सरला जी: मेरा बेटा हमेशा के लिये मुझ से छीन लिया अब तो तू आजाद है, जो करना है कर ले।
यह कहकर सरला जी ने संजना को छटक लिया। संजना की माँ कोमल जी यह देख कर संजना को संभाला। कुछ देर बाद बाहर हलचल बढ़ गई राजेश की बॉडी को घर के अंदर लाया जा रहा था।
सरला जी बेटे से लिपट कर लगातार रो रहीं थीं। संजना बार बार राजेश को उठने के लिये बोल रही थी। घर का माहौल बहुत गमगीन हो गया था।
जगदीश जी ने जल्द से जल्द अंतिम संस्कार की सारी तैयारियां की और अन्य रिश्तेदारों के सहयोग से उन्होंने राजेश की अंतिम यात्रा जल्दी शुरू कर दी जिससे परिवार में से किसी की तबियत खराब न हो जाये।
राजेश को लेकर चले गये। संजना को कुछ औरतों ने नहला कर बैठा दिया।
संजना अपनी मॉं से लिपट कर रोये जा रही थी। अचानक इतना सब हो गया कि किसी को सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला।
कुछ घंटों के बाद सभी लोग अंतिम संस्कार करके वापस आ गये। जगदीश जी और कोमल जी ने सभी परिवार वालों को संभाला। वे पूरी रात उनके साथ रह कर सब को संभालते रहे।
आज राजेश को गये एक सप्ताह हो गया था। घर में रिश्तेदारों का तांता लगा हुआ था। जिसने भी सुना वह दौड़ कर शौक प्रकट करने पहुंच गया।
वहीं रिश्तेदारों के बीच बैठी संजना अब पहले से कुछ संभल गई थी। उस दिन शाम को जब सभी रिश्तेदार चले गये। तब सरला जी ने मधुसूदन जी से कहा –
सरला जी: सुनो जी हमारा बेटा तो चला ही गया है। संजना से कहो तेहरवी के बाद ये भी चली जाये। मुझे इसकी शक्ल नहीं देखनी।
मधुसूदन जी: ये सब बातें करने के लिये तुम्हें यही समय मिला था। वैसे इस सब में उस बेचारी का क्या कसूर है। राजेश जब हमारे साथ रहता था तब भी बाहर काम से जाता था।
सरला जी: मैं कुछ नहीं जानती आपको ये करना ही पड़ेगा।
बाहर खड़े जगदीश जी ने उनकी सारी बात सुन ली थी। वे मन ही मन फैसला भी कर चुके थे कि संजना का दूसरा विवाह करवा देंगे।
राजेश की तेरहवीं के दिन सारी रस्में पूरी हो चुकी थीं। सभी रिश्तेदार चले गये। तब जगदीश जी ने कहा –
जगदीश जी: अब जो कुछ होना था वह सब हो चुका है। आगे क्या करना है इसके बारे में हमें बात करनी चाहिये। आप चाहें तो संजना आपके साथ रहेगी, अगर आप नहीं चाहते तो इसे मैं अपने साथ ले जाना चाहता हूॅं।
सरला जी: यहां रहने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। आप इसे ले जाईये वैसे भी अभी तक तो आप इसकी दूसरी शादी के बारे में सोच चुके होंगे।
जगदीश जी: हाँ यही ठीक रहेगा। इसे दूसरी शादी करनी है या नहीं उसका फैसला मैं इसी पर छोड़ रहा हूं। चल बेटी संजना वहां से फ्लैट खाली करके घर चलते हैं।
संजना: पापा आप भूल रहे हैं। मैं अपने घर में हूं। आप मेरी सुसराल में हैं आपको जाना चाहिये।
जगदीश जी: लेकिन बेटा ये लोग तुझे रखना नहीं चाह रहे हैं।
सरला जी: हाँ तुम्हारे पापा ठीक कह रहे हैं। जाओ अपने घर।
संजना: मम्मी जी आप कुछ भी कहती रहें मैं आपको अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती राजेश ने मरते समय मुझसे वादा लिया था कि मैं आपका और पापाजी का ध्यान रखूं। अपने पति की अंतिम इच्छा को मैं हर हाल में पूरा करूंगी।
यह सुनकर सरला जी की आंखों से आंसू बहने लगे। उन्हें विश्वास नहीं था कि संजना ऐसा चाहेगी।
मधूसूदन जी: सरला यह इस घर की बहु है अपनी मर्जी से चाहे तो यह जा सकती थी लेकिन इसने हमारे बेटे की अंतिम इच्छा का सम्मान किया है इसलिये मैं चाहता हूं कि यह यहीं रहे।
जगदीश जी: बेटी तू अपने भविष्य के बारे में सोच हम चाहते हैं कि तेरी दूसरी शादी कर दें और तू अपना जीवन नये सिरे से शुरू करे।
संजना: लेकिन पापा मेरे सास, ससुर के भविष्य का क्या? इन्हें कौन देखेगा। आपको पता है राजेश अपने मम्मी पापा से कितना प्यार करते थे। यह जिम्मेदारी वे मुझे सौंप कर गये हैं।
सरला जी: बेटी मैं हमेशा तुझे गलत समझती रही, लेकिन आज तूने मेरी आंखें खोल दी। मैं सच्चे मन से कह रही हूं। तू अपने घर चली जा अपना घर बसा ले, हमारी चिन्ता छोड़ दे वैसे भी अब हमलोग कितने दिन जिंदा रहेंगे। हमारे लिये राजेश की यादें ही काफी हैं।
संजना: मम्मी जी मैं आप लोगों को छोड़ कर कहीं नहीं जा रही हूं। आपका ध्यान रखना मेरी जिम्मेदारी है। आप चाहें तो मुझे घर से बाहर निकाल दें लेकिन फिर भी मैं बाहर पड़ी रहूंगी।
जगदीश जी: ठीक है बेटी जो तेरा फैसला। लेकिन ऐसा न हो कल तुझे अपने फैसले पर पछतावा हो। अगर कभी ऐसा हो तो अपने पिता के घर चली आना।
यह कहकर जगदीश जी, कोमल जी के साथ वहां से चले गये।
संजना: सचिन कल उस फ्लेट से सारा सामान यहां ले आना। मम्मी जी आप क्या खायेंगी बता दीजिये मैं किचन में जा रही हूं।
सरला जी की आंखों से टप टप आंसू बह रहे थे। जिस बहु से वे सबसे ज्यादा नफरत करती थीं वो आज बेटा बनकर खड़ी हो गई।
शेष आगे …
समझदार बहु – भाग 1 | समझदार बहु – भाग 2 |
समझदार बहु – भाग 3 | समझदार बहु – भाग 4 |
समझदार बहु – भाग 5 | समझदार बहु – भाग 6 |
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