बेसहारा – भाग – 5 | Arranged Marriage Kahani

Arranged Marriage Kahani

Arranged Marriage Kahani : करुणा की नींद टूटी तो देखा रात हो चुकी थी। कमरे में अंधेरा था। उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। उसने किसी तरह टटोल कर कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खोला तो देखा बाहर कई औरते बैठ कर बातें कर रही हैं।

थोड़ी देर में एक लड़की कमरे में आई उसने कमरे की लाईट जलाई फिर वह करुणा को अपने साथ लेकर आंगन में आ गई। यहां शादी की बाकी रस्में निपटाने लगीं।

कंगन की रस्म के समय उसने अपने पति को ढंग से देखा वे मुस्कुरा रहे थे। सारी रस्मों के बाद करूणा और उसके पति रमेश को औरते एक कमरे में छोड़ आईं।

राकेश ने करूणा से कहा – ‘‘देखो इस घर में तुम्हें किसी बात की तकलीफ नहीं होगी। मैं जानता हूं तुम्हारे घर में अब कोई नहीं है। लेकिन चिन्ता मत करना मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूंगा।

मेरी मां कुछ सख्त स्वभाव की हैं। बस एक बात है मेरे घर में मेरा छोटा भाई बंटी कुछ बिगड़ गया है। मां के लाड़ प्यार ने उसे बिगाड़ दिया है। मैं कोशिश कर रहा हूं कि वह कहीं काम पर लग जाये तो उसकी भी शादी कर दें।

करुण सब कुछ सुन रही थी। उसे अब कुछ सुकून मिल रहा था।

करुणा को सुसुराल आये पूरा एक महीना हो गया था। इस बीच एक बार भी उसके ताई ताउजी ने उसकी खबर नहीं ली कि बेटी को एक बार घर बुला लें। शोभा का हर तीसरे चौथे दिन फोन आ जाता था। रात के समय जब रमेश वापस आते तभी शोभा करुणा से बात करती थी।

एक दिन शोभा ने कहा – ‘‘करुणा मैं एक बार तेरी ससुराल आना चाहती हूं और तुझे अपने घर लाना चाहती हूं।’’

यह सुनकर करुणा ने कहा – ‘‘शोभा मैं अभी नहीं आ सकती दरअसल सर्दी का समय है मुझे इन्हें सुबह ही खाना बना कर देना होता है। मेरी सास से ज्यादा काम नहीं होता। गर्मियों में मैं तुझसे मिलने जरूर आउंगी।

धीरे धीरे समय बीत रहा था। इधर शोभा और उसके पति करन ने अपने घर के पास ही एक जगह जमीन खरीद ली। उस जमीन पर वे एक बड़ा सा हॉस्पिटल बना रहे थे। शोभा और करन काम में इतना बिजी को गये कि उन्हें करुणा का ध्यान ही नहीं रहा।

दोंनो ने अपनी नौकरी छोड़ दी बैंक से लोन लेकर पूरा हस्पिटल तैयार किया। अस्पताल पूरा होने पर वह सभी सुविधाओं से सुसज्जित था। शोभा और करन दिन रात अस्पताल को सुचारू रूप से चलाने के काम में लग गये।

जिसमें स्टाफ को भर्ती करना, सारी मशीने लगाना, पूरे स्टॉफ को ट्रेनिंग देना। इन्हीं सब में दो साल बीत गये। इस बीच न तो करुणा का फोन आया। न शोभा उसे फोन कर पाई।

दो साल बाद एक दिन शोभा अपने घर में बैठी थी। तभी उसे करुणा का ध्यान आया। शोभा ने अपने पति करन से कहा – ‘‘हे भगवान मैं तो अपनी परेशानियों में करुणा को बिल्कुल भूल ही गई। न उसका फोन आया।’’

करन ने कहा – ‘‘क्या करें शोभा इतना बड़ा काम था। एक मिनट की फुर्सत भी नहीं मिली। चलो अब फोन कर लो।’’

शोभा ने फोन मिलाया लेकिन फोन स्विच ऑफ था। कई बार मिलाने पर भी जब नहीं मिला तो करन ने कहा – ‘‘हो सकता है फोन बंद हो कई बार गांव में रात को लाईट नहीं होती चार्ज नहीं हुआ होगा कल मिला लेना उसके पति को दिन में मैसेज दे देना कि घर जाकर करुणा से बात करवा दे।’’

अगले दिन भी शोभा फोन करती रही लेकिन फोन स्विच ऑफ था। शोभा एक बार भी करुणा के ससुराल नहीं गई थी। इसलिये उसे उस गांव का पता भी नहीं था। जहां जाकर वह पता कर सके। कई दिन तक जब करुणा से कोई संपर्क नहीं हो पाया, तो शोभा ने अपने गांव जाकर पता करने की सोची।

एक दिन वह हास्पिटल का काम निबटा कर गाड़ी लेकर अपने गांव पहुंच गई। अपने घर जाकर मां से मिली उसे देखते ही मां ने कहा – ‘‘बेटा तुझे देखने के लिये तो आंखें तरस गईं। पूरे दो साल बाद आई है।’’

शोभा मां के गले लग गई उसकी आंखे भी नम हो गई थीं – ‘‘क्या करती मां हास्पिटल खोलने के चक्कर में समय ही नहीं मिला। अब जरा फुर्सत मिली तो आ गई तुमसे मिलने।’’

चाय नाश्ता करने के बाद मां-बेटी बातें करने बैठ गईं। शोभा ने पूछा – ‘‘मां करुणा के बारे में कुछ पता लगा क्या। कई दिन से उसे फोन लगा रही हूं। लेकिन फोन स्विच ऑफ आ रहा है।’’

शोभा की मां ने कहा – ‘‘नहीं बेटी उसके ताउ-ताई तो ढंग से बात करते नहीं हैं। इसलिये हम उनसे कोई मतलब नहीं रखते, बस इतना पता है कि उसके घर को किराये पर चढ़ा का उसका ताउ मजे कर रहा है और घर बेचने की कोशिश भी कर रहा है।’’

शोभा ने निराश होते हुए पूछा – ‘‘क्या मैं एक बार उसके ताउ-ताई से मिल कर पूछूं शायद उन्हें पता हो।’’

लेकिन मां ने मना कर दिया – ‘‘बेटी वे तो तुझे पहले ही पसंद नहीं करते तुझे देखेंगे तो और भड़क जायेंगे और मुझे लगता है उन्हें भी कुछ पता नहीं होगा क्योंकि उन्होंनं उसे पगफेरे के लिये तो बुलाया नहीं आज तक वह इस गांव में आई नहीं है, न यहां से कोई गया है उससे मिलने।’’

लेकिन शोभा नहीं मानी वह करुणा  के ताउ के घर पहुंच गई। दरवाजा खटखटाया उसकी ताई ने दरवाजा खोला – ‘‘अरे शोभा तुम बहुत दिनों बाद आई, बताओ क्या काम है।’’

शोभा ने कहा – ‘‘ताई जी करुणा की कोई खबर है क्या आपको कई दिन से उसका फोन नहीं लग रहा।’’

यह सुनकर ताई ने हस कर कहा – ‘‘उसके ताउ ने इतने अच्छे घर में उसकी शादी की है राज कर रही होगी। जब वो हमें याद नहीं करती तो हमें उसकी क्या जरूरत है। एक बार भी अपने पति के साथ हमसे मिलने नहीं आई।’’

यह सुनकर शोभा उदास हो जाती है फिर भी वह पूछती है – ‘‘ताई जी आप मुझे बस उसके गांव का नाम बता दीजिये मैं ढूंढ लूंगी।’’

इस पर मुंह बनाते हुए ताई ने कहा – ‘‘बेटी मुझे तो पता नहीं तेरे ताउ शहर गये हैं।’’ करुणा की ताई ने टाल दिया।

शोभा निराश होकर वापस आ गई।

शेष आगे …

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