दिवाली की सफाई | Saas bahu ki Diwali ki Safai

Saas bahu ki Diwali ki Safai
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Saas bahu ki Diwali ki Safai : अंजना जी ने अभी कुछ दिन पहले अपने बेटे अविनाश की शादी की थी। रेखा बहु के रूप में उनके घर आई थी।

अंजना जी घर की साफ सफाई का बहुत ध्यान रखती थी। वह घर हो बहुत अच्छी तरह संभालती थीं।

एक दिन अंजना जी ने अपनी बहु रेखा को बुलाया।

अंजना: रेखा कल तुमने रसोई में बर्तन साफ नहीं किये रात के समय झूठे बर्तन छोड़ना अच्छी बात नहीं है।

रेखा: मांजी आपको पता है न कल इनके दोस्त खाने पर आये थे इतना सारा खाना बनाते बनाते मैं इतना थक गई कि खाना खाकर सीधा सोने चली गई।

अंजना: अगर ऐसा था तो मुझ से कह देती मैं बर्तन साफ कर देती।

रेखा: वाह मेहमानों के सामने आपसे कहती बर्तन साफ करने को तो सबके सामने मेरी क्या इज्जत रहती यह तो आपको खुद देख लेना चाहिये था।

बहु का उल्टा जबाब सुनकर अंजना जी चुप रह गई।

इसी तरह समय बीत रहा था। एक दिन अंजना जी ने अविनाश से कहा

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अंजना: बेटा घर बहुत गंदा हो रहा है क्यों न दिवाली से पहले हम घर में रंग रोगन करा लें।

अविनाश: मॉं आप तो जानती हों अभी मेरी लोन की किश्ते चल रही हैं शादी के लिये लोन लिया था उसकी किश्त खत्म होने बाद ही पैसे बचेंगे इस साल ऐसे ही साफ सफाई कर लो।

दिवाली से कुछ दिन पहले अंजना जी ने रेखा से कहा।

अंजना: रेखा इस बार हम दोंनो को ही दिवाली की सफाई करनी है रोज घर का काम खत्म करने के बाद थोड़ी थोड़ी सफाई कर लेंगे।

रेखा: मांजी मैंने तो कभी दिवाली पर अपने घर में सफाई नहीं की मेरे पिताजी जो हर साल रंग रोगन करवाते हैं और बाहर से मजदूर पकड़ कर सफाई करा लेते हैं।  आप भी मजदूर पकड़ लाईये।

अंजना: तुझे पता है न अविनाश के सर पर कर्ज है। वह बेचारा कहां से लायेगा इतना पैसा चल हम दोंनो ही सफाई कर लेंगे।

रेखा: लेकिन मांजी मुझे तो धूल मिट्टी बर्दाशत नहीं है।

अंजना: वाह यह बहुत अच्छा बहाना बनाना तो कोई तुझ से सीखे। मेरा हुक्म है आज से सफाई शुरू होगी।

हार कर रेखा अंजना जी के साथ सफाई शुरू कर देती है।

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अंजना जी एक कमरे की सफाई खुद करती हैं और रेखा को दूसरे कमरे में भेज देती हैं।

रेखा कमरा अंदर से बंद कर बेड पर बैठ कर फोन पर बात करने लगती है। बात करते करते समय का पता नहीं लगता और वह सो जाती है।

कुछ देर बाद अंजना जी दरवाजा खटखटाती हैं।

अंजना: बहु ओ बहु कहां है कहीं सफाई के चक्कर में गिर तो नहीं पड़ी

काफी देर बाद रेखा दरवाजा खोलती है।

अंजना: तू सो रही थी। सफाई नहीं की तूने

रेखा: नहीं मांजी मैंने आपसे कहा था मुझे धूल बर्दाशत नहीं है। मैंने जैसे ही सफाई शुरू की मेरी नाक में धूल गई और में बेहोश हो गई अभी आपने दरवाजा खटखटाया तो मुझे होश आया है।

अंजना जी: रेखा यह कामचोरी मैं खूब समझती हूं जरा सी धूल से कोई बेहोश नहीं हो जाता अच्छा सुन मैंने दूसरे कमरे की सफाई कर दी है तू उसमें पौंछा लगा ले।

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रेखा की चोरी पकड़ी गई वह चुपचाप पौंछा लगाने चली जाती है।

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अगले दिन अंजना जी रेखा को बुला कर कहती हैं।

अंजना: आज बाथरूम साफ करना है तू बाथरूम की सारी टाईल्स को अच्छे से साफ कर दे। मैं बाहर ड्राइंग रूम साफ कर देती हूं। वैसे भी तुझे धूल से एलर्जी है।

रेखा चुपचाप बाथरूम साफ करने चली जाती है।

कुछ देर बाद रेखा फर्श पर साबुन का पानी गिरा का लेट जाती है। और चिल्लाने लगती है।

रेखा: मांजी मांजी मैं गिर गई मुझे बचाओ।

अंजना जी जाकर देखती हैं रेखा फर्श पर पड़ी थी।

अंजना: हे भगवान अब क्या हुआ।

रेखा: मांजी आपको दिखाई नहीं देता मैं गिर गई हूं। मुझे चोट लग गई है। अब मुझसे चला भी नहीं जायेगा।

अंजना जी हाथ का सहारा देकर रेखा को उसके कमरे में छोड़ आती हैं।

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शाम को अविनाश आता है तो रेखा उससे कहती है।

रेखा: सुनो जी सफाई के चक्कर में मैं गिर गई अब मुझसे काम नहीं होगा अपनी मॉं से कहा वे सफाई छोड़ कर घर का काम संभाल लें।

अविनाश अंजना जी से बात करता है।

अंजना: सब बहाने बाजी है इसकी कोई बात नहीं मैं सारा काम कर लूंगी।

दो दिन बाद अविनाश शाम को घर आता है।

अविनाश: मॉं मुझे दिवाली को बोनस मिला है चलो दिवाली की खरीदारी करने चलते हैं।

अंजना: हॉं ठीक है वैसे भी बहु तो जा नहीं सकती।

तभी रेखा भागती हुई आती है।

रेखा: मांजी मैं भी चलूंगी मुझे भी बहुत सारा सामान खरीदना है।

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यह देख कर अविनाश और अंजना जी हसने लगते हैं।

रेखा: मांजी मुझे माफ कर दीजिये आगे से मैं आलस छोड़ कर सारा काम करूंगी।

इसके बाद तीनो दिवाली की खरीदारी करने चले जाते हैं।

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