Adhuri Prem Kahani : अपने अच्छे दिनों में एक दूसरे से प्यार करने वाले प्रशान्त और सौम्या आज एक दूसरे से बहस कर रहे थे। दोंनो अपने आप को सही साबित करना चाहते थे।
‘‘मेरे प्यार को तुम गलत समझ रहे हो प्रशान्त’’ सौम्या गुस्से में कहा जिसे सुनकर प्रशान्त का गुस्सा और ज्यादा भड़क गया था।
प्रशान्त ने अपने गुस्से को दबाते हुए कहा – ‘‘सौम्या मैं तुम्हारे प्यार पर शक नहीं कर रहा हूं। लेकिन मैं तुमसे कुछ समय मांग रहा हूं ताकी मैं जीवन वही मुकाम पा सकूं जिसे देख कर तुमने मुझसे प्यार किया था।’’
सौम्या बोली – ‘‘पता नहीं तुम कब तक उस मुकाम पर पहुंचोगे। मेरे घरवाले मेरी शादी करना चाहते हैं। मैं क्या कर सकती हूं?’’
आज से करीब दो साल पहले प्रशान्त जिस कंपनी में मैनेजर था। वहां सौम्या एक छोटी सी नौकरी के लिये इंटरव्यूह देने आई थी। प्रशान्त ने उसकी क्वालीफिकेशन देख कर उसे नौकरी पर रख लिया। सौम्या के पास कोई एक्पीरियंस नहीं था। लेकिन फिर भी प्रशान्त ने उसे रखा और धीरे धीरे वह काम सीख गई।
कुछ समय बात सौम्या का प्रमोशन हो गया। जिसके लिये वह प्रशान्त का एहसान मानती थी।
अपने घर पर भी प्रशान्त की बहुत तारीफ करती थी। उसकी बातों को सुनकर एक दिन उसकी मम्मी सुशीला जी ने सौम्या से पूछा – ‘‘कहीं तुम दोंनो एक दूसरे को पसंद तो नहीं करते, अगर तुम दोंनो में ऐसा कुछ है तो मुझे बता दो।’’
‘‘नहीं मम्मी आप कैसी बात करती हों कहां वो और कहां मैं। मेरी उनसे कोई बराबरी नहीं है। मेरे जैसे करीब दौ सो एम्प्लाई को वो संभालते हैं।’’ यह कहकर सौम्या अपने कमरे में चली गई।
सौम्या को रात भर नींद नहीं आई उसके मन में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे – ‘‘कहीं मम्मी की बात सच तो नहीं। क्या पता वो मुझसे प्यार करते हों।’’
इसी उधेड़बुन में रात बीत गई सुबह जब सौम्या ऑफिस पहुंची तो प्रशान्त ने कहा – ‘‘सौम्या आज तुम्हें मेरे साथ मिटिंग के लिये चलना है।’’
कुछ ही देर में सौम्या और प्रशान्त दोंनो एक कैफे में पहुंच गये। प्रशान्त किसी से फोन पर बात कर रहा था। कुछ देर बाद प्रशान्त ने फोन काट दिया और दोंनो के लिये कॉफी ऑडर कर दी।
काफी पीते पीते प्रशान्त ने कहा – ‘‘सौम्या मैं तुमसे प्यार करता हूं क्या तुम मेरी लाईफ पार्टनर बनोंगी।’’
सौम्या को अचानक झटका लगा जैसे वो किसी नींद से जागी हो। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे रियेक्ट करे।
‘‘ये आप क्या कह रहे हैं सर आप कहां और मैं कहां?’’
प्रशान्त बोला – ‘‘मैं माफी चाहता हूं लेकिन आज कोई मिटिंग नहीं थी। मैं काफी दिनों से तुमसे ये बात करना चाहता था, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो हम इस बारे में आगे बात नहीं करेंगे।’’
सौम्या बोली – ‘‘सर ऐसी बात नहीं है। मुझे कुछ समय दीजिये अचानक इतना बड़ा फैसला मैं कैसे ले सकती हूं।’’
प्रशान्त ने आगे कहना शुरू किया – ‘‘सौम्या तुम अपना समय लो लेकिन एक बात याद रखना कि अगर तुम मना भी करोंगी तो हमारी दोस्ती पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा, न ही हमारे काम पर।’’
सौम्या उठ कर चली जाती है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक तरफ उसे ऐसा लग रहा था। जैसे उसका रात का सपना सच हो रहा था। दूसरी और उसे लग रहा था। इतनी बड़ी पोस्ट पर होने के बाद भी भला वो क्यों उससे शादी करेंगे, उनके लिये लड़किया पलके बिछायें बैठी होंगी।
सौम्या दो दिन ऑफिस नहीं गई। उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था। तीसरे दिन जब वह ऑफिस पहुंची तो वह प्रशान्त से बचने की कोशिश कर रही थी। लेकिन कुछ ही देर में उसके मोबाईल की घंटी बजी। देखा तो प्रशान्त का फोन था। सौम्या ने फोन सुना तो प्रशान्त ने उसे अपने केबिन में बुला लिया –
‘‘सौम्या क्या बात है दो दिन से कहां थीं। तुमने क्या फैसला किया मैं पिछले दो दिन में बहुत परेशान था। आज तो अपना फैसला बता ही दो।’’
‘‘सर आपके और मेरे स्टेटस में बहुत फर्क है। यह आप अच्छे से जानते हैं। ऐसे में मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूं।’’
प्रशान्त यह सुनकर हसने लगा – ‘‘तुम भी कमाल करती हों बस इतनी सी बात मुझे इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता।’’
यह सुनकर सौम्या ने हां में सर हिला दिया। अब दोंनो ऑफिस के बाद मिलने लगे। ढेर सारी प्लानिंग करने लगे जैसे -‘‘शादी के बाद कहां घूमने जायेंगे? घर के पर्दे कैसे होंगी। शादी में किस किस को बुलाया जायेगा।’’
कुछ दिन बाद दोंनो ने अपने अपने परिवारों को एक दूसरे से मिलवा दिया। दोंनो परिवारों में खुशी का माहौल था।
शादी के कुछ ही दिन रह गये थे। तभी एक प्रोजेक्ट को लेकर प्रशान्त और मैनेजमेंट में बहस हो गई। प्रशान्त को नौकरी छोड़नी पड़ी। उस दिन सौम्या और प्रशान्त दोंनो बहुत देर तक एक दूसरे के आंसू पौंछते रहे।
इस बात को पन्द्रह दिन बीत गये प्रशान्त ने कई दूसरी कंपनी में आवेदन दिया, लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी।
एक महीने तक तो प्रशान्त और सौम्या दोंनो शाम को उसी जगह मिलते थे। लेकिन धीरे धीरे सौम्या का आना कम हो गया। कई बार तो प्रशान्त बैठा बैठा उसका इंतजार करता रहता था। लेकिन सौम्या आना तो दूर फोन भी नहीं उठाती थी।
आज के दिन सौम्या ने प्रशान्त को साफ बता दिया था कि वह प्रशान्त को छोड़ कर जाना चाहती है।
प्रशान्त बोला – ‘‘सौम्या मैंने तो कभी तुम्हारी पोजिशन को अपने आड़े नहीं आने दिया आज मेरी नौकरी चली गई तो तुम मुझसे किनारा करने की सोच रही हों।’’
सौम्या उठ कर चल दी जाते जाते उसने इतना ही कहा – ‘‘प्रशान्त मुझे नहीं लगता कि अब तुम कभी तरक्की कर पाओगे। फिर मेरे घर वाले अगर मेरे फ्यूचर के लिये प्लान बना रहे हैं तो मैं उन्हें कैसे मना कर सकती हूूं।’’
यह कहकर सौम्या उठ कर चली गई।
प्रशान्त चुपचाप अपने घर आया और अपने कमरे में जाकर बहुत देर तक रोता रहा।
सौम्या उसकी जिन्दगी से जा चुकी थी। उसे उससे बहुत नफरत हो गई थी। कुछ दिन बाद प्रशान्त सब कुछ भूल कर नौकरी खोजने लगा।
कुछ ही दिनों में उसे एक कंपनी में मैंनेजर की नौकरी मिल गई। यह कंपनी पहली कंपनी से भी बड़ी थी। प्रशान्त की सैलरी डबल हो चुकी थी।
कुछ दिनों में यह खबर सौम्या को मिली, वह अपने किये पर बहुत शर्मिन्दा थी। उसकी मम्मी ने कहा – ‘‘अरे तू एक बार जाकर माफी मांग ले क्या पता वह मान जाये। वैसे भी वह तुझ पर लट्टू था।’’
एक दिन सौम्या बिना बताये प्रशान्त से मिलने पहुंच गई। उसे देख कर प्रशान्त ने कहा – ‘‘देखा सौम्या अब मैं पहले से भी बड़ी कंपनी में आ गया। और मेरी सैलरी भी डबल हो गई है। लेकिन अब मेरे दिल में तुम्हारे लिये कोई जगह नहीं है। चली जाओ यहां से।’’
सौम्या चुपचाप उसके केबिन से बाहर आ गई उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
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