समझदार बहु – भाग 2

Samajhdar Bahu Bhag-2

कुछ देर वहां रुक कर दोंनो वापस अपने फ्लेट पर आ जाते हैं।

संजना: राजेश मम्मी जी का व्यवहार बदलता जा रहा है। वो तो हर चीज के लिये मुझे ही जिम्मेदार ठहराती रहती हैं।

राजेश: चिंता मत करो वक्त के साथ सब ठीक हो जायेगा। एक दिन ही की तो बात होती है सुन लिया करो।

संजना: वो तो कोई बात नहीं लेकिन इस एक दिन की टेंशन में पूरा वीक कैसे गुजरता है ये मैं ही जानती हूं।

अगले दिन दोंनो अपने अपने ऑफिस चले जाते हैं।

संजना लंच में कविता से बात करती है।

संजना: कल से मूड खराब है यार कल फिर से राजेश के घर गई थी। वहां मम्मी जी ने मूड खराब कर दिया।

कविता: अरे यार सास की बात को इतना सीरयसली क्यों ले रही है। ज्यादा सोचा मत कर सब ऐसे ही चलता है। चल छोड़ तुझे पता है कंपनी में प्रमोशन की बात चल रही है।

संजना: नहीं मैं अब प्रमोशन नहीं ले सकती। पता नहीं कहां भेज दें।

कविता: हाँ ये तो है लेकिन प्रमोशन भी तो जरूरी है।

संजना: नहीं यार अब और टेंशन नहीं चाहिये पिछले प्रमोशन की वजह से आज तक सुन रही हूं। मम्मी जी को लगता है मैं राजेश को अपने साथ ले गई।

कविता: लेकिन एक बात सोच अगर तू प्रमोशन लेती है और यहीं रहती है तो तुम दोंनो बड़ा फ्लेट लेकर अपने सास ससुर को अपने साथ रख सकते हो फिर तो सब ठीक हो जायेगा।

संजना: तुझे पता है प्रमोशन मिलते ही काम का कितना प्रेशर बढ़ जायेगा। और सास ससुर यहां रहेंगे तो घर में भी बहुत काम करना पड़ेगा। उनके सामने राजेश भी काम को हाथ नहीं लगाते, नहीं तो मम्मी जी नाराज हो जाती हैं।

कविता: चल ठीक है सोच ले अपना कैरियर भी तो बनाना होता है।

संजना: देखा जायेगा।

शाम को राजेश ऑफिस से घर आता है।

संजना: राजेश पता है ऑफिस में प्रमोशन की बात चल रही थी। मैंने मना कर दिया। फिर से ट्रांसफर कर देते। बड़ी मुश्किल से तो यहां सेट हुए हैं।

राजेश: हाँ ठीक है संजना अभी कुछ दिन ऐसे ही चलने देते हैं। मैं भी कहीं नहीं जाना चाहता। सुनो मुझे एक हफ्ते के लिये बाहर जाना है। तुम इस शनिवार अकेली मम्मी पापा से मिलने चली जाओंगी।

संजना: राजेश लेकिन तुम्हें पता है, मम्मी जी को मेरा आना पसंद नहीं है वो तो बस तुम्हें देखना चाहती हैं।

राजेश: वो तो मैं जानता हूं। लेकिन अगर हम दोंनो में से कोई नहीं गया तो उन्हें चिन्ता हो जायेगी।

संजना: ठीक है मैं चली जाउंगी।

शनिवार को संजना राजेश के मम्मी पापा से मिलने पहुंच जाती है

सरला जी: राजेश नहीं आया क्या बात है?

संजना: मम्मी जी वो बंगलौर गये हैं कंपनी के काम से मंडे तक आ जायेंगे।

सरला जी: पहले तो मुझे बता कर जाता था। अबकी बार बता कर भी नहीं गया।

संजना: मम्मी जी अचानक जाना पड़ा। मंडे को आते आपसे मिलने आयेंगे।

मधुसूदन जी: कोई बात नहीं बेटा तुम बैठो।

संजना: मैं आप दोंनो के लिये गाजर का हलवा लाई हूं। मम्मी जी को बहुत पसंद है।

सरला जी को संजना की बातों में कोई इंटरस्ट नहीं था। उनकी आंखें राजेश को देखने को तरस रहीं थीं।

संजना ने हलवा परोस कर दिया तो, सरला जी ने जैसे तैसे खा लिया। बेटे की चिंता में उनका मन उदास हो चला था।

कुछ देर वहां रुक कर संजना उनसे विदा लेकर घर आ गई।

रात को करीब दो बजे अचानक संजना के फोन की घंटी बजी। संजना ने देखा अन्जान नम्बर से फोन था।

संजना: हैलो कौन?

आदमी: संजना जी बोल रही हैं। मैं अपोलो हॉस्पिटल से बोल रहा हूं आपके पति का एक्सीडेंट हो गया है आप जल्दी से आजाईये।

संजना: क्या हुआ उन्हें वो ठीक तो हैं।

आदमी: जी वो अभी आईसी यू मैं हैं। आप आ जाईये बस।

संजना की आंखों से आंसू बह रहे थे वो जल्दी से अपने भाई सचिन को फोन करके सब बताती है। सचिन गाड़ी लेकर संजना के फ्लेट के नीचे पहुंचता है। संजना रोती हुई गाड़ी में बैठ जाती है।

सचिन: दीदी चिंता मत करो थोड़ी बहुत लगी होगी। लेकिन जीजाजी तो कल आने वाले थे।

संजना: पता नहीं उन्होंने तो कुछ बताया नहीं कब फ्लाईट ली कब दिल्ली आ गये। मैं मम्मी पापा को बता देती हूं।

सचिन: नहीं दीदी पहले हम जीजू को देखते हैं। वे घबरा जायेंगे आपको छोड़ कर सुबह मैं उन्हें ले आउंगा। फोन मत करना ऐसे में उन्हें संभालना मुश्किल हो जायेगा।

दोंनो हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं। राजेश ऐयरर्पोट से कैब लेकर गुरुग्राम आ रहा था तभी कैब का एक्सीडेंट हो गया।

डॉक्टर ने बताया राजेश सीरियस है।

संजना: डॉक्टर साहब मैं एक बार उनसे मिल सकती हूं।

डॉक्टर: देखिये अभी हमें उनके कुछ ऑपरेशन करने हैं। चलिये ठीक है लेकिन केवल पांच मिनट आप उनसे मिल लीजिये। उसके बाद हम उन्हें ऑपरेशन थियेटर में ले जायेंगे।

संजना: सचिन तू मम्मी जी और पापा जी को ले आ। उन्हें आई सी यू के बारे में मत बताईयो बस कह दियो थोड़ी सी चोट लगी है।

संजना उसे भेज कर राजेश से मिलने जाती है।

राजेश के पूरे सिर पर पट्टीयां बंधी थीं। वह दर्द से कराह रहा था। उसके पैर पर प्लास्टर चढ़ा था। हाथों पर भी पट्टीयां बंधी थीं।

संजना आंसू पौछते हुए राजेश के करीब पहुंची।

संजना: कैसे हो आप?

राजेश थोड़ी सी आंख खोल कर संजना को देखता है। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।

राजेश: मेरे … मम्मी … पापा … का ध्यान रखना।

संजना: आप चिंता न करें हम दोंनो उनका ध्यान रखेंगे।

संजना की आंखों से आंसू बह रहे थे।

राजेश: मम्मी … कहां हैं … एक बार।

इससे आगे राजेश कुछ बोल नहीं पाया।

संजना: सचिन गया है उन्हें लेने अभी आते ही होंगे।

दर्द के कारण राजेश कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। जैसे सब कुछ छूटता नजर आ रहा था उसे।

शेष आगे …

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