शालिनी काव्या को फोन करती है –
शालिनी: काव्या तेरे पास सागर का नम्बर है मुझे दे दे मैं बात करना चाहती हूं।
काव्या: नहीं शालिनी मेरे पास नम्बर नहीं है। मैंने नम्बर मेरे एक कॉमन फ्रेंड से लिया था। तेरे से मिलने के बाद मैंने उस नम्बर पर बहुत कॉल किये लेकिन वह नम्बर बंद है। मैं तुझे नम्बर भेज देती हूं लेकिन कोई फायदा नहीं होगा।
शालिनी: नहीं रहने दे मैं देखती हूं।
शालिनी को दो दिन बाद कनाडा वापिस जाना था। उससे पहले वह सागर से मिलना चाहती थी। लेकिन सागर से मिलने को कोई भी रास्ता नहीं मिल पाया। वह दो दिन बाद कनाडा चली गई।
इधर सागर अपने काम में इतना बिजी हो गया था कि उसे दिन रात केवल काम ही काम दिखाई देता था। जैसे वह काम में अपने दुःखों को भूल जाना चाहता है।
एक दिन वह घर आया तो पुष्पा जी ने उससे बात की –
पुष्पा जी: बेटा ऐसा कब तक चलेगा। एक बार शालिनी से बात कर ले मैं चाहती हूं तुम दोंनो अब शादी कर लो।
सागर: नहीं मॉं उससे मेरा कोई वास्ता नहीं है। जब मुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी वह में तभी छोड़ कर चली गई।
पुष्पा जी: बेटा हो सकता है कोई गलतफहमी हो। एक बात कर ले क्या पता वो भी पछता रही हो।
सागर: नहीं मॉं अब वो मेरी जिन्दगी का हिस्सा नहीं है। आज के बाद उसके बारे में बात मत करना।
पुष्पा जी: ठीक है बेटा जैसा तू चाहें लेकिन मैं तो चाहती हूं तेरा घर बस जाये।
सागर: समय आने पर सब हो जायेगा। अभी तो मुझे एक कामयाब इंसान बनना है। जिसे कोई शलिनी छोड़ कर कनाडा न जा पाये।
सागर का दर्द पुष्पा जी महसूस कर पा रहीं थीं।
इधर शालिनी जब कनाडा पहुंची तो उसका मन काम में नहीं लग रहा था। उसका दिन अब सागर के लिये धड़कने लगा था। वह किसी तरह बस सागर से मिलना चाहती थी।
दो दिन सोच विचार कर उसने अपने इंड्यिा ट्रांसफर के लिये कंपनी को मेल डाल दिया। एक सप्ताह में उसे इंड्यिा जाने की परमिशन मिल गई। शालिनी ने फटाफट सामान पैक किया और इंड्यिा वापस आ गई। लेकिन वह अपने घर न जाकर ऑफिस के पास एक फ्लेट में अकेले रहने लगी।
सोशल मीड्यिा से सभी दोस्तों से, सागर के रिश्तेदारों से जिन्हें वह जानती थी वह सागर का पता मालूम करने में लग गई लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
एक दिन हिम्मतलाल जी अपनी बेटी से मिलने आये।
हिम्मतलाल जी: बेटी अब तो तेरा गुस्सा शांत हो गया होगा। चल घर चल।
शालिनी: नहीं पापा जहां सागर की बेज्जती हुई है मैं उस घर में अब कभी नहीं आउंगी। आपका जब मन हो आ जाईयेगा।
हिम्मतलाल जी: लेकिन बेटा ऐसे अकेले रहने का क्या मतलब है।
शालिनी: पापा मेरी जिन्दगी का अब एक ही मकसद बचा है सागर से मिलना और उससे माफी मांगना। अगर आप मेरी कुछ हेल्प कर सकें तो बहुत अच्छा रहेगा। एक बार किसी तरह सागर से माफी मांग लूं। फिर चाहें वह मुझे अपनाये या ठुकराय।
हिम्मतलाल जी वापस आ जाते हैं।
शालिनी की जिन्दगी में अब कुछ नहीं बचा था। वह दिन में काम करती थी। रात को थोड़ा बहुत खा कर सोने चली जाती जब भी उसे पुराने दिनों की याद आती वह राती रहती।
अब शालिनी ने एक काम और शुरू कर दिया। उसने बंगलौर की कम्पनियों में जॉब के लिये अप्रोच करना शुरू किया।
काफी दिन बीत जाने पर उसे एक कंपनी से ऑफर आया। शालिनी ने उसे स्वीकार कर लिया पुरानी कंपनी से रिजाईन कर वह फटाफल बंगलौर पहुंच गई।
यह उसके जीवन का सबसे बड़ा मकसद था, कि वह एक बार सागर से मिल कर माफी मांग ले।
इधर सागर लगातार अपने काम में मेहनत कर रहा था। प्रमोशन पाकर वह मैंनेजिंग डॉयरेक्टर बन गया। उसे एक शानदार बंग्ला और गाड़ी मिल गई।
एक दिन सागर घर आया उसने पुष्पा जी से बात की –
सागर: मां मैंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है अब मैं सैटल होना चाहता हूं। आप मेरे लिये अपनी पसंद की लड़की देख लो मैं आपकी खुशी के लिये शादी करना चाहता हूं। पापा को कोई खुशी दे नहीं पाया। लेकिन मैं आपको खुश देखना चाहता हूं।
पुष्पा जी: सच बेटा आज तो तूने मेरा दिल खुश कर दिया। अब देख मैं तेरे लिये कितनी अच्छी लड़की ढूंढती हूं।
पुष्पा जी ने अपने सभी रिश्तेदारों से बात की। कुछ ही दिनों में सागर के लिये रिश्ते आने लगे।
पुष्पा जी ने एक लड़की पसंद कर ली। उसी दिन शाम को उन्होंने सागर से बात की –
पुष्पा जी: बेटा मैंने एक लड़की पसंद की है। अंजली नाम है उसका तू एक बार उससे मिल ले।
सागर: ठीक है मॉं उन लोगों को संडे खाने पर बुला लो।
अंजली और उसका परिवार खाने पर आ जाता है। सागर और अंजली दोंनो अकेले में बात करते हैं।
सागर: अंजली मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं कि मेरा पीछे भी एक अतीत रहा है। एक लड़की से मैं बहुत प्यार करता था, लेकिन वह मुझे धोका देकर चली गई। अगर तुम चाहो तो इस शादी से इन्कार कर सकती हों।
अंजली: आपने इतने साफ दिर से यह बात बताई है। मुझे आपके अतीत से कोई मतलब नहीं है। मेरी तरफ से हॉं है। बाकी आप जानें।
सागर और अंजली का रिश्ता पक्का हो जाता है।
शेष आगे …
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