Children Story Kuen Ka Bhoot : एक गॉव में मिट्ठू नाम का एक लड़का अपने माता पिता के साथ रहता था। उसके पिता किसान थे वे खेतों में काम करते थे। मिट्ठू घर पर ही रहता था। वह अपने पड़ोस के बच्चों के साथ खेलता रहता था। एक दिन मिट्ठू गेंद से खेल रहा था तभी उसकी गेंद जंगल की ओर चली गई।
वह गेंद लेने के लिये जंगल में पहुंच गया। वहां जाकर उसे कहीं भी गेंद नहीं मिली। तभी उसने देखा पास ही में एक कुआं है। उसने सोचा कहीं गेंद कुए में तो नहीं चली गई। वह कुऐं के अन्दर झांकने लगा।
तभी उसने देखा कि गेंद पानी के उपर तैर रही थी। अब मिट्ठू ने सोचा गेंद कुऐं से कैसे निकाली जाय। यह सोचकर वह एक पेड़ की टहनी तोड़ लाया उससे गेंद निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन वह टेहनी भी छोटी पड़ गई।
मिट्ठू निराश होकर वापास आने लगा तभी उसने देखा कि उसकी गेंद अपने आप उपर आ गई। यह देख कर उसे बहुत आश्चर्य हुआ।
गेंद को लेकर वह वापस कुऐं के पास गया।
मिट्ठू: कौन है जिसने मेरी गेंद निकाली मैं उसका धन्यवाद देना चाहता हूं।
तभी कुऐं से आवाज आई – मैं कुऐं का भूत हूं। मुझसे डरो मत क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे।
यह सुनकर मिट्ठू डर गया और वहां से भागने लगा। तभी कुऐं से रोने की आवाज आई जिसे सुनकर मिट्ठू रुक गया।
वह डरते डरते कुऐं के पास गया।
तभी कुऐं में से सफेद रंग का भूत बाहर आ गया। मिट्ठू डर के भागने लगा।
भूत: भागो मत मैं बहुत अकेला हूं। मुझसे दोस्ती कर लो।
मिट्ठू: लेकिन कहीं तुम मुझे खा गये तो क्या होगा?
भूत: अरे मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। सब मुझसे डरते हैं लेकिन किसी से भी पूछ लो मैंने किसी के साथ बुरा नहीं किया।
मिट्ठू: ठीक है मैं तुमसे दोस्ती कर लूंगा लेकिन मैं तुमसे अकेले में मिलने आउंगा। किसी ने देख लिया तो वो मुझे भी भूत समझने लगेगा और किसी तान्त्रिक के पास ले जायेंगे।
भूत: ठीक है वैसे भी मैं जब तक न चाहूं कोई मुझे देख नहीं सकता।
इस तरह मिट्ठू और भूत दोंनो दोस्त बन जाते हैं। मिट्ठू घर आ गया अब हर दिन जब उसके माता पिता खेत पर काम करने चले जाते तो मिट्ठू भूत के साथ खेलने पहुंच जाता। दोंनो मजे से खेलते रहते भूत उसके साथ तरह तरह के खेल खेलता और उसे अपने कंधे पर बैठा कर घुमाता। कुऐं में ले जाता और फिर उपर ले आता।
जब मिट्ठू थक जाता तो दोंनो बैठ कर बातें करने लगते। एक दिन गॉव का एक आदमी किसी काम से जंगल से जा रहा था उसने मिट्ठू को कुऐं के पास खेलते देखा। वह दौड़ता हुआ खेत पर गया और उसके माता पिता से कहा –
किशन भाई तेरे लड़के पर तो भूत चढ़ गया। वह पागल हो गया अकेला जंगल में भूत वाले कुऐं के पास खेल रहा है।
मिट्ठू के माता पिता भागे भागे वहां आते हैं। लेकिन मिट्ठू नहीं मिलता वे तुरंत घर पहुंच जाते हैं। घर पर मिट्ठू बैठा था।
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मिट्ठू: अरे आप दोंनो इतनी जल्दी कैसे आ गये।
पिता: तू कुऐं के पास क्या कर रहा था।
मिट्ठू: कुछ नहीं मेरी गेंद वहां चली गई थी।
माता: बेटा आज के बाद वहां मत जाना वहां एक भूत रहता है।
मिट्ठू ठीक है मैं अब कभी नहीं जाउंगा।
अगले दिन भूत मिट्ठू को ढूंढता हुआ उसके घर पहुंच जाता है। मिट्ठू घर के पास खेल रहा था।
भूत: दोस्त तुम आज आये क्यों नहीं।
मिट्ठू: भूत भाई मम्मी पापा ने मना कर दिया।
भूत: जानता हूं कल एक गॉव वाले ने तुम्हें कुऐं के पास देख लिया था। लेकिन मेरा मन नहीं लगता।
मिट्ठू: तुम मेरे घर में रहने लगो फिर हम यहीं खेल लेंगे और किसी को पता भी नहीं लगेगा।
भूत वहीं रहने लगा।
एक दिन मिट्ठू भूत से बात कर रहा था। तभी उसके पिता ने उसे हवा में बड़बड़ाते हुए देखा और पूछा
पिता: तुम किससे बात कर रहे थे?
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मिट्ठू: पापा मैं एक भूत से बात कर रहा था। आप डरें नहीं वह मेरा दोस्त है और केवल मुझे दिखाई देता है।
पिता: बेटा ये तू क्या कह रहा है। मैं आज ही तुझे तान्त्रिक के पास ले चलता हूं।
मिट्ठू: नहीं पापा वह बहुत अच्छा है।
भूत: इन्हें बोल मैं बुरा भूत नहीं हूँ।
मिट्ठू अपने पिता को बहुत समझाता है लेकिन वे नहीं मानते।
मिट्ठू को अपने रिश्तेदार के घर पढ़ने के लिये भेज देते हैं।
कई सालों के बाद जब मिट्ठू शहर से पढ़ कर गॉव आता है तो वह उसी कुऐं के पास जाता है। लेकिन उसे भूत नहीं मिलता। वह निराश होकर वापस आ जाता है तभी एक लड़का उससे मिलने आता है वह बताता है कि वह वही भूत है अब उसका जन्म हो चुका है।
उसके बाद दोंनो दोस्त बन जाते हैं।
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