भगवान् को न मानने वालों के साथ हुआ खाटूश्याम जी का चमत्कार | Khatu Shyam Ji ke Chamatkar ki Kahani

Khatu Shyam Ji ke Chamatkar ki Kahani

Khatu Shyam Ji ke Chamatkar ki Kahani : पिछले कुछ सालों से खाटू श्याम जी के भक्तो की तादात लगातार बढ़ती ही जा रही है। कहा जाता है की खाटू श्याम बाबा जिस किसी के सर पर अपना हाथ रख देते हैं

वो जीवन में कभी हारता नहीं है इसीलिए उन्हें हारे का सहारा भी कहा जाता है।

आज ये जो घटना हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं ये गुडगाँव में रहने वाले एक परिवार की है। ये घटना अभी दो महीने पहले अक्टूबर की ही है।

अभिषेक और उनकी पत्नी नेहा गुडगाँव के एक फ्लैट में रहते थे। दोनों एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे थे।  एक साल पहले ही दोनों की शादी हुई थी। दोनों एकदम मॉडर्न नए ख्यालों वाले… ना उन्हें भगवान से मतलब था ना ही अपने कल्चर से… और ना ही अपने घरवालों से…..

दोनों पति पत्नी अपनी छोटी सी दुनिया में खुश थे। दिन भर    जॉब करना और रात में पार्टी… इसके अलावा उन्होंने और कोई दुनिया देखी ही नहीं थी।

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ऐसे ही समय बीत रहा था…

कुछ दिन बाद अभिषेक और नेहा को पता चला की वो दोनों माता पिता बनने वाले हैं। ये खबर सुनकर दोनों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।

दोनों ने ये खबर सबसे पहले अपने माता पिता को दी। अभीषेक के माता पिता कानपूर में रहते थे। ये खबर सुनकर अभिषेक की माँ सुनैना जी ने कहा – बेटा ये तो तूने बहुत ख़ुशी की खबर सुनाई लेकिन अब बहु को बहुत ध्यान से रहने की जरूरत है…

तू अब उसकी नौकरी छुड़वा दे और मैं वहाँ आ जाती हूँ.. बच्चा होने तक  मैं अच्छे से बहु का ध्यान रखूंगी….. तभी नेहा उन्हें आने के लिए मना कर देती है।

अभिषेक नेहा को समझता है की माँ को आ जाने दो वो तुम्हारा अच्छे से ध्यान रख लेंगी.. लेकिन नेहा कहती है – आज के समय में किसी की जरूरत नहीं पड़ती और तुम्हारी माँ बहुत ही पुराने ज़माने की हैं…

मैं एक अच्छी सी मैड रख लुंगी अपना ध्यान रखने के लिए और आगे जरूरत पड़ी तो एक नर्स हायर कर लेंगे.. आप चिंता मत करिए।

ऐसे ही समय बीतने लगता है.. नेहा अपना अच्छे से ध्यान रखती और ऑफिस भी जाती थी। उसने दो मैड रख ली थी एक घर के कामों के लिए और एक अपना ध्यान रखने के लिए।

ऐसे ही चार महीने बीत जाते हैं। नेहा ने अब ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। वो सारा दिन घर पर रहती और आराम करती।

ऐसे ही आठ महीने बीत गए। अभिषेक की माँ रोज़ फ़ोन करके नेहा के हाल चाल पूछ लिया करती थीं।

एक दिन नेहा घर पर आराम कर रही थी। तभी उसे बहुत जोर से प्यास लगी। उसने अपनी मैड को आवाज़ दी लेकिन कई बार बुलाने पर भी कोई नहीं आया… नेहा धीरे धीरे चलकर किचन तक गयी और पानी लेकर आई…..फर्श पर अभी पोंचा लगा था इसीलिए थोड़ा गीला था।

नेहा ने ध्यान नहीं दिया और उसका पांव फिसल गया… वो बहुत जोर से पेट के बल जमीन पर गिर पड़ी…….नेहा जोर जोर से चिल्ला रही थी लेकिन घर में कोई नहीं था वो दर्द से बुरी तरह तड़प रही थी…..बहुत देर चिल्लाने के बाद वो बेहोश हो गयी।

थोड़ी देर बाद जब दोनों मैड घर आई तो नेहा को देखकर घबरा गयी उन्होंने अभिषेक को फ़ोन किया।

कुछ देर बाद नेहा को हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया। अभिषेक बहुत डर गया था। कुछ देर बाद नेहा का चैकअप करने के बाद डॉक्टर ने बताया की माँ और बच्चा दोनों ठीक हैं। उसके बाद  अभिषेक और नेहा घर वापस आ गए।

दो हफ्ते बाद नेहा की डिलीवरी हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया। दोनों के माता पिता भी वहाँ पहुँच गए थे। पूरा परिवार बहुत खुश था।

लेकिन दो दिन बाद अभिषेक की माँ ने महसूस किया की बच्चा किसी भी चीज़ पर कोई रेस्पोंस नहीं कर रहा है ना वो किसी की बात सुनता है ना ही किसी को देखकर कोई एक्टिविटी करता है। उन्होंने तुरंत ये बात सबको बताई..

सब लोग तुरंत बच्चे को लेकर हॉस्पिटल गये। डॉक्टर ने बच्चे का अच्छे से चेकअप किया और उसके बाद जो डॉक्टर ने बताया उसे सुनकर सबके होश उड़ गये…

डॉक्टर ने कहा की ये बच्चा ना आँखों से देख पा रहा है ना ही कानों से सुन पा रहा है… ये सुनकर सब रोने लगे किसी को समझ नहीं आ रहा था की अचानक ये सब क्या हो गया।

नेहा डॉक्टर के सामने रोने लगी की डॉक्टर प्लीज मेरे बच्चे को ठीक कर दीजिए… लेकिन डॉक्टर ने कहा की अभी हम कुछ ठीक से बता नहीं सकते अभी हमें इसके सारे टेस्ट करने होंगे उसके बाद ही कुछ बता पाएंगे।

सब लोग घर वापस आ गए। सबकी आँखों में आंसू थे… सारी खुशियाँ एक पल में गम में बदल गयीं थी। अगले दिन नेहा और अभिषेक बच्चे को लेकर हॉस्पिटल गये जहाँ बच्चे के सारे टेस्ट हुए।

दो दिन बाद डॉक्टर ने बताया की बच्चे के दिमाग पर चोट लगी है जिसकी वजह से दिमाग का एक हिस्सा पूरी तरह डैमेज हो गया है इसीलिए बच्चे की आँखों की रौशनी चली गयी है और वो सुन भी नहीं पायेगा।

तब अभिषेक ने कहा की – डॉक्टर लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है बच्चे को चोट कैसे लग सकती है…?

डॉक्टर ने कहा की अभिषेक जी अभी 2 हफ्ते पहले आपकी पत्नी पेट के बल गिरी थी शायद उसी समय बच्चे की सर पर चोट लग गयी।

नेहा और अभिषेक बहुत घबरा गए। उन्होंने डॉक्टर से इसका इलाज पूछा लेकिन डॉक्टर ने बताया की इसका एक ही इलाज है दिमाग का ऑपरेशन……. लेकिन इसमें कामयाब होने के चांस बहुत कम हैं अगर ऑपरेशन असफल रहा तो बच्चे की जान भी जा सकती है।

नेहा और अभिषेक रोते हुए घर वापस आ गए। अगले दिन दोनों बच्चे को लेकर शहर के सबसे अच्छे दिमाग के डॉक्टर के पास गए लेकिन वहाँ से भी यही जवाब मिला। दो महीने तक दोनों बच्चे को लेकर जगह जगह भटकते रहे… अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल और डॉक्टर के पास….. लेकिन सब जगह से एक ही जवाब मिला…….ऑपरेशन…….. ।

दोनों हार कर निराश होकर बैठ गये। अभिषेक की माँ दिन रात भगवान से प्रार्थना करती की किसी तरह बच्चा ठीक हो जाये। नेहा बहुत उदास रहने लगी थी वो जब भी अपने बच्चे की तरफ देखती उसका मन रोने लगता। ऐसे ही तीन साल बीत गए। दोनों की जो थोड़ी बहुत आस थी वो भी अब खत्म हो चुकी थी।

अभिषेक की माँ यही रहकर बच्चे की देखभाल कर रहीं थी। एक दिन सब लोग बैठे बातें कर रहे थे तभी उनकी एक पड़ोसन आई और सबको परसाद देने लगी। तब सुनैना जी ने पूछा की बहन जी ये किस चीज़ का परसाद बाँट रही हो..?

उन्होंने कहा ये मेरे बाबा खाटू श्याम का परसाद है आज ही मेरे बेटे की सरकारी नौकरी लगी है पांच साल से कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ नहीं हुआ.. दो हफ्ते पहले ही बाबा के दर्शन करके आया है और कल ही उसकी नौकरी पक्की हो गयी… आज उनका भोग लगा के आई हूँ उसी का परसाद है…जय हो मेरे खाटू श्याम बाबा की।

सुनैना जी ने उन्हें बैठाया, चाय नाश्ता कराया और बातें करने लगी। बातें करते करते सुनैना जी उदास हो गयी और बोली देखिये बहन जी कितना छोटा बच्चा और ऐसी बीमारी हो गयी हम तो सब जगह दिखा कर हार गए लेकिन कोई फयदा नहीं हुआ…

तब उनकी पड़ोसन ने कहा अगर आप लोगों को ठीक लगे तो इसे बाबा के मंदिर ले जाओ वही हैं हारे का सहारा.. उनके दरबार से आज तक कोई खली हाथ नहीं लौटा… हो सकता है वहाँ जाकर इस बच्चे का नसीब भी खुल जाए।

ऐसा कहकर वो चली गयी। उसके बाद सुनैना जी सोच में पढ़ गयी और नेहा और अभिषेक से बोली की बेटा चलो खाटू श्याम जी के दर्शन करने चलते हैं क्या पता वहाँ जाकर सच में हमारा बच्चा ठीक हो जाये।

अभिषेक ने कहा – माँ आप ये कैसी बात कर रही हो जब डॉक्टर के पास भी इसका कोई इलाज नहीं है तो मंदिर जाकर क्या हो जायेगा… मैं इन सब बातों को नहीं मानता…. ।

तब सुनैना जी ने उसे समझाया की बेटा भगवान के पास हर चीज़ का इलाज होता है तुम सबके कहने से इतने डॉक्टर के पास गए लेकिन कुछ नहीं हुआ… एक बार मेरे कहने से बाबा के दर्शन करने चलो… ।

कुछ देर सोचने का बाद नेहा और अभिषेक चलने को तैयार हो गए। अगले दिन सब लोग बच्चे को लेकर खाटू श्याम जी के मंदिर पहुँच गए। भीड़ ज्यादा थी… तीन घंटे लाइन में लगने के बाद वो बाबा के सामने पहुंचे।

बाबा को देखते ही नेहा और अभिषेक की आँखों से आंसू बहने लगे और दोनों ने हाथ जोड़ के बाबा से कहा – बाबा आज तक हमने कभी भगवान की पूजा नहीं की आज पहली बार हम आपके दर्शन करने आये हैं हमारे बच्चे पर कृपा करो बाबा…. ऐसा कहकर दोनों फूट फूट कर रोने लगे।

कुछ देर बाद दर्शन करके सब बाहर आये। सुनैना जी बच्चे को गोद में लेकर चल रहीं थी। सामने एक पत्थर पड़ा था उन्होंने भीड़ भाड़ में देखा नहीं और वो उससे टकरा कर गिर गयीं। बच्चे का सर पत्थर से टकराया और बहुत खून बहने लगा। दोनों को पास के हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।

सुनैना जी को थोड़ी ही चोट आई थी लेकिन बच्चा बेहोशी की हालत में था उसके सर में ज्यादा चोट आई थी। सारा दिन बीत गया लेकिन बच्चे को होश नहीं आया था। डॉक्टर भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे।

नेहा का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था। ये सब देखकर अभिषेक परेशान हो गया और अपनी माँ से बोला – माँ ये सब आपकी वजह से हुआ है ना हम यहाँ आते और ना हमारे बच्चे का ये हाल होता…. ।

पूरी रात बीत गयी… सुबह छ बजे बच्चे ने अपनी आँखें खोली नेहा ने उसे अपनी गोद में लेटा लिया। बच्चा मुस्कुरा कर सबको देख रहा था जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं था। वो सबके इशारे समझ रहा था और सबकी बातें सुन रहा था…. उसकी आँखों की रौशनी वापस आ गयी थी और वो सब कुछ सुन पा रहा था।

ये सब देखकर नेहा और अभिषेक को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। दोनों ने बच्चे को गले लगाया और बाबा का धन्यवाद किया। उनकी तो जैसे दुनिया ही बदल गयी थी खाटू आकर… । दोनों की आँखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे।

अगले दिन बच्चे के साथ तीनों ने बाबा के दर्शन किये और अपने घर वापस आ गए। उसके बाद से दोनों पति पत्नी हर महीने बाबा के दर्शन करने जाने लगे।

खाटू नरेश की जय हो…