इन्तकाम – भाग – 3 | Horror Bhoot Story

Horror Bhoot Story
Advertisements

Horror Bhoot Story : अवन्तिका और शिखर बहुत देर रात तक जगते रहे। सुबह बाहर माली घंटी बजा रहा था। जिसे सुनकर शिखर चौंक कर उठा।

वह बाहर आया और उसने गेट खोला – ‘‘क्या बात है माली काका?’’

माली ने बताया – ‘‘साहब मैं पौधों में पानी दे रहा था। तभी मेरी नजर पार्किग में खड़ी आपकी गाड़ी पर पड़ी। उसका आगे का हिस्सा टूटा हुआ था। और उस पर लाल रंग लगा था। ऐसा लगता है जैसे किसी का खून हो। साहब कोई एक्सीडेंट हुआ था क्या?’’

शिखर घबरा गया लेकिन फिर उसने अपने आप को संभालते हुए कहा – ‘‘यह क्या कह रहे हो चलो देखते हैं।’’

दोंनो गाड़ी के पास जाते हैं शिखर गाड़ी देखते ही समझ जाता है उसका बम्पर बिल्कुल टूट चुका था सामने की एक लाईट भी टूटी हुई थी। टूटे हुए बम्पर पर खून लगा था।

उसने माली से कहा – ‘‘अरे कुछ नहीं कल जंगल में शायद कोई जानवर इससे टकरा गया होगा। मैं मैकेनिक को फोन कर देता हूं वो गाड़ी ले जायेगा।’’

माली का चेहरा पीला पड़ गया था। उसने कहा – ‘‘साहब ये क्या कह रहे हैं कल आपने जंगल में किसी के उपर गाड़ी चढ़ा दी। आपको पता है उस जंगल में नरपिशाच रहते हैं। इस खून को सूंघते हुए वो घर आ जायेंगे।’’

शिखर पसीने पसीने हो रहा था। तभी आवाज सुनकर अवन्तिका भी बाहर आ गई थी। माली की बात सुनकर शिखर ने कहा – ‘‘ये क्या बकवास कर रहे हो कोई नरपिशाच नहीं होता। जरा सी बात का बतंगड़ बना रहे हो जाओ अपना काम करो।’’

माली चुपचाप चल देता है। तभी अवन्तिका उसे रोकती है – ‘‘माली काका क्या बता रहे थे आप?’’

माली ने बताना शुरू किया – ‘‘साहब यह इलाका एक आदीवासी कबीले का था। वहां के लोग इस जंगल में रहते थे। पहले सड़क नहीं थी कच्चा रस्ता था। कबीले में किसी भी बाहर के आदमी का आना जाना नहीं था। दिन में एक दो गांव वाले चुपचाप इस रास्ते को पार करते थे।

किसी को जरूरी काम होता था तो वो ही जाता था। कबीले वाले कभी किसी को परेशान नहीं करते थे।

कबीले के सरदार मंगलसिंह बूढ़े हो चले थे। उनका बेटा बहुत ही नालायक था। कबीले की प्रथा थी कि कबीले का सरदार अपनी जगह खुद किसी को चुनता था। कबीले का एक नौजवान था। सुन्दर, सरदार ने उसे अपनी जगह सरदार बना दिया। यह बात मंगलसिंह के बेटे को बहुत बुरी लगी।

Advertisements

एक दिन सुबह मंगलसिंह जंगल में मरे हुए मिले। उसके कुछ दिन बाद सुन्दर की भी लाश कबीले वालों को मिली। सभी सरदार के बेटे को इसके लिये दोषी मानने लगे। एक दिन इसी सड़क पर कबीले वालों ने उसे पत्थर मार मार कर मार दिया।

उसके बाद इस कबीले में हर शनिवार की रात को कोई न कोई मरा पाया जाता। कहते हैं मंगलसिंह का बेटा नरपिशाच बन गया। क्योंकि जो भी मरता था। उसके कंधे के पास दांतों के निशान होते थे और उसके शरीर में एक बूंद भी खून नहीं होता था।

डर के मारे कबीले वाले इस जगह से भाग गये। उनके जाने के बाद भी यह सिलसिला रुका नहीं। जो भी उस कच्चे रस्ते पर जाता उसकी लाश अगले दिन मिलती थी।

Advertisements

लेकिन कुछ दिन बाद जंगल के उस पार बसावट होने लगी। तब सरकार ने यह पक्की सड़क बनवा दी। दोंनो तरफ लाईटें लग गईं। बहुत दिनों तक दिन रात गार्ड तैनात रहते थे। फिर मौतों का सिलसिला बंद हो गया।

सबको यह लगता था। कि वह नरपिशाच भी मर गया या कहीं भाग गया।

लेकिन कुछ साल बाद। उस रास्ते से एक पति-पत्नि जिनकी कार खराब हो गई थी। पैदल जा रहे थे। सुबह उसी अवस्था में उनकी लाश मिली।

तब से अंधेरा होने के बाद कोई उस रास्ते पर नहीं जाता। एक दो गांव के बुर्जुग ने दूर से देखा कि जिन लोगों का वो नरपिशच खून पीता था। वो उसकी सेना में शामिल हो जाते हैं। यह सेना अब पूरे जंगल में फैल चुकी है। उस रास्ते की कोई भी चीज आपके घर तक नहीं आनी चाहिये।

आपकी गाड़ी की टक्कर से यह खून यहां तक पहुंच गया है। वे लोग जरूर आयेंगे।’’

यह सब सुनकर शिखर और अवन्तिका दोंनो घबरा जाते हैं। शिखर कहता है – ‘‘काका ये भी तो हो सकता है, कि ये सब सुनी सुनाई बातें हों।’’

माली काका ने कहा – ‘‘साहब मेरी बातों को नजरअंदाज मत कीजिये। नहीं तो बहुत पछतायेंगे। अगर जंगल में किसी को आपकी गाड़ी से चोट लगी है तो नरपिशाच आपको ढूंढते हुए आयेंगे जरूर।’’

अवन्तिका ने कहा – ‘‘काका अब क्या करना चाहिये?’’

माली काका ने कहा – ‘‘मेम साहब फिलहाल तो आप घर पर रहियेगा। दूसरी बात गलती से भी उस रास्ते पर कभी मत जाना। आप या आपसे जुड़ा कोई भी इंसान उधर नहीं जाना चाहिये।

मैंने सुना है नरपिशाचों की सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। आप या आपसे जुड़ा कोई भी व्यक्ति उस जगह गया तो वो उसके साथ आपके घर तक आ जायेंगे।

साहब मेरी बात मानो तो इस गाड़ी को या तो बेच दो या इसे आग लगा कर खत्म कर दो।’’

शिखर बोला – ‘‘काका डरो मत आज के जमाने में ये सब नहीं होता आप जाओ अपना काम करो।’’

माली काका चल दिये जाते जाते उन्होंने कहा – ‘‘मेमसाहब मेरी बातों को नरजअंदाज मत करो। नहीं तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा।’’

शेष आगे …

इन्तकाम – भाग – 1इन्तकाम – भाग – 2
इन्तकाम – भाग – 3इन्तकाम – भाग – 4

Image Source : Playground

Advertisements