Panchtantra Story : एक जंगल में तीन मित्र रहते थे। जिनमें से एक घोड़ा जिसका नाम कालू था। एक गधा जिसका नाम मंगू था, और एक बंदर जिसका नाम बंटी था। तीनों गहरे मित्र थे।
मंगू बहुत सीधा सादा था। बंटी नटखट था बहुत शरारत करता था। और कालू बहुत तेज और चालाक था। वह हमेशा दूसरों को मूर्ख बनाने के बारे में सोचता रहता था।
एक दिन तीनो दोस्त मिले और बातें करने लगे
कालू: अरे मंगू भाई बहुत परेशान हो? [Panchtantra Story]
मंगू: अरे भाई मैं तो इस जंगल में बहुत परेशान हो गया हूं। मेरे उपर सारा दिन बैठ कर कोई न कोई घूमता रहता है बाद में मेरी हसी भी उड़ाते हैं।
कालू: तुम बहुत सीधे हो भाई इसीलिये सब तुम्हारा मजाक उड़ाते हैं एक काम करो कल से जो कोई भी तुम्हारे उपर बैठने की कोशिश करे उसे एक दुल्लति मार देना दुबारा ऐसी हिम्मत नहीं करेगा।
मंगू: नहीं भाई मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता हूं।
कालू: तो ठीक है परेशा होते रहो।
मंगू चुप हो जाता है तभी बंटी बंदर बोल पड़ता है।
बंटी: अरे मंगू भाई तुम चिन्ता मत करो कल मैं तुम्हारे साथ चलूंगा। फिर देखता हूं कौन तुम्हारे उपर बैठता है। एक एक के बाल ना नोच लिये तो मेरा नाम भी बंटी नहीं।
कालू: हॉं यह ठीक रहेगा इसकी शरारत का कोई बुरा भी नहीं मानेंगा और कोई तुम्हारी सवारी भी नहीं करेगा।
मंगू: हॉं ये ठीक है।
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इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं। अब जब भी कोई मंगू की सवारी करता बंटी बंदर उसे सबक सिखा देता था। धीरे धीरे जंगल के सभी जानवर मंगू की सवारी करने से डरने लगे। अब मंगू पूरे जंगल में निडर होकर घूमता।
कुछ दिन बाद तीनों मित्र फिर से मिलते हैं।
कालू: क्यों मंगू भाई हमारी तरकीब काम आई?
मंगू: हां कालू भाई बहुत मजा आ रहा है अब में जंगल में कहीं भी घूम सकता हूं। [Panchtantra Story]
कालूः मंगू और बंटी सुनो मुझे शहर के सर्कस में काम मिल गया है। मैं शहर जा रहा हूं। यहां की घास खा खा कर बोर हो रहा हूॅं। वहां सर्कस में चने और मेवा खाने को मिलती है।
मंगू: अरे कालू भाई तुम कहां चने के चक्कर में कैद होने जा रहे हो तुम्हें पता है सर्कस में कितने कोड़े मारे जाते हैं। दिन रात काम लिया जाता है। यहां आजादी से घूमते हो। वहॉं बांध कर रखा जाता है।
कालू: तुम नहीं जानते वहां कितने करतब सिखाये जाते हैं वो सीखने के बाद जब मैं वो करतब लोगों को दिखाउंगा तो कितने लोग ताली बजायेंगे।
यहॉं मुझे तुम दोंनो के अलावा कोई नहीं जानता वहॉं कितना मजा आयेगा दिन में सिर्फ दो बार करतब दिखाने हैं। उसके बाद मजे से सोते रहो। और वहां तो एक नौकर भी मिलेगा मेरी देखभाल करने के लिये वह मुझे नहलायगा। मेरी मालिश करेगा।
बंटी: अरे कालू भाई क्या बात करते हो वो सब वे अपने मतलब से करते हैं। जिस दिन तुम करतब नहीं दिखा पाओगे तो तुम्हें मारेंगे भी बहुत।
कालू: तुम दोंनो जंगल के गवार हो गवार ही रहोगे। मैं तो कल शहर जा रहा हूॅं।
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अगले दिन कालू शहर चला जाता है।
इधर मंगू और बंटी बाते करते हैं।
मंगू: देखा कितना लालची है कालू उसने हमारी दोस्ती की भी परवाह नहीं की और भाग गया।
बंटी: मैं तो अब कभी उससे बात नहीं करूंगा। देखना कुछ ही दिन में रोता हुआ हमारे पास आयेगा।
इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं।
एक दिन मंगू बंटी के पास गया।
बंटी: क्या बात है मंगू भाई बड़े परेशान लग रहे हो
मंगू: बंटी भाई कल रात मैंने सपना देखा कि कालू रो रहा है और वह बीमार है।
बंटी: जाने दो उसे हमे उससे क्या मतलब वह तो मौज करने गया है। [Panchtantra Story]
मंगू: नहीं बंटी वह किसी मुसीबत में होगा हमें उसके पास चलना चाहिये।
बंटी: मैं तो कहीं नहीं जाने वाला जैसा करेगा वैसा भरेगा।
मंगू: मेरे साथ चल कैसा भी है आखिर है तो हमारा दोस्त ही।
मंगू किसी तरह बंटी को मना कर कालू के सार्कस में पहुंच जाता है।
वहां वे देखते हैं। कालू एक जगह पड़ा हुआ रो रहा था।
मंगू: कालू भाई क्या हुआ रो क्यों रहे हो।
कालू: भाई करतब दिखते हुए मेरा पैर टूट गया। सर्कस के मालिक ने कहा यह अब किसी काम का नहीं हम इसे और नहीं खिला सकते इसलिये कल इसे गोली मार देना।
मंगू: देखा बंटी मेरा सपना सच था अपना दोस्त सचमुच मुश्किल में है।
बंटी: चलो इसे जंगल ले चलते हैं।
मंगू और बंटी किसी तरह कालू को जंगल ले आते हैं। दिन रात उसकी देखभाल करते हैं। कुछ ही दिनों कालू का पैर ठीक हो जाता है। वह पहले की तरह दौड़ने लगता है।
कालू: भाई मुझे माफ कर दो मेरे लालच ने मुझे मौत के द्वार पर पहुंचा दिया था। तुम दोंनो की दोस्ती ने मुझे बचा लिया। अब मैं कभी लालच नहीं करूंगा।
उसके बाद तीनों दोस्त मिल कर रहने लगते हैं।
Panchtantra Story शिक्षा
लालच बुरी बला है। जितना मिले उसी में संतोष करना चाहिये।
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