समझदार बहु – भाग 3

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इधर सचिन मधुसूदन जी और सरला जी को लेकर हास्पिटल पहुंचा। उन्हें दूर से देख कर संजना ने अपने आंसू जल्दी से पोंछ लिये।

मधुसूदन जी: बेटी क्या बात है? कैसे है राजेश अब?

संजना ने कुछ नहीं कहा आई सी यू की ओर इशारा कर दिया।

सरला जी की आंखों से आंसू बह रहे थे।

सरला जी: यह तो कह रहा था थोड़ी सी चोट लगी है। फिर आई सी यू में क्यों है?

संजना: मैंने इसे बताने के लिये मना किया था, आप उनसे मिल लीजिये आपको बहुत याद कर रहे हैं।

राजेश के मम्मी पापा दोंनो आई सी यू में जाते हैं।

सरला जी: राजेश बेटा उठ क्या हो गया तुझे?

राजेश: मॉं … में जा रहा हूं … अपना ध्यान रखना … संजना पर गुस्सा मत होना … पापा मुझे माफ कर देना।

बहुत मुश्किल से राजेश बोल पा रहा था उसकी जबान लड़खड़ा रही थी।

मधुसूदन जी: बेटा हिम्मत मत हार तू ठीक हो जायेगा। हम तुझे कहीं नहीं जाने देंगे।

सरला जी: अपनी मॉं को किसके भरोसे छोड़ कर जा रहा है। तुझे ठीक होना पड़ेगा। मेरा ख्याल कौन रखेगा?

राजेश कुछ चाह कर भी बोल नहीं पा रहा था उसकी आंखों से टपटप आंसू बह रहे थे।

तभी डॉक्टर ने आकर कहा –

डॉक्टर: देखिये ज्यादा बात मत कीजिये इनकी हालत नाजुक बनी हुई और ज्यादा स्ट्रेस ये बर्दास्त नहीं कर पायेंगे।

दोंनो रोते हुए बाहर आ गये।

उन्हें देख कर संजना का सब्र का बांध टूट गया। वो सरला जी से गले लग कर फूटफूट कर रोने लगी।

सरला जी: चुप हो जा अब जो होना था हो गया। संभाल अपने आप को।

सचिन: दीदी मैंने मम्मी पापा को फोन कर दिया था वे लोग भी आते होंगे।

संजना के सर पर मधुसूदन जी ने हाथ फेरा

मधुसूदन जी: बेटी घबरा मत उपर वाले पर भरोसा रख भगवान सब ठीक कर देंगे।

सभी आई सी यू के बाहर पड़ी बेंच पर बैठ गये।

कुछ ही देर में संजना के मम्मी पापा भी आ गये। संजना के पापा जगदीश जी एक डॉक्टर थे। उन्होंने डॉक्टर से बात की संजना की मम्मी कोमल जी सरला जी के पास बैठ कर उन्हें ढंढास बंधा रही थी।

कुछ देर बाद जगदीश जी बाहर आये और बोले

जगदीश जी: भाई साहब आप बहनजी को लेकर घर चले जाईये हम लोग यहां हैं। सचिन तू इन्हें घर लेजा।

सरला जी: मैं अपने बेटे को छोड़ कर कहीं नहीं जाउंगी। एक गलती पहले भी कर चुकी हूं।

जगदीश जी ने सचिन को बुला कर कुछ कहा फिर वे मधुसूदन जी से बोले –

जगदीश जी: भाई साहब मेरी बात मान लीजिये यहां रुकने को कोई फायदा नहीं मैं तो कहता हूं संजना को भी साथ ले जाईये।

सचिन: चलिये दीदी पापा सही कह रहे हैं। घर चलिये।

जगदीश जी ने दबाब बना कर तीनों को सचिन के साथ घर भेज दिया।

कोमल जी: आपने इन्हें घर क्यों भेज दिया?

जगदीश जी: कोमल कुछ नहीं बचा राजेश हमें छोड़ कर चले गये।

यह सुनकर कोमल जी फूट फूट कर रोने लगीं।

जगदीश जी: मैंने इसीलिये इन्हें भेज दिया। सचिन उन्हें घर जाकर सब बता देगा। यहां पता लगता तो इनका घर पहुंचना मुश्किल हो जाता। अभी सचिन आयेगा तो तुम भी घर चली जाना।

कोमल जी: अब क्या होगा हमारी बच्ची का? उसका जीवन कैसे कटेगा?

जगदीश जी की आंखों से आंसू झलक रहे थे। उन्होंने कुछ नहीं कहा और रिशेप्शन पर पेंमेंट करने चले गये।

सचिन ने पहले ही रिश्तेदारों को फोन कर दिया था। जब वह सबको लेकर घर पहुंचा तो वहां पहले से भीड़ लगी थी।

संजना: इतनी रात को ये सब कैसे आ गये? सचिन क्या बात है सच सच बता?

सचिन: दीदी सब खत्म हो गया?

संजना: क्या? अभी तो राजेश से मेरी बात हुई थी। क्या बकवास कर रहा है? मुझे हास्पिटल ले चल।

सचिन: दीदी पापा अभी जीजाजी को लेकर आ ही रहे हैं।

यह सुनकर संजना अपने होश खो बैठी उसके सास ससुर पहले ही अंदर जा चुके थे उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। तभी रिश्ते की कुछ औरतों ने संजना को संभाला। उसके मुंह पर पानी के छींटे मारे। थोड़ा सा होश में आने पर वह रोने लगी। उसे सहारा देकर अंदर ले गये। वहां जाते ही वह सरला जी से लिपट कर रोने लगी।

शेष आगे …

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