Ant Story in Hindi : एक गांव में एक पेड़ के नीचे बहुत सी चींटी एक सुरंग बना कर रहती थीं। उनकी रानी चींटी। बहुत शान से रहती थी।
बाकी सभी चीट्यिां उसका बहुत ध्यान रखती थीं। वे उसके लिये खाना लाती थीं। एक दिन रानी चींटी अपनी सुरंग के बाहर घूम रही थी। तभी उसने देखा एक छोटा बच्चा सिर पर टोपी लगाये घूम रहा था।
रानी चींटी: तुम सभी चींट्यिों सुन लो मुझे एक सुन्दर सी टोपी चाहिये। गांव के दर्जी से पूछ कर आओ क्या वो मेरे लिये टोपी बना देगा।
कुछ चिंट्यिां दर्जी से पूछने जाती हैं।
दर्जी: बना दूंगा लेकिन अपनी रानी चींटी के सर का नाप लेकर आओ।
चिंट्यिां वापस आकर रानी चींटी को सारी बात बताती हैं।
रानी चींटी: उससे कहो वह कल मेरा नाप लेने आये।
दर्जी मना कर देता है क्योंकि उसके पास इतना छोटा फीता नहीं था।
रानी चींटी यह सुनकर उदास हो जाती है। उसे देख कर बाकी सारी चींट्यिां भी परेशान हो जाती हैं। फिर वे एक ऐसे दर्जी की तलाश में जाती हैं जो रानी चींटी के लिये हेट बना सके।
लेकिन उन्हें कोई नहीं मिलता। इधर रानी चींटी को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह खाना भी कम खा रही थी। वह दिन भर अपनी सुरंग में आईने के सामने बैठी रहती।
रानी चींटी: काश कोई मेरे लिये सुन्दर सी टोपी बना देता।
वहीं पास में दूसरे बिल में एक चुहा रहता था। वह रानी चींटी की बात सुन लेता है। चुहा उसके पास जाता है।
चुहा: बहन चिंता मत करो मेरी पत्नी तुम्हारे लिये टोपी बना देगी।
यह सुनकर रानी चींटी बहुत खुश हो जाती है। इधर चुहा अपनी चुहिया से इस बारे में बात करता है। चुहिया अपनी पूंछ से रानी चींटी के सार का नाप ले लेती है और फिर एक सुन्दर सी टोपी बना कर दे देती है।
रानी चींटी उस टोपी को देख कर बहुत खुश होती है। उसे देख कर सभी चींट्यिां खुश हो जाती हैं।
रानी चींटी: आप दोंनो ने मेरी इच्छा पूरी की अगर मैं आपके कोई काम आ सकूं तो मेरी सारी चींट्यिां आपकी सेवा में हाजिर हैं।
चुहा: नहीं बहन हमने ये सब अपनी मर्जी से किया है।
रानी चींटी: वैसे आपको कभी भी हमारी जरूरत हो तो हम आपके लिये अपनी जान भी दे देंगी।
कुछ दिन बाद गांव में बहुत तेज बारिश होती है। चुहा चुहिया और सारी चींट्यिां पेड़ के उपर चढ़ जाती हैं।
तभी एक हाथी बारिश में नहाता हुआ वहां से गुजर रहा था। चुहा उसे देख कर हसने लगा उस हाथी को लगा ये मेरी मजाक उड़ा रहा है। उसने पेड़ में जोरदार टक्कर मारी जिससे चुहा और चुहिया नीचे गिर गये। दूर से चींट्यिां ये सब देख रही थीं।
हाथी जैसे ही अपने पैरों के नीचे उन्हें कुचलने के लिये आगे बढ़ा। कुछ चींट्यिां हाथी की सूंड में घुस गईं और इधर उधर काटने लगीं।
हाथी। सब भूल कर सूंड को इधर उधर हिलाने लगा। इसी बीच मौका पाकर चुहा और चुहिया वहां से भाग जाते हैं और छिप कर उसी पेड़ पर बैठ जाते हैं। हाथी की सूंड में से चीटिंया निकल कर जल्दी से पेड़ पर चढ़ जाती हैं।
हाथी जब देखता है कि चुहा चुहिया भाग गये तो वह इधर उधर ढूंढने लगता है। कुछ देर बाद वह वापस जंगल में चला जाता है।
चुहा: आपका बहुत धन्यवाद अगर आप हमारी मदद नहीं करती तो हम दोंनो आज मर चुके होते।
रानी चींटी: आपने भी तो मेरे लिये बहुत कुछ किया है।
इस तरह चुहा, चुहिया और चींट्यिां मिल कर रहने लगते हैं।
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