Daughter Motivational Story : पापा अभी आफिस से आये थे। श्रेया बैठ कर टी वी देख रही थी। पापा कुछ परेशान से दिख रहे थे। उन्होंने आते ही कहा –
पापा: ये टी वी बंद कर दो।
श्रेया: जी पापा! क्या बात है आप कुछ परेशान से लग रहे हो?
पापा: कुछ नहीं बेटी जा एक गिलास पानी ला मेरे लिये।
यह आवाजें सुनकर किचन में काम कर रही शालिनी जी पानी लेकर आईं और श्रेया से कहा –
शालिनी जी: बेटा जरा जाकर किचन में देख मैंने सब्जी बनने रखी है। मैं अभी आती हूं
श्रेया अंदर चली गई। तब शालिनी जी ने पूछा –
शालिनी जी: क्या बात है आप बहुत परेशान दिखाई दे रहे हैं?
मोहन जी: शालिनी मेरी नौकरी चली गई कंपनी काफी समय से घाटे में चल रही थी। मेरे साथ कई लोगों को काम से निकाल दिया गया है। समझ नहीं आ रहा। आगे क्या होगा इस घर का किराया, गाड़ी की किश्त, श्रेया की शादी के लिये जो एस.आई.पी शुरू की है वह सब कहां से जायेगा।
शालिनी जी: आप चिंता मत कीजिये आपको इतना कुछ आता है। कोई न कोई नौकरी मिल जायेगी। हम एक काम करते हैं। कुछ दिन के लिये एस.आई.पी. बंद कर देते हैं।
मोहन जी: नहीं नहीं बेटी की शादी के लिये अभी से कुछ जोड़ेंगे तभी कुछ बन पायेगा। तुम जानती तो हो आजकल लड़के वाले कैसे मुंह फाड़ते हैं।
ये सब बातें श्रेया किचन में सुन रही थी। वह झट से बाहर आई।
श्रेया: पापा आप मेरे लिये पैसा जोड़ना बंद कर दो इसकी दो वजह हैं। एक तो जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती शादी नहीं करूंगी। दूसरी मैं ऐसे लड़के से शादी करूंगी जो दहेज नहीं लेगा।
अपनी नन्हीं सी बेटी की बाद सुनकर मोहन जी हस पड़े।
मोहन जी: बेटी अभी तू केवल दस साल की है और दादी की तरह बातें करती है। चिन्ता मत कर मैं तेरी शादी बड़ी धूमधाम से करूंगा।
शालिनी जी: हमारी बेटी बहुत समझदार है। यह बिल्कुल सही कह रही है।
यह कहकर तीनों हसने लगते हैं घर का माहौल खुशनुमा हो जाता है।
अगले दिन सुबह मोहन जी तैयार हो रहे थे। तभी शालिनी जी ने पूछा –
शालिनी जी: आप सुबह सुबह कहां चल दिये?
मोहन जी: वो आज संडे है अपने कुछ दोस्तों से मिलने जा रहा हूं। शायद कहीं नौकरी का इंतजाम हो जाये।
उनके जाने के बाद शालिनी जी फोन पर अपने भाई से बात करने लगीं वो रो रहीं थी –
शालिनी जी: भैया ये किसी को कुछ बता नहीं रहे हैं। लेकिन बहुत परेशान हैं। क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा अगर इन्हें जल्द नौकरी न मिली तो न जाने हमारा क्या होगा।
श्रेया अभी अभी स्कूल से आई थी। वह मम्मी से खाना लेने आ रही थी। तभी गेट के पीछे से उसने सारी बातें सुन ली। उसके लिये यह सब नया था। उसे सारी बातें समझ में आ रहीं थीं। उसके मम्मी-पापा कितने परेशान थे।
अगले दिन मोहन जी घर में बैठे थे। आज श्रेया की छुट्टी थी। घर का माहौल एकदम शांत था, कोई किसी से बात नहीं कर रहा था।
श्रेया: पापा आप भी ताउजी की तरह कोई बिजनेस क्यों नहीं करते।
शालिनी: बेटा ये सब क्या सुबह सुबह लेकर बैठ गई ताउजी ने कई सालों में बिजनेस जमाया है। हम ये सब कैसे कर सकते हैं। इसके लिये पैसा कहां से आयेगा।
श्रेया: मम्मी मेरी शादी के लिये आप बचपन से सेविंग कर रहे हैं अगर उस पैसे से पापा बिजनेस शुरू करें तो कैसा रहेगा।
मोहन जी: नहीं नहीं बेटा हम उसे पैसे को तो हाथ भी नहीं लगा सकते। कल बिजनेस नहीं चला तो सारा पैसा डूब जायेगा।
श्रेया: पापा क्या हो जायेगा? अगर पैसा डूब गया मैं बड़े होकर पैसा कमा लूंगी फिर शादी कर लूंगी। आपको मेरी कसम मेरी चिंता छोड़ कर उस पैसे बिजनेस शुरू कर लीजिये। अगर चल गया तो हमारी सारी परेशानी दूर हो जायेगी। हम हमेशा परेशान रहते हैं। ताउजी और उनका परिवार कितने मजे में रहते हैं।
शालिनी: सुनिये जी बिट्यिा मुझे लगता है ठीक कह रही है अभी तो काफी समय है हमें ये करके देखना चाहिये क्या पता उपरवाले की भी यही मर्जी हो।
काफी समझाने के बाद मोहन जी बिजनेस करने के लिये तैयार हो गये। अगले दिन से उन्होंने अपने दोस्तों से सलाह लेना शुरू किया। कुछ ही दिनों में उन्हें बिजनेस के लिये आईड्यिा मिल गया। उन्होंने बिजनेस शुरू कर लिया।
शुरू में बहुत परेशानी आई लेकिन धीरे धीरे उनका बिजनेस अच्छा चलने लगा। पूरा परिवार बहुत खुश था, धीरे धीरे समय बीतने लगा श्रेया ने बड़े होकर अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर वह पापा का बिजनेस संभालने लगी।
एक दिन श्रेया ने पापा से कहा –
श्रेया: पापा अब आप आराम कीजिये इस बिजनेस को अब मैं संभाल लूंगी।
मोहन जी: लेकिन बेटी अब तो तेरी शादी का समय हो रहा है एक दो साल में तेरी शादी करेंगे फिर तू अपने घर चली जायेगी। तब यह बिजनेस मुझे ही संभालना पड़ेगा।
श्रेया: नहीं पापा यह बिजनेस मैं संभालती रहूंगी। मैं उसी लड़के से शादी करूंगी जो मुझे यह सब करने के लिये राजी होगा।
मोहन जी और शालिनी ने बहुत समझाया लेकिन श्रेया नहीं मानी मोहन जी अब घर पर ही रहते थे। वे कभी कभी ऑफिस चले जाते और फिर वापस आकर घर में बैठ जाते थे। लेकिन उन्हें अभी भी श्रेया की शादी की चिन्ता सताती रहती थी।
एक दिन उनके घर के बाहर एक बड़ी सी कार आकर रुकी। उसमें से एक सज्जन अपनी पत्नी और बेटे के साथ आये। उन्होंने आकर मोहन जी से बात की –
सज्जन: मोहन जी हम काफी समय से आपकी बेटी के साथ बिजनेस कर रहे हैं। आपकी बेटी हमें बहुत अच्छी लगी मैं अपने बेटे की शादी आपकी बेटी से करना चाहता हूं। अब ये ही मेरा बिजनेस संभालता है।
मोहन जी: जी ये तो मेरा सौभाग्य है लेकिन मुझे श्रेया से पूछना पड़ेगा।
सज्जन: जी श्रेया से हमने सारी बात कर ली है और उसकी सारी शर्तें भी मान ली हैं। उसी ने हमें यहां आपसे बात करने के लिये भेजा है। आप श्रेया से बात कर लेना हम फिर आ जायेंगे।
मोहन जी: नहीं नहीं ऐसा कैसे हम लड़की वाले हैं। अगर श्रेया को सही लगा तो हम आपके घर आयेंगे।
शाम को जब श्रेया आई तो मोहन जी और शालिनी जी ने उससे बात की श्रेया पहले ही उस परिवार को अच्छे से जानती थी। वह बिजनेस के सिलसिले में लड़के से कई बार मिल चुकी थी।
कुछ ही दिनों में दोंनो की शादी हो गई। दोंनो ने मिल कर दोंनो बिजनेस को मिला कर बड़ा कर लिया। जिसका आधा हिस्सा श्रेया अपने पिता को देती थी।
इस तरह एक छोटी सी शुरूआत ने सबका जीवन सफल कर दिया।
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