Panchatantra Story of Crocodile : एक नदी में एक मगरमच्छ रहता था। वह बहुत सीधा था। उसके साथ उसका एक मित्र रहता था। वह बहुत चालाक था।
दोंनो मगरमच्छ नदी में रहते थे और अलग अलग शिकार कर खाते थे।
एक दिन एक लकड़हारा नदी के किनारे पेड़ काट रहा था। तभी मगरमच्छ उसके पास आता है। पहले तो लकड़हारा डर जाता है। लेकिन वह मगरमच्छ लकड़हारे से कहता है – ‘‘तुम यह पेड़ मत काटो जब मेरा मन करता है मैं इस पेड़ की छांव में बैठ जाता हूं।’’
उसकी बात सुनकर लकड़हारा बोला – ‘‘लेकिन यह तो मेरा काम है मैं तो लकड़ी बेचकर ही पैसे कमाता हूं।’’
मगरमच्छ कहता है – ‘‘नदी के उस पार बहुत से सूखे पेड़ हैं मैं उनके नीचे बहुत सी लकड़ी हैं मैं तुम्हें वो लकड़ी लाकर दे दूंगा। पर तुम वादा करो कि इन पेड़ों को नहीं काटोगे।’’
लकड़हारा मान जाता है। मगरमच्छ अगले दिन का वादा करके चला जाता है। अगले दिन जब लकड़हारा वहां पहुंचता है उसे लकड़ियों का ढेर मिलता है। कुछ ही देर में मगरमच्छ वहां आ जाता है। लकड़हारा उसका धन्यवाद करता है। उसे बिना मेहनत के लकड़ी मिल गई थीं।
अब हर दिन मगरमच्छ लकड़हारे को लकड़ी लाकर देने लगता है। धीरे धीरे मगरमच्छ और लकड़हारे में दोस्ती हो जाती है। दोंनो बातें करते रहते थे। एक दिन मगरमच्छ लकड़हारे को अपने दोस्त से मिलवाता है। दूसरे मगरमच्छ ने जब लकड़हारे को देखा तो उसके मुंह में पानी आने लगा।
क्योंकि वहां काई भी इंसान डर के मारे नहीं आता था। लेकिन यह लकड़हारा मगरमच्छ की दोस्ती के चक्कर में आता था।
एक दिन जब लकड़हारा वहां से चला गया। तो दूसरे मगरमच्छ ने पहले से कहा – ‘‘अच्छा दोस्त है तुम्हारा तुम मेहनत करते हो और वह मजे से लकड़ी लेकर चला जाता है।’’
यह सुनकर मगरमच्छ ने कहा – ‘‘उसने मुझसे वादा किया है कि वह इन पेड़ों को नहीं काटेगा बदले में मैं उसके लिये लकड़ी लाकर दे देता हूं।’’
यह सुनकर दूसरा मगरमच्छ हसने लगा वह बोला – ‘‘दोस्त तुम बहुत सीधे हो इन इंसानों को नहीं जानते जिस दिन तुम इसे लकड़ी लाकर नहीं दोगे यह पेड़ काट देगा।’’
पहला मगरमच्छ कहता है – ‘‘शुरू में मुझे ऐसा लगता था, लेकिन अब तो वो मेरा दोस्त बन चुका है वह ऐसा नहीं करेगा।’’
दूसरा मगरमच्छ बोला – ‘‘मेरी बात मानों तुम बहुत सीधे हो सोचो अगर उसने यह पेड़ काट दिये तो हम छाया में कहां बैठेंगे। इससे तो अच्छा है इसे मार डालो हम दोंनो मिल कर खायेंगे। इसे किसी बहाने से अपनी पीठ पर बिठा कर नदी के बीच में ले आओ। इससे एक तो हमें इंसान का मांस खाने को मिलेगा और दूसरा हमेशा के लिये इस सबसे मुक्ति मिल जायेगी।’’
मगरमच्छ उसकी बातों में आ जाता है। वह अपनी दोस्ती भूल कर अगले दिन लकड़हारे से कहता है – ‘‘नदी के दूसरी ओर नीचे पड़ी लकड़ी खत्म हो गई तुम मेरी पीठ पर बैठ कर चलो और अपने आप लकड़ी काट लेना फिर तुम्हें मैं इस पार छोड़ दूंगा।’’
लकड़हारा उसकी बात मान कर उसकी पीठ पर बैठ जाता है जब दोंनो बीच नदी में पहुंचते हैं तो मगरमच्छ कहता है – ‘‘तुम क्या हमेशा मुझसे लकड़ी मंगवाते रहोगे मैं यह किस्सा ही खत्म कर देता हूं मैं तुम्हें खा जाता हूं।’’
लकड़हारा बोला – ‘‘लेकिन मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं तुम पर विश्वास करके मैं तुम्हारे साथ आ गया।’’
मगरमच्छ बोला – ‘‘नहीं तुम केवल लकड़ी के लालच में मेरे दोस्त बने हो वो देखा दूर से मेरा दोस्त दूसरा मगरमच्छ आ रहा है हम दोंनो मिल कर तुम्हें खायेंगे।’’
लकड़हारा पहले तो डर जाता है फिर उसे याद आता है कि उसके पास तो कुल्हाड़ी है। वह कुल्हाड़ी निकाल कर मगरमच्छ पर मारने लगता है। कुछ ही देर में मगरमच्छ घायल हो जाता है। यह देख कर दूसरा मगरमच्छ भाग जाता है। तभी वह लकड़हारा कहता है – ‘‘देखा जिसकी बातों में तुम आये थे वो तुम्हें छोड़ कर भाग गया। यह कहकर लकड़हारा पानी में कूद जाता है और तैर कर किनारे पर आ जाता है।’’
शिक्षा: धूर्त की दोस्ती अच्छे दोस्तो में भी दुश्मनी करा देती है।
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