Panchtantra Kahaniya hindi : एक जंगल में एक चिड़िया अपने छोटे से घौंसले में रहती थी। उसके घौंसले में उसके दो छोटे छोटे बच्चे थे जो अभी उड़ना नहीं जानते थे।
चिड़िया सुबह उनके जगने से पहले ही खाने की तलाश में निकल जाती थी। जब तक उसके बच्चे उठते वह दाना लेकर आ जाती और उनका पेट भर देती थी।
चिड़िया अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी। धीरे धीरे बच्चे बड़े होने लगे।
एक दिन चिड़िया ने अपने बच्चों को उड़ना सिखाया अगले दिन उसने अपने एक बच्चे को धीरे से उड़ाया फिर दूसरे को उड़ाया दोंनो धीरे धीरे उड़ना सीख गये।
अब चिड़िया दोंनो बच्चों को अपने साथ लेकर जाती और जंगल से तीनों दाना लेकर अपने घौंसले में आ जाते थे।
इसी तरह समय बीत रहा था। कुछ सालों के बाद चिड़िया कमजोर होने लगी। अब वह अपने घौंसले में आराम करती और उसके दोंनो बच्चे उसके लिये दाना लाते और उसे खिलाते थे।
कुछ दिन बाद उसके बच्चों ने सोचा कि हमारी मां तो अब किसी काम की नहीं है। हम क्यों मेहनत करके उसे खाना खिलाते रहें।
एक दिन दोंनो बच्चों ने अपनी मां को खाना लाने से मना कर दिया। बूढ़ी चिड़िया ने दोंनो बच्चों को बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने। अगले दिन दोंनो बच्चों ने अपना अलग घौसला बना लिया।
अब चिड़िया पूरे दिन अपने बच्चों का इंतजार करती रहती है। लेकिन दोंनो बच्चे वापस नहीं आते। अपने कमजोर शरीर के साथ चिड़िया उड़ कर बच्चों को ढूंढने जाती है। वहां जाकर देखती है कि बच्चों ने नया घौंसला बना लिया।
अपनी मां को देख कर दोंनो बच्चे गुस्सा हो जाते हैं और उसे भगा देते हैं। चिड़िया रोते हुए वापस आ जाती है। अपने घौंसले में बैठ कर बीते दिनों को याद करने लगती है।
चिड़िया में इतनी शक्ति नहीं थी, कि वह उड़ कर दाना ले आये। इसलिये वह बैठ कर अपने मरने का इंतजार करने लगती है। वैसे भी उसकी जीने की इच्छा खत्म हो जाती है।
दो दिन तक भूखे रहने से उसे बहुत कमजोरी हो जाती है। एक दिन चिड़िया के दोंनो बच्चे दूर खेत के पास दाना चुग रहे थे तभी उन्हें एक चिड़िया मिलती है। वह उन दोंनो से उनकी मां के बारे में पूछती है।
तब दोंनो बच्चे उसे बताते हैं कि उन्होंने वह घौंसला छोड़ दिया। यह सुनकर वह चिड़िया उन्हें डाटती है। वह कहती है – ‘‘मूर्खों वो तुम्हारी मां नहीं थी। तुम्हारी मां तो तुम्हारे अंडे से निकलते ही कहीं चली गई थी। तुम्हारी मां ने तुम पर तरस खाकर तुम्हें पाला।
अगर उस दिन वो तुम्हें लावारिस छोड़ देती तो तुम दोंनो मर जाते।’’
यह सुनकर दोंनो बच्चों को बहुत दुःख हुआ।
वह चिड़िया चौंच में दाना भर कर उड़ती हुई बूढ़ी चिड़िया के पास पहुंच गई।
वहां उसने चिड़िया को दाना खिलाया। दाना खाकर उसमें कुछ ताकत आई। फिर चिड़िया ने कहा – ‘‘मैंने तुझे मना किया था। इन पर तरस मत खा। ये भी उसी मां के बच्चे हैं जो अपने बच्चों को छोड़ कर चली गई। आज इन्होंने तुझे छोड़ दिया।’’
दोंनो बच्चे बाहर एक डाल पर बैठ कर सारी बातें सुन रहे थे। वह दोंनो रोते हुए घौंसले में आये और अपनी मां से माफी मांगने लगे।
बूढ़ी चिड़िया ने दोंनो को गले लगा लिया और कहा – ‘‘बच्चों मैं कभी जीवन में तुम्हें ये नहीं बताती कि तुम मेरे बच्चे नहीं हो। मैं नहीं चाहती थी कि हमारे प्यार में कोई कमी आये।’’
दोंनो बच्चों को सबक मिल चुका था। अब वे दोंनो सारा दिन दाना लाकर अपनी मां की देखभाल करते, मां को खाना खिलाते, मां के लिये नर्म बिस्तर लगाते उनके जीवन का मकसद केवल मां की सेवा करना ही रह गया था।
Read More :
मोर की बांसुरी | बेईमान कबूतर और प्लास्टिक का घर |
जादुई किताब की चोरी | बन्दर बना जंगल का राजा |
बिल्ली और जादुई छड़ी |
Image Source : Playground
Leave a Reply
View Comments