Dharmik Kahaniya : एक नन्ही सी चिड़िया अपने घौसले में 2 छोटे बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन चिड़िया अपने बच्चों के लिए दाना लेकर आई तो चुन्नु मुन्नु बहुत खुश हुए। चुन्नु ने कहा ‘‘मॉं बहुत भूख लग रही है पहले मेरे मुह में दाना डाल दो’’
यह सुनकर मुन्नु कहने लगा ‘‘नहीं मॉं पहले मेरे मुह में दाना डालो’’
चिड़िया ने दोंनो के मुंह में दाने डाल दिये।
Read More : पतिव्रता नारी की शक्ति VISHNU BHAGWAN KI STORY
उसके बाद चिड़िया ने कहा ‘‘यहां की फसल तो कट चुकी है अब मुझे दाना चगने दूर गॉव में जाना पड़ेगा। मैं कुछ दानें घौसले में रख दूंगी तुम थोड़े थोड़े खा लगना मैं एक दिन बाद वापस आ पाउंगी’’
यह सुनकर दोंनो बच्चे उदास हो गये। लेकिन खाना भी तो चाहिये था इस लिए दोंनो मान गये।
अगले दिन चिड़ि़या दूसरे गॉव पहुंच गई वह काफी थक गई थी। इसलिए वह एक पेड़ पर बैठ कर आराम कर रही थी। तभी एक शिकारी ने उसे पकड़ लिया और पिंजरे में बंद करके अपने घर लेगया।
घर में उसने अपनी पत्नि जानकी से कहा ‘‘जानकी आज केवल एक चिड़िया ही हाथ लगी है’’ तू इसे संभाल कर रख कल इसे बाजार में बेच देंगे।
Read More : शिव जी की कहानी | Shiv ji ki Kahani
जानकी को पशु पक्षियों का शिकार करना अच्छा नहीं लगता था। रात में जब वह सो रही थी। तो उसके कानों में आवाज सुनाई दी। वह चिड़िया नारायण नारायण नाम का जाप कर रही थी।
जानकी पिंजरे के पास गई उसने चिड़िया से पूछा तो चिड़िया ने कहा ‘‘मेरे दो छोटे बच्चे हैं जो दूर जंगल में हैं मैं तो दाना लेने निकली थी। अगर मैं कल तक नहीं पहुंची तो वे दोंनो भूख से मर जायेंगे। इसलिए मैं भगवान विष्णु को याद कर रही हूं वे आकर या तो मुझे बचा लें या मेरे बच्चों को दाना दे दें।
जानकी ने कहा ‘‘हम तो शिकारी हैं हमने कभी भगवान की पूजा नहीं की लेकिन तुम नन्ही सी चिड़िया हो तुम्हें लगता है भगवान विष्णु तुम्हारी रक्षा के लिये आयेंगे।’’
तब चिड़िया ने कहा ‘‘भगवान विष्णु जगत के पालन हार हैं। वे अवश्य आयेंगे।
जानकी ने कहा ‘‘मैं अपने पतिव्रत धर्म से बंधी हूं इसलिए मैं उन्हें धोखा देकर तुम्हें छोड़ नहीं सकती। लेकिन मैं यह देखना चाहती हूं की भगवान तुम्हारी रक्षा कैसे करते हैं। यदि तुम्हारी बात सत्य हुई तो मैं भी उसी समय से सब छोड़ कर भगवान विष्णु की भक्ति करूंगी।’’
यह सुनकर चिड़िया बोली ‘‘मुझे तो भगवान विष्णु पर विश्वास है लेकिन लगता है भगवान ने तुम्हारे मन में भक्ति जगाने के लिए ही यह लीला रचाई है।’’
सुबह जानकी ने यह सारी बातें अपने पति को बताईं तब उसने कहा ‘‘यह सब बेकार की बातें हैं आज मैं इसे बेच दूंगा और वे इसे खा जायेंगे।’’
तब जानकी ने कहा ‘‘आप इसे छोड़ दीजिये मेरे मन में इसके लिए दया भर गई है इसके बच्चे रो रहे होंगे’’
लेकिन शिकारी नहीं माना तब हार कर जानकी ने कहा ‘‘ठीक है मैं भी आपके साथ चलूंगी आज देखकी हूं इस चिड़िया का विश्वास जीतता है या नहीं’’
Read More : भगवान विष्णु और एक सच्चे भक्त की कहानी
Read also : लालची घोड़ा
शिकारी ने चिड़िया एक कसाई को बेच दी शिकारी उसे काटने की तैयारी करने लगा तब चिड़िया खुशी से झूमने लगी उसे झूमता देख कर जानकी ने पूछा
अरे तुम मरने वाली हो और खुश हो रही हों तब उस नन्ही चिड़िया ने कहा ‘‘मैं इसलिए खुश हूं कि यदि मैं मरने वाली हूं तो भगवान विष्णु ने मेरे बच्चों की रक्षा कर ली होगी’’
जैसे ही कसाई उसे मारने लगा तभी वहां एक औरत आई और उसने कसई से कहा ‘‘भैया मुझे यह चिड़िया दे दो जितने पैसे चाहिये ले लो’’
कसाई वह चिड़िया उसे बेच दी तब जानकी ने उससे पूछा ‘‘बहन तुमने यह चिढ़िया क्यों खरीदी’’
तब उस औरत ने कहा ‘‘मेरा बेटा बचपन से गूंगा है मुझे एक साधू बाबा ने मुझे यहां भेजा और बताया था कि एक चिड़िया की बलि दी जा रही है उसे बचा कर उसका झूठा पानी अपने बेटे को पिलाना वह बोलने लगेगा मैं सही समय पर आ गई’’
वह औरत चिड़िया का झूठा पानी लेकर उसे आजाद करके चली गई। तब चिड़िया ने कहा ‘‘देखा भगवान विष्णु ने मुझे और मेरे बच्चों को मरने से बचा लिया।’’
यह सुनकर जानकी और शिकारी की आंखों से पानी बहने लगा।
उसकी बात सुनकर शिकारी और उसकी पत्नि जानकी के साथ उस कसाई ने भी अपना काम छोड़ दिया और दिनरात भगवान विष्णु की भक्ति में लग गये।
भगवान विष्णु की कृपा इस संसार के सभी जीवों पर बनी रहे यही हमारी प्रार्थना है।
Leave a Reply
View Comments