Picnic Story in Hindi : प्रिया की उम्र पांच साल थी। वह पिछले साल से ही उसकी मां निम्मी जी ने स्कूल भेजना शुरू किया था। घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी।
बड़ा सा घर था। नौकर चाकर लगे रहते थे। बाहर पार्किग में कई गाड़ियां खड़ी रहती थीं। प्रिया का जिस गाड़ी में जाने का मन करता ड्राईवर वही गाड़ी लाकर सामने खड़ी कर देता था।
एक दिन प्रिया स्कूल से आई और बोली – ‘‘मम्मी मैं कल से स्कूल नहीं जाउंगी।
निम्मी जी ने उसे आश्चर्य से देखा – ‘‘क्या बात है बेटी किसी ने कुछ कहा स्कूल में या किसी से लड़ाई हो गई।
प्रिया ने मुंह बनाते हुए कहा – ‘‘वहां सब मुझे चिढ़ाते हैं। वे मेरी गाड़ी को देख कर चिढ़ते हैं। मेरी क्लास में मैं ही अकेली गाड़ी से जाती हूं। बाकी सब स्कूल बस से या पैदल जाते हैं।
निम्मी जी ने कहा – ‘‘लेकिन बेटी इसमें चिढ़ने की क्या बात है कुछ दिन में सब चुप हो जायेंगे। औरों की बातों पर इतना ध्यान मत दिया करो।
प्रिया बोली – ‘‘मैं कल से बस में स्कूल जाउंगी।’’
निम्मी उसे बहुत समझाती रहीं लेकिन वह नहीं मानी और अगले दिन स्कूल नहीं गई। निम्मी जी ने अपने पति प्रशांत जी से बात की तो वो बोले – ‘‘कोई बात नहीं मैं स्कूल जाकर बात कर लूंगा कुछ दिन जाने दो इसे बस में फिर वापस कार से जाने लगेगी।’’
अगले दिन प्रशांत जी स्कूल में बात कर आये। तीसरे दिन प्रिया बस से स्कूल पहुंच गई। आज उसे किसी ने नहीं चिढ़ाया था। प्रिया बहुत खुश थी।
अब वह हर दिन बस से स्कूल जाने लगी।
प्रिया की दोस्ती धीरे धीरे होने लगी। उसके दोस्तों का एक ग्रुप बन गया था। एक दिन स्कूल की ओर से सभी को पिकनिक पर जाने के लिये कहा गया प्रिया ने अपने घर आकर बताया।
निम्मी जी ने कहा – ‘‘बेटी तू तो बहुत छोटी है अपना ध्यान कैसे रखेगी। इस साल रहने दे अगले साल चली जाना।’’
यह सुनकर प्रिया गुस्सा हो गई – ‘‘आपको पता है मेरे सारे दोस्त जा रहे हैं आप ही ज्यादा डरते हो।’’
निम्मी जी बहुत देर तक उसे समझाती रहीं लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे पिकनिक पर भेजने को तैयार हो गईं।
इस शनिवार को पिकनिक पर जाना था। निम्मी जी ने सारी तैयारी कर दी थी। बिस्कुट, नमकीन, पेस्ट्री, सब उसके छोटे से बेग में सजा कर रख दी थी। साथ ही जूस और पानी की बोतल भी।
सभी समय पर सभी बच्चे पिकनिक के लिये रवाना हुए। शहर से बहुत दूर एक हिल स्टेशन पर सभी बच्चे पहुंच गये। प्रिया की क्लास टीचर ने कहा – ‘‘सब बच्चे अपने ग्रुप के साथ इसी मैदान में खेलना इधर उधर मत चले जाना कोई परेशानी हो तो मुझे बता देना।’’
बच्चे खेल में लग गये। सभी टीचर एक जगह बैठ कर उन्हें देख रहीं थीं साथ ही खुद भी पिकनिक का आनन्द ले रहीं थीं।
प्रिया को बहुत मजा आ रहा था। वह पहली बार अपने दोस्तों के साथ बाहर आई थी। वह बड़बड़ाने लगी – ‘‘मम्मी तो बेकार में ही डरती रहती हैं।’’
कुछ देर बाद सभी बच्चे थक गये और खाना खाने बैठ गये। प्रिया को भी जोर से भूख लग रही थी। तभी उसे याद आया – ‘‘ओहो मैं तो अपना बैग बस में ही भूल आई अब क्या होगा टीचर को बोलूंगी तो गुस्सा करेंगी। ऐसा करती हूं खुद ही अपना बैग ले आती हूं।’’ वह टीचर की नजरों से बच कर बस की ओर चल दी।
कुछ देर बाद शाम होने को थी वापस जाने का समय हो गया था। सभी बच्चों को बस में बिठाने से पहले उनकी गिनती शुरू हुई लेकिन एक बच्चा गिनती में कम पाया गया। फिर नाम से सबकी गिनती शुरू की गई तो पता लगा प्रिया उनमें नहीं थी।
यह देख कर सभी टीचरर्स के हाथ पांव फूल गये। उसके ग्रुप के बच्चों से पूछा तो वे बोले – ‘‘मेडम खाना खाने से पहले तो प्रिया उनके साथ थी उसके बाद नहीं थी।’’ सभी बच्चों को बस में बिठा कर टीचर प्रिया को ढूंढने लगे। इधर उधर बहुत तलाश किया लेकिन प्रिया का कहीं पता नहीं था। इधर शाम गहराती जा रही थी। कुछ ही देर में अंधेरा होने वाला था।
कुछ देर बाद उन्हें गांव के कुछ लोग जाते दिखे वे किसान थे और अपने खेत से काम करके वापस घर जा रहे थे।
एक टीचर उनके पास गये और प्रिया के बारे में पूछा उनमें से एक बोला – ‘‘क्या कह रहे हो साहब आपने बच्चे को इधर उधर जाने क्यों दिया हमारे गांव से पिछले दिनों बहुत से बच्चे गायब हो गये उनका आज तक कुछ पता नहीं चल पाया।’’
यह सुनकर टीचर और घबरा गये। उन्होंने फटाफट कुछ टीचर के साथ बाकी बच्चों को वहां से रवाना कर दिया। और खुद पुलिस स्टेशन पहुंच गये।
पुलिस इंस्पेक्टर को सारी बात बताई तब उन्होंने कहा – ‘‘आप सबसे पहले इसके मम्मी पापा को खबर कीजिये। फिर मेरे साथ चलिये गांव में पूछताछ करते हैं शायद किसी ने बच्ची को देखा हो।
गांव में पूछताछ शुरू हुई लेकिन प्रिया का कुछ पता नहीं लग पाया कुछ देर बाद निम्मी जी और प्रशांत जी भी वहां पहुंच गये। निम्मी जी का रो रो कर बुरा हाल था। प्रशांत जी पुलिस इंस्पेक्टर से बात कर रहे थे।
पूछताछ करते करते जब बात गांव में फैली तो एक किसान जिसका नाम हरिया था। वह सामने आया और बोला – ‘‘साहब मैंने कलुआ को कंबल में किसी को छुपा कर ले जाते हुए देखा था। मैंने उससे पूछा तो बोला मेरी बेटी है इसे तेज बुखार है शहर ले जा रहा हूं। मैंने उसे पुरानी हवेली की ओर जाते देखा था। उस समय तो मुझे कुछ याद नहीं आया लेकिन कुछ समय बाद मुझे याद आया कि कलुआ के तो कोई बेटी है ही नहीं।’’
गांव वालों के साथ पुलिस टीम निम्मी जी और प्रशांत जी को लेकर पुरानी हवेली में पहुंच गई।
काफी देर ढूंढने के बाद एक बंद कमरे से किसी के रोने की आवाज आ रही थी।
कमरे का दरवाजा खोला गया तो अंदर प्रिया सामने रस्सी से बंधी हुई थी। पास ही दो और बच्चे बंधे हुए थे। इन सबको कलुआ अगले दिन भिखारी गैंग को बेचने जाने वाला था।
प्रिया को छुड़ा कर उसके माता पिता को सोंप दिया। पुलिस इंस्पेक्टर ने सभी गांव वालों को छिपने के लिये कहा जिससे कलुआ को पकड़ा जा सके।
सभी हवेली में छिप गये। कुछ देर बाद कलुआ खाना लेकर आया। पुलिस इंस्पेक्टर ने उसे धर दबोचा।
बाकी दोंनो बच्चे उसी गांव के थे उन्हें उनके मां-बाप के पास पहुंचा दिया गया।
प्रिया घर आ गई थी। वह बहुत डर गई थी। अगले दिन निम्मी ने पूछा तो उसने बताया – ‘‘मम्मी जब में बस से अपना बैग लेकर वापस आ रही थी। तब मुझे किसी ने पीछे से पकड़ लिया उसने मेरा मुंह बंद कर दिया और वह जल्दी से बस के पीछे से घूम कर इस हवेली में पहुंच गया। वहां मुझे बांध दिया।’’
प्रशांत जी ने कहा – ‘‘बेटा डरो मत वह पकड़ा गया तुम्हारे ही कारण और दो बच्चे भी अपने माता पिता से मिल पाये।
प्रिया कई दिन तक स्कूल नहीं गई। वह गुमशुम सी बैठी रहती थी। एक दिन शाम को उसके स्कूल के दोस्त उससे मिलने घर आये वे प्रिया के साथ खेलने लगे। फिर प्रिया का डर दूर हो गया। वह अगले दिन से स्कूल जाने लगी।
स्कूल में सभी उसे जानने लगे थे। सभी टीचर सभी स्टूडेंट छोटी सी प्रिया का बहुत ध्यान रखते थे। इतने बड़े हादसे से निकल कर वह बहादुर बच्ची पूरे स्कूल में चहकती रहती थी।
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