गिलहरी और जादुई तलाब | Hindi Kahani of Squirrel

Hindi Kahani of Squirrel
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Hindi Kahani of Squirrel : एक जंगल में एक बुलबुल नाम की एक गिलहरी रहती थी। वह बहुत चंचल और उछल कूद करती थी।

कई बार जंगल के जानवर उसे समझाते थे। कि इतनी उछल कूद और शरारत करना ठीक नहीं है लेकिन वह नहीं मानती थी। उसे यह सब करने में मजा आता था।

एक दिन बुलबुल एक पेड़ पर उछल कूद कर रही थी। तभी वहां भोलू भालू आया बुलबुल कूद कर उसकी पीठ पर बैठ गई।

भोलू: बुलबुल बहन आज भी रोज की तरह शैतानी कर रही हों। पिछली बार तुम्हारे कारण मेरा पैर फिसल गया और मैं कीचड़ जा गिरा था।

यह सुनकर बुलबुल हसने लगी।

बुलबुल: माफ करना भोलू तुम्हें देखकर तुम्हें छेड़ने का मन करता है लेकिन मैं वादा करती हूं आज तुम्हारे साथ कोई शरारत नहीं करूंगी।

भोलू एक पेड़ के नीचे लेट कर आराम करने लगता है। कुछ देर बाद बुलबुल की आवाज सुनकर उठ जाता है।

बुलबुल: बचाओ बचाअे मैं यहां पेड़ की डाल पर फस गई।

भोलू वहां पहुंचता है तो देखता है बुलबुल अपनी पूंछ के सहारे लटकी हुई है और कभी भी गिर सकती है। वह दौड़ कर जाता है और सभी जानवरों को बुला लाता है।

बुलबुल: भाईयों मुझे बचा लो मैं पेड़ पर चढ़ रही थी तभी दो टहनियों के बीच मेरी पूंछ फस गई।

कुछ देर बाद जिराफ वहां पहुंचता है वह गिलहरी को पेड़ से छुड़ा कर नीचे रख देता है। बुलबुल सबका धन्यवाद करती है।

भोलू: देख लिया शरारत करने का नतीजा। वादा करो आगे से कभी शरारत नहीं करोंगी।

बुलबुल वादा कर लेती है। वह दो दिन चुपचाप अपना खाना खाकर एक पेड़ पर बैठी रहती थी। लेकिन उसका मन बहुत उदास था। उसे तो उछल कूद करने में मजा आता था।

एक दिन वह पेड़ पर बैठी थी तभी उसने देखा चंचल बंदर इस डाल से उस डाल पर कूद रहा था। यह देख कर बुलबुल का मन भी यही सब करने का होने लगा।

अगले दिन उसने फैसला किया कि वह जंगल से दूर दूसरे जंगल में जाकर खेला करेगी जिससे गांव वालों को उसकी शरारत के बारे में पता नहीं लगेगा।

सुबह होते ही वह सबसे बचती बचाती दूसरे जंगल में पहुंच गई वहां पहुंचते ही उसे एक बड़ा सा तालाब दिखाई दिया। उसने सोचा क्यों न पहले नहा लिया जाये।

वह जैसे ही तालाब के पास पहुंची एक चिड़िया ने उसे आवाज लगाई –

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चिड़िया: बहन क्या तुम इस जंगल में नई आई हो? इस तालाब से दूर रहना इसमें कोई भी नहाने जाता है। उसके शरीर का एक हिस्सा गायब हो जाता है।

बुलबुल: वाह ऐसा कैसे हो सकता है? तुम झूठ मूठ में मुझे डरा रही हों।

चिड़िया: तुम्हारी मर्जी मैं तो तुम्हें सावधान कर रही थी। जाओ नहा कर देख लो पता लग जायेगा।

बुलबुल नहीं मानी उसने तालाब में डुबकी लगा ली। उसे बहुत मजा आया वह बहुत देर तक तालाब में नहाती रही। जब वह तालाब से बाहर निकली तो चिड़िया उसे देख कर हसने लगी।

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बुलबुल: तू क्यों हस रही है?

चिड़िया: तुम्हारी पूंछ कहां है?

बुलबुल ने पलट कर देखा तो उसकी पूंछ नहीं थी। बिना पूंछ के वह बहुत बुरी लग रही थी।

बुलबुल रोने लगी। वह तालाब के पास जाकर उससे अपनी पूछ वापस मांगने लगी।

सुबह से शाम होने लगी लेकिन तालाब से पूंछ वापस नहीं मिली। हार कर बुलबुल वापस चलने लगी। तभी तालाब से आवाज आई।

तालाब: यह जादूई तालाब है तुम्हें चिड़िया ने मना किया था। यहां नहाने के लिये लेकिन तुम नहीं मानी इसलिये तुम्हारी पूंछ चली गई।

बुलबुल: मुझे माफ कर दो अब मैं कभी किसी से बिना पूछे उसकी कोई चीज इस्तेमाल नहीं करूंगी।

तालाब: अब तुम अपने जंगल में जाकर सब जानवरों से माफी मांगो और आज से शरारत करना बंद करो। जंगल में सबकी मदद करो फिर धीरे धीरे तुम्हारी पूंछ वापस आ जायेगी।

बुलबुल जंगल में वापस आ जाती है। अगले दिन सब बिना पूंछ की गिलहरी की हंसी उड़ाने लगते हैं। लेकिन बुलबुल बुरा नहीं मानती वह सबसे माफी मांगती है। फिर वह सबकी मदद करने का वादा करती है। वह बरसात में चिड़िया के बच्चों के लिये दाना लाकर देती है। पेड़ से फल तोड़ कर नीचे गिराती है जिससे भोलू भालू उन्हें उठा कर खा सके।

इसी तरह वह सब जानवरों की मदद करने लगती है जिससे सब उसे दुआऐं देते हैं उनकी दुआओं से उसकी पूंछ धीरे धीरे वापस आ जाती है। यह देख कर गिलहरी बहुत खुश होती है।

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