New Beginning Story : करूणा अगले दिन हॉस्पिटल के लिये तैयार हो रही थी। सुबोध का फोन आया। करूणा ने बॉलकानी से नीचे देखा सुबोध उसका इंतजार कर रहा था।
करूणा जल्दी से नीचे आ गई। दोंनो हॉस्पिटल के लिये जा रहे थे। लेकिन आज करूणा सुबोध के सामने थोड़ा शर्मा रही थी।
दोंनो हॉस्पिटल में जाकर अपने अपने काम में लग जाते हैं। शाम को दोंनो एक रेस्टोरेन्ट में खाना खाने जाते हैं।
वहां पहुंच कर सुबोध, करूणा से बात करता है – ‘‘करूणा मैं दो दिन के लिये बाहर जा रहा हूं।’’
करूणा उसे आश्चर्य से देखती है – ‘‘कहां जा रहे हो? क्या बात है सब ठीक तो है?’’
सुबोध कहता है – ‘‘हां सब ठीक है मुझे एक जगह से नौकरी का ऑफर मिला है। मैं वहीं जा रहा हूं। अगर बात बन गई तो एक सप्ताह बाद मैं भी वहीं शिफ्ट हो जाउंगा।’’
यह सुनकर करूणा बहुत खुश होती है – ‘‘सच मैं तो यही सोच कर परेशान थी। कि मैं वहां अकेले कैसे रहूंगी।’’
सुबोध बोला – ‘‘मुझे तम्हारी ज्यादा चिंता थी। इसलिये मैं वहां जा रहा हूं।’’
सुबोध दो दिन के लिये चला जाता है। करूणा के लिये ये दो दिन काटने मुश्किल हो जाते हैं। कहां वह जिन्दगी से उम्मीद छोड़ चुकी थी लेकिन अब वह सुबोध के साथ जिन्दगी जीना चाहती है।
दो दिन बाद सुबोध आ जाता है। दोंनो हॉस्पिटल में मिलते हैं। सुबोध करूणा से बात करता है – ‘‘करूणा मुझे नौकरी मिल गई है मैं चाहता हूं इसी सप्ताह हम यहीं शादी कर लें उसके बाद हम दोंनो वहां जाकर एक साथ रहें। पति-पत्नि की तरह।
करूणा कहती है – ‘‘सुबोध इतनी जल्दी सब कैसे होगा? हमें कुछ समय लेना चाहिये।’’
सुबोध ने मुस्कुराते हुए कहा – ‘‘करूणा अगर तुम्हें सोचने के लिये समय चाहिये तो बात अलग है, लेकिन अगर सब इंतजाम करने की बात है तो वो सब मुझ पर छोड़ दो।’’
करूणा ने शर्माते हुए हां कर दिया।
तभी सुबोध ने खड़े होकर पूरे हॉस्पिटल स्टाफ के सामने कहा – ‘‘दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैं और करूणा शादी कर रहे हैं। इसलिये आज का लंच मेरी तरफ से रहेगा। साथ ही आपको हमारी मदद करनी होगी शादी के इंतजाम करने में।’’
करूणा को यह उम्मीद नहीं थी। उसने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया। सभी ने आकर करूणा और सुबोध को बधाई दी।
दो दिन बाद शादी की तारीख पक्की की गई। बहुत ही साधारण तरीके से मन्दिर में शादी करने वाले थे। फिर शाम को कुछ खास दोस्तों को पार्टी के लिये बुलाया गया था।
करूणा का बहुत मन था। शोभा को बुलाने के लिये। सुबोध ने कहा – ‘‘करूणा अगर तुम चाहती हों कि शोभा को बुलाया जाय तो मैं जाकर उन्हें इन्वाईट कर आउंगा।’’
करूणा ने कहा – ‘‘नहीं सुबोध अब मैं पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहती हूं। जो कुछ भी है बस हम दोंनो ही हैं।’’
दो दिन तक करूणा और सुबोध खरीदारी करने में बुकिंग करने में लगे रहे। शादी वाले दिन दोंनो मन्दिर पहुंच गये। वहां सुबोध के दोस्तो ने पहले ही सारे इंतजाम कर रखे थे। इधर हॉस्पिटल में करूणा के साथ काम करने वाली उसकी सहेलियों ने करूणा को सजाने और मन्दिर तक लाने का काम किया।
बहुत ही साधारण तरीके से दोंनो शादी की। उसके बाद वे सब घर आ गये। पहली बार करूणा अपने घर न जाकर सुबोध के घर आई थी। वहां उसका नई बहु की तरह स्वागत हुआ।
घर में बहुत चहल पहल थी। सभी लोग इन दोंनो की शादी को सेलिब्रेट कर रहे थे। शाम के लिये एक रेस्टोरेन्ट बुक किया गया था। जहां खास लोगों को पार्टी दी जा रही थी।
करूणा आज बहुत खुश थी। उसे लग रहा था जैसे उसके सारे सपने पूरे हो रहे हैं। यही तो चाहती थी, वो एक प्यारा सा पति, एक घर, लेकिन नियती ने उसके साथ जो किया उसे भुला कर वह आज का दिन अच्छे से जीना चाहती थी।
अपने पिछले सफर की कड़वी, खट्टी यादों को वह भूल जाना चाहती थी।
देर रात दोंनो घर आये। बहुत ज्यादा थके होने के कारण दोंनो सो गये।
अगले दिन करूणा उठी उसने नहा-धो कर भगवान की पूजा की। सुबोध जब उठ कर आया तो करूणा पूजा कर रही थी। उसे देख कर सुबोध ने कहा – ‘‘करूणा आज लगता है सचमुच भगवान घर में आये हैं। मैं तो ऐसे ही हाथ जोड़ कर निकल जाता था।’’
करूणा ने हसते हुए कहा – ‘‘अब आप देखिये कैसे मैं सब संभालती हूं।’’
सुबोध हसने लगा। करूणा ने कहा – ‘‘अब हमारे पास बहुत कम समय है हम आज ही चलते हैं। नई जगह पर फ्लेट देखने चार दिन बाद हमें वहां ज्वाईन करना है।’’
सुबोध तैयार होकर आ जाता है। एक टैक्सी किराये पर लेकर दोंनो दूसरे शहर के लिये निकल जाते हैं। हाईवे पर टैक्सी हवा से बातें करते हुए जा रही थी। करूणा गाड़ी के बाहर देखते हुए सोच रही थी। शायद पिछली जिन्दगी के सारे दुःख पीछे छूट रहे हैं।
लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था।
शेष आगे …
Image Source : Playground
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