकेश हसने लगा – ‘‘किस दुनिया में रहते हो तुम लोग, आई फोन के बिना आज कर कुछ होता है। जिसके पास आई फोन नहीं लोग उसे गरीब मानते हैं।’’

कुछ ही देर में दोंनो का फ्लोर आ गया। अजय अपने घर पहुंचा वह आज बहुत परेशान था। सीधा अपने कमरे में चला गया।

अजय संतोष जी और राधिका जी का इकलौता बेटा था। संतोष जी एक कंपनी में नौकरी करते थे। उनकी सैलरी से फ्लेट और गाड़ी की ई एम आई निकल जाती तो कुछ बचता नहीं था। बस किसी तरह गुजारा हो रहा था। इस अपार्टमेंट में शिफ्ट होते ही उनके खर्चे डबल हो गये थे, स्टेटस के चक्कर में गाड़ी भी लेनी पड़ गई।

राधिका जी अजय के कमरे में गईं – ‘‘क्या बात है बेटा, तबियत ठीक नहीं है क्या? चल खाना खा ले।’’

अजय ने लेटे लेटे ही जबाब दिया – ‘‘मुझे भूख नहीं है।’’ राधिका जी समझ गईं कि किसी बात पर गुस्सा है। वो बोली – ‘‘मुझे बता बात क्या है? क्या स्कूल में किसी ने कुछ कह दिया।’’

अजय उठ कर बैठ गया – ‘‘मम्मी पता है। मेरे सारे दोस्तों के पास आई फोन है। बस एक राकेश के पास नहीं था। आज उसके पापा ने भी उसे आई फोन दिला दिया। अगर गरीब बन कर रहना था, तो यहां आने की क्या जरूरत थी।’’

राधिका जी को एक बार तो बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर भी उन्होंने बात को संभालते हुए कहा – ‘‘बेटा ऐसा नहीं कहते। तुझे पता है हमने कितनी मुशिकल से यह फ्लेट खरीदा है। उसकी ई एम आई, गाड़ी की ई एम आई, इसके बाद बहुत मुशिकल से घर का खर्च चल पाता है।’’

अजय रूठ कर बैठा था वह बोला – ‘‘बस यही सब बहाने लगाते रहो। पापा को बोले न कोई बड़ी कंपनी ढूंढ ले, जहां अच्छी सैलरी मिले।’’

राधिका जी को अब गुस्सा आ गया था – ‘‘हां तुझे लगता है तेरे पापा जानबूझ कर कम सैलरी की नौकरी कर रहे हैं। जानता भी है कुछ बड़ी कंपनी से हर दिन लोग निकाले जा रहे हैं और हां कान खोल कर सुन ले कोई आई फोन नहीं आ रहा है। तेरे स्कूल की फीस भर रहे हैं वही काफी है। अपनी पढ़ाई कर इन सब चक्करों में मत पड़।’’

मम्मी को गुस्से में देख कर एक बार अजय को लगा कि अगर ज्यादा बोला तो मम्मी मारना भी शुरू कर देगी। इसलिये वह चुप हो गया और मुंह फेर कर सो गया।

शाम को संतोष जी घर आये – ‘‘अजय ये मैं क्या सुन रहा हूं। आज तुम फिर से आई फोन की जिद पकड़ कर बैठ गये। मैं तुम्हें आई फोन नहीं दिलवा सकता। हां जब तुम स्कूल खत्म कर लोगे तो एक सस्ता सा फोन तुम्हें मिल जायेगा। इससे ज्यादा की उम्मीद मुझसे मत करना।’’

‘‘पापा आपको पता है जिस सोसाईटी में आप हमें ले आये हो, वहां और मेरे स्कूल में सबके पास आई फोन है, सब मुझसे अच्छे कपड़े पहनते हैं। सबके पास बाईक है। हमें यहां आना ही नहीं चाहिये था।’’

संतोष ने अजय को अच्छे से डाट कर समझा दिया, तब से अजय उनसे कम ही बात करता था। एक दिन संतोष जी सुबह सोकर उठे तो उन्होंने देखा अजय घर पर नहीं है। संतोष जी उसे ढूंढने गये लेकिन वह कहीं नहीं मिला। वे घर आये तो रधिका जी बैठी रो रहीं थीं उन्होंने एक खत संतोष जी को पकड़ा दिया।

उसमें लिखा था – ‘‘पापा मैं घर छोड़ कर जा रहा हूं। मैं अब कुछ बन कर ही वापस लौटूंगा। एक एक चीज के लिये मन मार कर मैं नहीं रह सकता।’’

संतोष जी सिर पकड़ कर पलंग पर बैठ गये।

इधर अजय ट्रेन पकड़ कर सीधा मुंबई पहुंच गया। उसे यकीन था, कि एक दिन वह बड़ा आदमी बन जायेगा।

स्टेशन से बाहर आते ही चारों तरफ भीड़ दिख रही थी। अजय एक होटल के सामने से गुजरा उसे भूख लगी थी। वह उस होटल में गया। वहां एक वेटर आया। उससे खाने का ऑडर ले गया। कुछ देर में एक कमजोर सा आदमी जिसकी उम्र लगभग पैंतालिस साल की थी। खाना टेबल पर लगा गया।

अजय खाना खाकर जब होटल के मालिक को पैसे देने गया तो उसने कहा – ‘‘ये जो सामने आदमी है। बहुत कमजोर है इसे हटा कर किसी ढंग के मजबूत आदमी को काम पर रखो। यह क्या ही काम कर पाता होगा।’’

‘‘बेटा यह आदमी बहुत अमीर बाप की औलाद है। लेकिन आज से बीस साल पहले यह किसी बात पर अपने घरवालों से नाराज होकर यहां आ गया। बहुत ढूंढने के बाद भी जब इसे कोई ढंग का काम नहीं मिला तो पेट पालने के लिये यह हमारे यहां काम करने लगा। कुछ साल बाद यह वापस अपने घर गया, लेकिन तब तक इसके माता पिता इसे याद करते करते मर गये थे। सारी संपत्ति पर इसके रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया था। फिर यह वापस यहीं आ गया। तब से चुपचाप काम करता रहता है। शायद यह अपनी गलती का प्रायश्चित कर रहा है।’’

होटल के मालिक की बात सुनकर अजय के पैरों तले जमीन खिसक गई उसने अपने पापा को फोन किया – ‘‘पापा मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मैं आपसे कभी कुछ नहीं मागूंगा। मैं कल तक वापस आ जाउंगा।’’

संतोष जी ने पूछा – ‘‘बेटा तू कहां है मैं तुझे लेने आ जाता हूं।’’

‘‘नहीं नहीं पापा बस मैं आ रहा हूं।’’ कहकर अजय ने फोन काट दिया। रात की ट्रेन पकड़ कर वह घर के लिये रवाना हो गया।

जीवन का वो सबक जो उसके पापा उसे न सिखा पाये उसने ठोकर खाकर जान लिया था।

गीता की किस्मतसोने की कलम
अकेलापनजीवन का सुख
कोमल मनबुढ़ापे की लाठी
चुड़ेल के कहर से कौन बचेगाचुड़ेल का कहर
चांद की चांदनीमजबूरी
खजाने की चाबीपैसे का घमंड
पानी की प्यासगरीब की दोस्ती
मेरे पापा को छोड़ दोबेटी की जिद्द
नीलम की मौसी आलस की कीमत
चुड़ेल का सायागुमशुदा

Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.