समझदार बहु – भाग 5

Saas-Bahu-ki-Kahani-Bhag-5
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अगले दिन सुबह संजना जल्दी से तैयार हो गई। उसने सबसे पहले सबके लिये खाना बनाया फिर चाय बना कर सास ससुर के कमरे में गई।

सरला: अरे बेटी मैं तो आ ही रही थी, चाय बनाने।

संजना: नहीं मम्मी जी अब घर का सारा काम मैं करूंगी। बस कुछ दिन की बात है मैं आज ऑफिस जा रही हूं। बाद में यहीं आस पास नौकरी ढूंढ लूंगी।

मधुसूदन जी: बेटी मैं सोच रहा था घर में मन नहीं लगता कुछ काम कर लेता हूं।

संजना: नहीं पापा जी आप इस उम्र में काम क्यों करेंगे। मैं हूं न, चिन्ता न करें कुछ दिन में सब ठीक हो जायेगा। आप बस मम्मी जी का ध्यान रखिये।

संजना ऑफिस के लिये निकल गई।

ऑफिस में पहुंच कर संजना अपने काम जल्दी जल्दी निबटाने लगी।

खाली समय मिलते ही उसने नौकरी के लिये अप्लाई करना शुरू कर दिया।

लंच के समय उसके आसपास काम करने वाले उसके पास आकर बैठ गये।

संजना: आप सब मेरा दुःख बांटने आयें हैं लेकिन चिन्ता न करें मैं बिल्कुल ठीक हूं। चलिये अपना लंच इंजॉय करते हैं।

संजना को मुस्कुराता देख सबका मन हल्का हो गया।

कुछ देर बाद संजना अपने बॉस अविनाश जी के पास गई।

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संजना: सर मुझे आपसे कुछ बात करनी है।

अविनाश जी: संजना मैं अगर तुम्हारे किसी काम आ सकूं तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। तुम इस ऑफिस में कई सालों से मेहनत और लग्न से काम कर रही हों।

संजना: सर मैं अब अपने सास-ससुर के साथ रहने चली गई हूं। इसलिये यहां पहुंचना मेरे लिये कठिन हो गया है। इसलिये मैं सोच रही थी आप मेरा रेजिनेशन एक्सेप्ट कर लें।

अविनाश जी: ये तुम क्या कह रही हों। मैं इसका कोई हल निकालता हूं।

संजना: सर मैं वहीं आस पास नौकरी ढूंढ लूंगी। क्योंकि मुझे अपने सास-ससुर को भी टाईम देना होगा।

अविनाश जी: मैं समझ सकता हूं। अभी रिजाईन मत करो। मैं तुम्हारी प्रोब्लम का कोई हल निकालता हूं।

संजना उनकी बात मान कर वापस आ जाती है और अपने काम में लग जाती है।

दो दिन बाद अविनाश जी ने संजना को बुलाया।

अविनाश जी: संजना मैंने सारा इंतजाम कर लिया है तुम्हें अपने घर से वर्क फ्रोम होम कॉन्सेप्ट पर काम कर सकती हों। कभी जरूरी हुआ तो ऑफिस आ जाना।

संजना: लेकिन सर ये सब कैसे होगा।

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अविनाश जी: तुम इसकी चिन्ता मत करो आज तुम अपना लेपटॉप ले जाना और कल से काम शुरू कर देना। इससे तुम्हें जॉब भी नहीं छोड़नी पड़ेगी।

संजना: थैंक्यू सर आपने मेरी बहुत मदद कर दी।

शाम को संजना घर आकर यह बात अपने सास-ससुर को बताती है।

सरला जी: बेटी जब से राजेश का ऐक्सीडेंट हुआ है हम तुम्हारे बाहर जाने पर डरते रहते थे। तुम्हारे बॉस ने बहुत अच्छा किया। भगवान उन्हें तरक्की दे।

कुछ दिन बाद एक दिन दोपहर को घर की घंटी बजी। संजना ने गेट खोला तो सामने अविनाश जी खड़े थे।

संजना: सर आप?

अविनाश जी: संजना कुछ जरूरी काम था। एक प्रजेंटेशन बनानी थी।

संजना: सर मुझे बताते मैं आ जाती।

अविनाश जी: नहीं इतना टाईम नहीं था। इसलिये मैं आग गया।

तभी मधुसूदन जी और सरला जी आ गई।

अविनाश जी ने उनके पैर छुए।

संजना: मम्मी जी ये मेरे बॉस हैं।

सरला जी: बेटा तुमने इस कठिन समय में हमारी बहुत मदद की है। बैठो मैं तुम्हारे लिये चाय बनाती हूं।

अविनाश जी: नहीं आंटी जी आप चिन्ता न करें मुझे कुछ जरूरी काम था इसलिये आना पड़ा। नहीं तो आप लोगों को डिस्टर्ब नहीं करता।

मधुसूदन जी: बेटा इसे अपना ही घर समझो चलो काम के बहाने तुमसे मिलने का मौका मिला। तुम दोंनो काम करो हम अंदर बैठे हैं कुछ चाहिये हो तो बता देना।

इसी तरह समय बीत रहा था। अविनाश जी कई बार घर आने लगे थे। अब वे घर में काफी घुल मिल गये थे।

एक दिन संजना बाहर गई थी।

सरला जी: सुनो जी मुझे लगता है संजना, अविनाश जी को पसंद करती है। क्यों ना हम दोंनो की शादी करा दें।

मधुसूदन जी: हाँ मैंने भी नोटिस किया है। तुम संजना का मन टटोल कर देखो।

सरला जी संजना से बात करती हैं, लेकिन वह साफ मना कर देती है।

संजना: मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं मम्मी जी मैं आप लोगों को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकती।

सरला जी: बेटी हम अपना ध्यान रख लेंगे। तेरे आगे पूरी जिंदगी पड़ी है।

शेष आगे …

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