बेसहारा – भाग – 10 | Emotional Hindi ki Kahani

Emotional Hindi ki Kahani
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Emotional Hindi ki Kahani : करूण फिर से अपने काम में व्यस्त हो जाती है। हॉस्पिटल का काम और घर पहुंच कर शोभा का ध्यान रखना इसी में उसका समय बीत जाता था।

इसी बीच शोभा से अब कम ही चला फिरा जाता था। तो उसने करन का काम भी करूणा पर डाल दिया – ‘‘करूणा, तुझे परेशान तो कर रही हूं लेकिन मैं मजबूर हूं। तू करन का थोड़ा काम संभाल ले जैसे उसके कपड़े लांड्री में देना उसकी चीजें संभाल कर उसकी अलमारी में रखना। करन ये सब नहीं कर पायेगा।’’

करूणा ने कहा – ‘‘शोभा तू बिल्कुल चिन्ता मत कर जीजाजी को कोई परेशानी नहीं होगी।’’

करूणा ने पूरी जिम्मदारी उठा ली थी। शोभा को उसके आने से बहुत सुकून मिल रहा था। एक दिन शोभा ने करूणा से कहा – ‘‘करूणा तेरा मन नहीं करता कभी अपने गांव जाकर अपने घर के बारे में पता करने का वहां अब कौन होगा। आखिर तेरा हिस्सा है।’’

करूणा ने कहा – ‘‘नहीं अब तक मेरे ससुराल वालों ने वहां सब कुछ उल्टा सीधा बता दिया होगा कि मैं घर से भाग गई हूं। इसे सुनकर मेरे रिश्तेदार, ताउ-ताई सब मुझे कोस रहे होंगे। वैसे भी अब उस घर में बचा ही क्या है। वह तो ताउ ने हड़प लिया होगा।’’

शोभा ने कहा – ‘‘नहीं करूणा हिस्सा तो तेरा ही रहेगा। अभी तो मैं नहीं जा सकती लेकिन सब कुछ ठीक होने पर मैं तुझे ले जाउंगी वहां और तेरा हिस्सा बेच कर पैसे तुझे दिलवा दूंगी।’’

करूणा ने कहा – ‘‘नहीं शोभा मैं वापस उन सब चीजों को याद करके परेशान नहीं होना चाहती हूं। वैसे भी मुझे यहां किसी चीज की कमी नहीं है। मैं तो अपना दुःख मिटाने के लिये मरीजों की सेवा करती हूं।’’

यह कहकर करूणा की आंखों में आंसू आ गये। शोभा ने उसे चुप कराते हुए कहा – ‘‘अच्छा चल अब रो मत, हम नहीं जायेंगे।’’

इसके बाद करूणा शोभा को नाश्ता देकर घर के कामों में लग गई। सारे काम निबटा कर वह फटाफट हास्पिटल पहुंच गई।

करन जब शोभा के पास आया तो शोभा ने कहा – ‘‘करन हमें करूणा के लिये कुछ करना चाहिये। जिससे उसे कभी ऐसा न लगे कि वह हम पर बोझ है।’’

करन बोला – ‘‘क्यों न हम उसके गांव का मकान बेच कर और कुछ लोन लेकर उसके लिये एक मकान खरीद दें। वैसे भी वह हॉस्पिटल से मिले पैसों का कुछ नहीं करती।’’

शोभा बोली – ‘‘हां मैं भी यही सोच रही थी। मैंने करूणा से बात भी की थी, लेकिन वह गांव में जाना ही नहीं चाहती है।’’

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करन बोला – ‘‘उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी मैं प्रोपर्टी डीलर से बात कर लूंगा उसे सिर्फ कोट जाना होगा साईन करने के लिये। तुम इसके लिये करूणा को मना लो बस।’’

शोभा ने कहा – ‘‘हां ये ठीक रहेगा। इससे उसका शहर में अपना घर हो जायेगा। वह चाहें तो यहां रहे और चाहें तो अपने घर में।’’

करन तैयार होकर नाश्ता करके हॉस्पिटल चला जाता है। शोभा करूणा के बारे में सोच रही थी। कि करूणा का मकान का काम हो जाये तो वह कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसकी शादी करवा दे।

इसी तरह समय बीत रहा था। एक दिन शोभा को तकलीफ होने लगी। रात को करूणा उसके पास ही थी। शोभा बोली – ‘‘करूणा उठ जा लगता है हॉस्पिटल जाना होगा।’’

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करूणा ने जल्दी से करन को उठाया दोंनो मिल कर शोभा को हॉस्पिटल ले गये। करन और करूणा दोंनो हॉस्पिटल में शोभा के साथ थे। शोभा को बहुत तेज दर्द हो रहा था।

रात के करीब दो बजे शोभा ने एक बेटे को जन्म दिया। करूणा और करन बहुत खुश हुए।

तभी करूणा ने करन से कहा – ‘‘जीजाजी शोभा ने छोटे छोटे कपड़े बनाये थे बच्चे के लिये मैं घर से उन्हें ले आती हूं।’’

यह सुनकर करन ने कहा ठीक है रात में मत जाओ मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं। वैसे भी शोभा अभी सो रही है और डॉक्टर हैं उसके पास।

करन, करूणा को लेकर घर आ जाता है करूणा शोभा के बेड रूम में जाकर उसकी अलमारी में बच्चे के कपड़े निकालने लगती है। तभी करन वहां आ जाता है।

करन उससे कहता है – ‘‘करूणा तुम कब तक अकेली रहोगी मेरा मतलब है मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।’’

यह कहकर वह करूणा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खीचने लगता है।

करूणा अचानक हुए इस हमले से घबरा जाती हैं उसे करन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह धक्का देकर अपने आपको उससे अलग करती है। लेकिन करन उससे जबरदस्ती करने लगता है। तभी करूणा उसे जोर से थप्पड़ मारती है।

करूणा कहती है – ‘‘कमीनों तुम सब एक जैसे हो जानवर मेरे देवर और तुझमें कोई फर्क नहीं है। बस मौका मिलना चाहिये। तुझे शर्म नहीं आती एक लाचार पर जोर जबरदस्ती करते हुए।’’

करूणा तेजी से सब फेंक कर बेडरूम से बाहर आ जाती है। करन उसे पकड़ने के लिये बाहर आता है तभी डोलबेल बजती है।

करन घबरा कर गेट की ओर जाता है। करूणा अपने अस्त-व्यस्त कपड़ों को ठीक करती है। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।

तभी वह देखती है। हॉस्पिटल का बार्ड बॉय सामने खड़ा था – ‘‘साहब जल्दी चाहिये आपका बच्चा नहीं बचा। उसे जोर की हिचकी आई और वह मर गया।’’

यह सुनकर करन घबरा गया। करूणा ने आंखें लाल करते हुए करन की ओर देखा जैसे वह उसे बता रही थी, कि उसके कर्मों की सजा उसके बेटे को मिल गई।

करन ने एक नजर करूणा की ओर देखा उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वह झट से हॉस्पिटल की ओर चल दिया।

इधर करूणा ने एक सूटकेस में अपने उल्टे सीधे अपने कपड़े भरे और वहां से बाहर चल दी जाते समय उसने एक बार उस मकान को और टेबल पर रखी शोभा की फोटो को देखा। लेकिन मायूसी और डर ने उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म कर दी थी। वह तेजी से बाहर निकल गई।

शेष आगे …

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बेसहारा – भाग – 3बेसहारा – भाग – 4
बेसहारा – भाग – 5बेसहारा – भाग – 6
बेसहारा – भाग – 7बेसहारा – भाग – 8
बेसहारा – भाग – 9बेसहारा – भाग – 10
बेसहारा – भाग – 11बेसहारा – भाग – 12
बेसहारा – भाग – 13बेसहारा – भाग – 14
बेसहारा – भाग – 15बेसहारा – भाग – 16

Image Source : Playground

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