चालाक बनिया | Lalach Buri Bala Kahani in Hindi

Lalach Buri Bala Kahani in Hindi
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Lalach Buri Bala Kahani in Hindi : एक गांव में एक बनिया रहता था उसका नाम लालचंद था। वह सीधे सादे गांव वालों से पैसे ऐठने की तरकीब लगाता रहता था।

एक दिन उसकी दुकान पर एक किसान आया

किसान: लालाजी मुझे घर का सामान चाहिये अभी पैसे नहीं हैं फसल कटने पर दे दूंगा।

लालचंद: लेकिन फसल तो दो महीने बाद कटेगी। तब तक तो मेरा ब्याज कौन देगा। एक काम कर दो महीने का राशन ले जा और फसल का आधा मुझे दे देना।

किसान मान जाता है। लालचंद उससे कागज पर अंगूठा लगवा लेता है।

दो महीने बाद जब फसल कट जाती है तो लालचंद अपना हिस्सा लेने पहुंच जाता है।

किसान: लाला जी फसल तो बहुत अच्छी हुई है। अगर में आधी फसल बेच दूं तो छः महीने का राशन आ जायेगा। आप दो महीने के हिसाब से फसल ले लीजिये।

लालचंद: तुझे पता है मैं जब तूने कागज पर अंगूठा लगाया था तब तेरी फसल कच्ची थी। मैं दिन रात दुआ मांग रहा था तब अच्छी फसल हुई अब यह आधी फसल मेरी है चाहें वह छः महीने के बराबर हो या एक महीने के अगर फसल खराब हो जाती तो क्या तू मुझे पैसे देता।

लालचंद आधी फसल गाड़ी में लाद कर अपने घर चला जाता है। किसान सिर पकड़ कर बैठ जाता है।

गांव वाले लालचंद से बहुत परेशान थे। लेकिन गांव में वही एक पैसे वाला था। जिससे गांव वालों को उधार लेना पड़ता था। साथ ही उसी की एक दुकान थी। जिससे समान लेना पड़ता था।

एक दिन गांव में एक लड़का आया –

लड़का: लालचंद तुम तो भोले भाले गांव वालों को बहुत महंगा सामान बेचते हो। शहर में ये सब बहुत सस्ता मिलता है।

लालचंद: तू कौन है?

लड़का: पहचाना नहीं सेठ मैं बनवारी का लड़का हूं। जिसे बचपन में तुमने मारा था। मैं शहर चला गया था। अब पढ़ लिख कर वापस आया हूं।

लालचंद: एक काम कर मुझे माफ कर दे ये सब बातें किसी गांव वाले को मत बताना तू मेरी दुकान पर नौकरी कर ले मैं बदले में तुझे अच्छी तन्ख्वाह दूंगा साथ ही घर का राशन भी दे दिया करूंगा।

लड़का मान जाता है। वह लालचंद की दुकान पर नौकरी कर लेता है। पूरा गांव उस लड़के को जानता था। जब भी लालचंद की दुकान पर उधार मांगने आता।

लड़का उसे इशारे से सब बता देता वह गांववाला कम से कम ब्याज पर पैसे उधार लेता। कुछ तो मना करके वापस चले जाते। लालचंद जब दुकान से घर चला जाता तो वह लड़का चुपचाप उसके खाते में से अंगूठा लगे कागज फाड़ कर गांव वालो को दे देता।

कुछ दिनों बाद लालचंद ने देखा की फसल कटने का टाईम आ रहा है वह पहुंच गया खेतों पर। इस बार गांव वाले भी तैयार थे। उस लड़के ने गांव वालों को पहले ही बता दिया था कि लालचंद कैसे उन्हें लूटता है।

लालचंद: चलो अपने लिखे के हिसाब से अपनी फसलों का हिस्सा मेरी गाड़ी में रखवा दो।

किसान: लाल भाग जा यहां से हमने तुझसे कुछ उधार नहीं लिया।

लालचंद: ये देखो मेरे खाते में अंगूठा लगा है।

सब गांव वाले हसने लगते हैं।

लालचंद जब खाता देखता है तो उसमें एक भी अंगूठा लगा कागज नहीं होता।

तभी वह लड़का पीछे से आ जाता है।

लड़का: सेठ जी बहुत लूट लिया तुमने गांव वालों को वह देखो गांव के बाहर हमने सरकारी दुकान खुलवा दी है। जहां सस्ता सामान मिलेगा। साथ ही गांव वालों को उधार देने के लिये ग्रामीण बेंक भी खुलने वाला है।

लालचंद: चोर इसीलिये मेरी दुकान पर नौकरी की थी। में तुझे छोड़ूंगा नहीं।

लड़का: लाला भाग जा यहां से मैं सरकारी ग्रामीण बैंक का कर्मचारी हूं। बैंक के लिये सर्वे करने आया था। यहां इन गांव वालों से तेरी लूट का पता लगा तो बैंक खोलने की जरूरत समझ में आई। अब ज्यादा बोला तो पुलिस में शिकायत कर दूंगा। सरकारी आदमी को धमकी देने के लिये दो साल की कैद हो जायेगी।

यह सुनकर लालचंद वहां से भाग जाता है।

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