छोटा भाई | Moral Story Young Brother

Moral Story Young Brother
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Moral Story Young Brother : वरुण अपने घर में सबसे छोटा था। उसके दो बड़े भाई जिन्होंने माता पिता के देहांत के बाद बड़े शहरों में जाकर अपना व्यापार जमा लिया।

माता पिता की जिम्मदारी वरुण को सौंप दी। इसी कारण वरुण तरक्की नहीं कर सका और कलकत्ता में ही एक छोटी सी नौकरी करता रहा। वह एक किराये के छोटे से मकान में रहता था।

एक दिन वरुण को उसके बड़े भाई अमरनाथ का फोन आया।

अमरनाथ: वरुण कैसे हो?

वरुण: जी भैया अच्छा हूं आप बताईये।

अमरनाथ: सुनों वरुण शायद तुम्हें पता नहीं है पिताजी की दिल्ली में एक पुरानी प्रोपर्टी थी। जिस पर किरायेदार ने कब्जा कर रखा है। हम उस प्रोपर्टी को बेचना चाह रहे हैं। मैं चाहता हूं तुम वहां जाकर रहो और उसे अपने कब्जे में लो इससे हम तीनों भाईयों को फायदा होगा।

वरुण: लेकिन भैया मेरी नौकरी।

अमरनाथ: अरे भाई दिल्ली में तो तुम्हें इससे भी अच्छी नौकरी मिल जायेगी। जाओ वहां।

वरुण अपने दोंनो भाई अमरनाथ और श्याम का बहुत आदर करता था। वह उनके कहने पर अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली पहुंच जाता है। वह किसी तरह लड़ झगड़ कर किरायेदार को निकाल देता है और खुद रहने लगता है। कुछ ही दिनों में उसे नौकरी मिल जाती है।

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दिल्ली में कलकत्ता से अच्छी सैलरी थी और मकान का किराया भी नहीं देना पड़ता था। वरुण अच्छे से रहने लगता है। लेकिन वह मकान बहुत पुराना था। खण्डर हो चुका था। ऐसा लगता था कभी भी गिर जायेगा।

कुछ दिन बाद वरुण को उसके मझले भाई श्याम का फोन आया।

श्याम: छोटे कैसा है तू?

वरुण: भैया मैं मजे में हूं दिल्ली में अच्छी नौकरी मिल गई है। सब अच्छे से चल रहा है।

श्याम: चल अच्छा है। हां एक बात तुझे बतानी थी। हम दोंनो भाईयों ने दो अगल मकान कलकत्ता में खरीद लिये हैं अब हम यहीं रहेंगे। यहीं रहकर कारोबार करेंगे।

वरुण: यह तो बहुत अच्छी खबर दी आपने भैया मैं तो कब से चाहता था आप दोंनो वापस आ जायें।

श्याम: हां लेकिन अब तू बाहर चला गया।

वरुण: कोई बात नहीं भैया कम से कम कोई तो है जो अपने शहर में रह रहा है।

जब अमरनाथ को इस बात का पता लगा कि उनका भाई वरुण मकान में मजे से रह रहा है। तो उसने श्याम से बात की और दोंनो मकान को बेच कर पैसा बनाने की तरकीब सोचने लगे।

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वरुण इस सबसे बेखबर मजे से रह रहा था। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई एक दिन मकान का कुछ हिस्सा गिर गया। जिसे मरम्मत कराने के लिये वरुण के पास पैसे नहीं थे।

अमरनाथ और श्याम को जब यह बात पता लगी तो दोंनो दिल्ली पहुंच गये।

अमरनाथ: वरुण यहां रहना खतरे से खाली नहीं है। मैं बात करता हूं हम इसे बेच देते हैं। इससे तो तेरे हिस्से में पैसे आयें उससे कलकत्ता में मकान खरीद लेना।

वरुण तैयार हो गया। वैसे वह कलकत्ता में अपने भाईयों के साथ रहना चाहता था।

अमरनाथ और श्याम प्रोपर्टी बेचने के लिये दलालों से मिलने लगे। वरुण इस सबसे बेखबर अपनी नौकरी करता रहा।

वैसे तो तीनों भाईयों में बहुत प्यार था। लेकिन वरुण बहुत सीधा था। इधर उसके दोंनो भाई पैसे के मामले में बहुत चालाक थे।

एक दिन उस मकान का सौदा हो गया।

वरुण ने भी कागज साईन कर दिये। तीनों प्रोपर्टी बेच कर कलकत्ता पहुंच गये।

वहां पहुंच कर वरुण ने वही पुराना मकान जो पहले किराये पर था। ले लिया।

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दो दिन बाद दोंनो भाईयों ने वरुण को बुलाया और कहा –

अमरनाथ: यह ले वरुण अपने हिस्से के पैसे।

यह कहकर अमरनाथ उसे पांच लाख रुपये पकड़ा देते हैं।

वरुण: भैया ये क्या है। मुझे तो पता लगा था। कि मकान तीस लाख का बिका है और मेरे हिस्से में दस लाख आयेंगे।

यह सुनकर दोंनो भाई सकपका जाते हैं।

श्याम: नहीं छोटे किसी ने तुझे गलत बताया है। मकान पन्द्रह लाख का बिका है।

वरुण: भैया आप ठीक कह रहे होंगे एक काम कीजिये ये पैसे भी आप रख लीजिये। मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं लेकिन मुझे लगता है पैसों की जरूरत आपको मुझसे ज्यादा है।

यह कहकर वरुण पैसे छोड़ कर वापस घर आ जाता है। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके दोंनो भाई उसके साथ इतना बड़ा धोखा कर सकते हैं।

इधर अमरनाथ की पत्नी जानकी जी ने वरुण के जाने के बाद दोंनो को आड़े हाथों लिया।

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जानकी जी: आप लोगों को शर्म आनी चाहिये अगर उस समय सास ससुर जी की जिम्मेदारी वरुण ने न उठाई होती तो आप ये लाखों रुपये कमा पाते। वो भी अपने माता पिता को छोड़ कर पैसा कमाने जा सकता था। आज आप उसका हिस्सा मार रहे हैं।

अपनी पत्नी की बात सुनकर अमरनाथ को बहुत पछतावा होता है।

जानकी जी: वो बेचारा आप दोंनो का इतना आदर करता है कि चुपचाप चला गया और कोई भाई होता तो आपको कचहरी में घसीटता।

श्याम: भैया गलती तो हम से हो गई वो बेचारा किराये के मकान में रह रहा है और हमारे पास दो दो बड़े मकान हैं।

एक महीने तक वरुण से उनकी कोई बातचीत नहीं होती। एक दिन दोंनो भाई अपनी पत्नियों के साथ वरुण के घर पहुंच जाते हैं आज रविवार था। वरुण घर पर ही था।

वरुण: अरे भैया भाभी आप आईये बैठ्यिे मैं अभी आपके लिये पानी लेकर आता हूं।

अमरनाथ: बस वरुण हम बहुत शर्मिन्दा हैं। तेरे साथ हमने बहुत गलत व्यवहार किया।

वरुण: भैया भूल जाईये हम सब में प्यार बना रहे बस मुझे कुछ और नहीं चाहिये।

श्याम: ये ले वरुण अपने मकान के कागज हमने पूरे पैसे से तेरे लिये मकान खरीद लिया तीस लाख का।

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वरुण की आंखों से आंसू बह रहे थे। उसे देख कर अमरनाथ की आंखे भी नम हो गईं। वे उसी दिन वरुण का सामान नये घर में पहुंचा आये और उसकी नौकरी छुड़वा कर उसे अपने व्यापार में शामिल कर लिया।

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