गंगा जी की कमाई | Poor Boy Story Hindi

Poor Boy Story Hindi
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Poor Boy Story Hindi : आज कई साल बाद हरिद्वारा जाने का मौका मिला। सौरभ ने जल्दी जल्दी अपनी कार में सामान रखा और अपनी पत्नी संगीता को आवाज दी।

सौरभ: संगीता जल्दी करो सुबह जल्दी निकलेंगे जो ट्रेफिक जाम नहीं मिलेगा।

संगीता: बस दो मिनट आ रही हूं।

कुछ ही देर में कार हाईवे पर दौड़ने लगी।

सौरभ: अगर जाम नहीं मिला तो दस बजे तक हरिद्वार पहुंच जायेंगे।

संगीता: आप आराम से गाड़ी चलाइये जल्दी क्या है। थोड़ा देर से भी पहुंच जायेंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

सौरभ: चिन्ता मत करो हाईवे इतने बढ़िया बन गये हैं कि अपने आप सपीड बढ़ जाती है।

दोंनो की कार हवा से बातें करते हुए मंजिल की ओर जा रही थी।

सौरभ: संगीता एक बात याद रखना हमें गंगाजल लाना है। घर में गंगा जल बिल्कुल खत्म हो गया है। मैं भूल गया तो याद दिला देना।

संगीता: आप चिन्ता न करें। वैसे एक बात कहूं। दिन रात की भागदौड़ से थोड़ा समय निकाल कर घूमने जाना कितना अच्छा लग रहा है, वो भी गंगा में स्नान करने का सौभाग्य मिल रहा है।

सौरभ: हां मैं भी सोच रहा था, कम से कम छः महीने में एक बार कहीं जाना जरूर चाहिये आगे से ऐसा ही करेंगे। चाहें कितना भी काम हो घूमने का प्लान जरूर बनायेंगे।

बातें करते करते दोंनो अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। रास्ते में एक ढाबे पर खाना खाया और कुछ ही दूर पेट्रोल पंप पर टंकी भरवा कर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर।

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हरिद्वारा पहुंचते ही जो उन्होंने देखा उसे देख कर सौरभ बोला –

सौरभ: संगीता यहां का तो नजारा ही बदल गया है। इतने सारे पुल इतनी भीड़ पहले यह सब कहां था।

संगीता: हां सच कह रहे हो।

दोंनो ने एक होटल में कमरा लिया और वहां सामान रख कर हर की पौड़ी की ओर चल दिये स्नान करने।

वहां काफी भीड़ थी। तभी उन्हें एक सात आठ साल का बच्चा मिला। वे उनके पीछे साहब साहब कहकर चल रहा था।

सौरभ: क्या चाहिये तुझे क्यों पीछे पड़ा है?

बच्चा: साहब मैं एक ऐसी जगह जानता हूं जहां बहुत कम भीड़ है आप वहां नहा लेना।

सौरभ: अच्छा चल बता।

वह बच्चा उन्हें पास ही बने एक दूसरे घाट पर ले गया जहां केवल दस बारह लोग नहा रहे थे।

सौरभ और संगीता को बहुत अच्छा लगा। सौरभ ने उस बच्चे को दस रुपये दिये जिसे उसने रख लिया फिर वह बोला –

बच्चा: साहब गंगा जल चाहिये तो बता देना।

सौरभ: गंगा जल तो यहीं से भर लेंगे। वैसे तेरा नाम क्या है?

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बच्चा: मेरा नाम भोला है। साहब यहां तो सब लोग नहा रहे हैं गंदा पानी है। मैं उस पुल से बीच धार में कूद कर गंगा जल लाता हूं। उसके दौ सो रुपये लगेंगे।

संगीता: नहीं नहीं हम तो यहीं से भर लेंगे।

सौरभ: वैसे बच्चा ठीक कह रहा है। यहां सब नहा रहे हैं अगर बीच धार में से गंगा जल मिल जाये तो बढ़िया रहेगा।

भोला: साहब आप ढेड़ सौ दे देना। वैसे भी सुबह से कोई काम नहीं हुआ है।

सौरभ: लेकिन तू कूदेगा तुझे तैरना आता है?

भोला: साहब हमारा ये ही काम है रोज दस बार गंगा में कूदते हैं। कभी आप जैसे ग्राहक मिल गये तो ठीक नहीं तो गंगा में नीचे जाकर सिक्के, सोना, चांदी ढूंढते हैं।

संगीता: तुझे डर नहीं लगता कहीं डूब गया तो?

भोला: नहीं पेट पालने के लिये सब करना पड़ता है। साहब आप पचास रुपये दे दो सौ जब मैं गंगा जल आपको दूं तब दे देना। आप देखते रहना आपके सामने ही उस पुल से कूदूंगा।

सौरभ उसे पचास रुपये दे देता है। भोला पैसे लेकर पुल की ओर भागने लगता है।

संगीता: अब यह नहीं आयेगा। गये पचास रुपये पानी में।

सौरभ: कोई बात नहीं।

कुछ ही देर में उन्होंने देखा भोला पुल के उपर चढ़ गया उसके हाथ में एक प्लास्टिक की केन थी। वह झट से नीचे कूद गया। यह देख कर सौरभ और संगीता डर गये। वह बहुत देर तक भोला को देखते रहे। कुछ देर बाद भोला पानी की केन लेकर आया।

सौरभ: तुम तो बहुत बहादुर हो। यह लो अपने पैसे।

संगीता: तुम यह काम कब से कर रहे हो, गंगा में कूदते क्यों हो एक रस्सी डाल कर भी तो केन भर सकते हो।

भोला: पुल पर पुलिस वाले हैं वो पकड़ लेते हैं। उनसे छुप कर कूदना पड़ता है। रस्सी से केन वो भरने नहीं देंगे। क्योंकि फिर तो सभी लोग रस्सी डालने लगेंगे।

सौरभ: घर में कौन कौन है?

भोला: घर में मां है और एक छोटी बहन है। मां घरों में काम करती है।

सौरभ: दिन में कितना कमा लेते हो?

भोला: साहब आप जैसे मिल जायें तो पांच-छः सो बन जाते हैं नहीं तो सौ-दौ सो के सिक्के मिल जाते हैं बस कभी कभी किस्मत अच्छी हो तो सोना चांदी हाथ लग जाता है।

इतना कहकर वह फटाफट सौ का नोट लेकर भाग गया। वहां और लोगों से पूछ रहा था गंगा जल के लिये।

सौरभ: संगीता हम लोग कितने पैसे कमाते हैं। ऐसी ऑफिस में बैठ कर भी अपने काम से बोर हो जाते हैं। इस बच्चे को देखो जो रोज अपनी जान जोखिम में डाल कर घर का खर्च चला रहा है।

संगीता: गंगा मैया इसका पेट पाल रही हैं। न जाने कितने बच्चे इसी तरह मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का पेट पालते हैं।

वहां से बाहर आकर हमने खाना खाया फिर कुछ देर उसी पुल पर जाकर खड़े हो गये। वहां और भी बच्चे गंगा में कूद रहे थे। कुछ आगे जाने पर देखा पुलिस वालो ने कुछ बच्चों को पकड़ रखा है। वो पुलिस वाले के पैर पकड़ कर छोड़ने के लिये कह रहे थे। पुलिस वाले उनसे पैसे लेकर उन्हें छोड़ देते हैं।

यह सब देख कर मन को बड़ा दुःख हुआ। एक छोटा सा बच्चा जिन्दगी का कितना बड़ा सबक सिखा गया कि किस्मत से लड़कर अपने परिवार के लिये दो वक्त की रोटी कैसे कमाई जाती है।

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