Baccho ki kahaniya : चिंटू का जादूई जूता
एक शहर में चिंटू अपने माता पिता के साथ रहता था। चिंटू दिन भर खेलता रहता था। उसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं था। एक दिन उसकी मॉं कविता ने उसे डॉंटते हुए कहा
कविता: चिंटू तुम बिल्कुल पढ़ाई नहीं करते दिन भर खेलते रहते हो ऐसे कैसे चलेगा।
चिंटू: मम्मी अभी तो गर्मियों की छुट्ट्यिा शुरू हुई हैं मैं अपना सारा होम वर्क कर लूंगा अभी तो खेलने दो।
कविता: नहीं बेटा खेलने से क्या होगा पढ़ाई भी तो करनी है।
चिंटू: ठीक है मम्मी थोड़ी देर खेल कर मैं पढ़ाई कर लूंगा। [Baccho ki kahaniya]
कविता अपने काम में लग जाती है। चिंटू खेलने में व्यस्त हो जाता है।
कुछ देर बाद उसका दोस्त बबलू उसे बुलाने आता है।
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बबलू: चिंटू चल पास ही में एक मैदान है वहां चल कर क्रिकेट खेलते हैं।
चिंटू: नहीं यार मॉं ने पढ़ाई करने को बोला है। होमवर्क बाकी है।
बबलू: अरे होमवर्क की चिन्ता मत कर मेरी कॉपी में से कर लिये मैंने सारा कर लिया है। [Baccho ki kahaniya]
चिंटू बबलू की बात मान कर उसके साथ मैदान में खेलने चला जाता है।
क्रिकेट खेलते खेलते उनकी बॉल दूर चली जाती है। चिंटू बॉल लेने जाता है वहां वह देखता है एक बुढ़िया माई बैठी थीं।
चिंटू: मांजी आपने कहीं मेरी बॉल देखी है।
बुढ़िया माई: बेटा मैं बहुत भूखी हूं मुझे कहीं से खाना ला दे।
चिंटू: मांजी आप बैठो मैं आपके लिये खाना लाता हूं।
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चिंटू मांजी के लिये दो समोसे खरीद कर लाता है। वह बुढ़िया माई को समोसे दे देता है। बुढ़िया माई बहुत खुश हो जाती है।
बुढ़िया माई: बेटा भगवान तेरा भला करे तूने मुझे खाना खिलाया है।
चिंटू: मांजी मैं तो यहां बॉल लेने आया था वह तो मिल नहीं रही। [Baccho ki kahaniya]
बुढ़िया माई: ले बेटा ये जूते पहन ले।
यह कहकर वह चिंटू को जूते दे देती है।
चिंटू: नहीं मांजी मैं इन जूतों का क्या करूंगा आप रखो।
बुढ़िया माई: बेटा यह मैं तुझे खाना खिलाने के बदले दे रही हूं यह जादूई जूते हैं। इसे पहन कर तेरे अंदर जादूई शक्तियॉं आ जायेंगी तू हर बड़ा काम आसानी से कर पायेगा।
चिंटू ने जूते पहन लिये जूते पहनने के बाद उसने सोचा कि चलो बॉल ढूंढते हैं। लेकिन इन जादूई जूतों के कारण बाल उसके सामने आ गई।
चिंटू: मांजी ये कैसे हुआ।
बुढ़िया माई: बेटा इन जूतों को पहनते ही जो तू मन में सोचेगा वह सब तेरे सामने आ जायेगा। लेकिन इसका गलत उपयोग मत करना और किसी को इसके बारे में मत बताना।
चिंटू को कुछ समझ में नहीं आता वह बॉल लेकर खेलने चला जाता है। [Baccho ki kahaniya]
खेलते समय चिंटू ने वही जूते पहले थे। अब उसकी बारी बैटिंग करने की थी। चिंटू जैसे ही अपनी ओर आती बॉल को देखता बॉल को देखते ही उसका बेट अपने आप उठ जाता और बॉल को दूर फैंक देता।
सभी को आश्चर्य होता कि चिंटू तो हर बॉल पर चौका मार रहा है। इस तरह वह कुछ ही समय में मैच जीत जाता है।
अब चिंटू को इन जूतों पर विश्वास होने लगा था। वह घर आ जाता है। उसकी मम्मी पूछती हैं। [Baccho ki kahaniya]
मम्मी: बेटा तू बिना बताये कहां चला गया था, और ये जूते किसके हैं।
चिंटू: मॉं ये बबलू के हैं कुछ दिन बाद वापिस कर दूंगा।
चिंटू खाना खाकर होम वर्क करने बैठता है तभी वह सोचता है काश पूरे दो महीने का काम अपने आप हो जाये। वह जैसे ही होम वर्क करने के लिये कॉपी खोलता है तो देखता है कि उसका सारा होम वर्क हो चुका है। यह देखकर वह बहुत खुश होता है। लेकिन अब समस्या ये थी कि इसे मम्मी से छुपाया कैसे जाये।
तभी वह सोचता है कि काश जब मम्मी देखती तो उन्हें उसी दिन का होमवर्क दिखता।
कुछ देर बाद ऐसा ही हो गया। उस कॉपी केवल आज का होमवर्क था।
अगले दिन चिंटू की मम्मी उसे टोकती
मम्मी: चिंटू होम वर्क करो फिर खेलने जाना।
चिंटू: मम्मी मैंने होम वर्क कर लिया देख लो।
मम्मी जब होम वर्क चेक करती तो सारा हो चुका था।
अब चिंटू जहां भी जाता जूते पहन कर जाता। जादूई जूतों के कारण वह जो भी चाहता था वही काम हो जाता था। इससे चिंटू बहुत खुश रहने लगा था।
धीरे धीरे सब चिंटू से प्रभावित होने लगे थे। चिंटू इन जूतों की मदद से हर काम फटाफट कर देता था।
धीरे धीरे चिंटू के दोस्त उससे नफरत करने लगते हैं क्योंकि वे चिंटू जैसे काम नहीं कर पाते थे इस कारण वे हर बार चिंटू से हार जाते थे।
यह देख कर चिंटू को बहुत गुस्सा आने लगा था। अब उससे कोई बात नहीं करता था।
एक दिन चिंटू ने अपने दोस्त कमल से बात की।
चिंटू: अरे कमल तू आजकल मेरे साथ खेलने नहीं आता।
कमल: तू तो बहुत घमंड में रहता है तेरे साथ कौन खेलेगा।
यह सुनकर चिंटू को गुस्सा आता है।
चिंटू: तू जा यहां से लेकिन याद रख इसी साईकिल से तू गिर जायेगा।
कमल चल देता है और कुछ दूर जाने पर वह साईकिल से गिर जाता है।
यह देख कर चिंटू हसने लगता है।
कुछ देर बाद चिंटू घर आ जाता है।
मम्मी: चिंटू आज का होम वर्क हो गया।
चिंटू: हॉं मॉं देख लो।
मम्मी: अरे तू झूठ बोल रहा है होम वर्क तो हुआ ही नहीं।
चिंटू अपने जूते देखता है फिर वह जाकर कॉपी देखता है उसमें कोई होमवर्क नहीं था।
वह परेशान हो जाता है तभी वह सोचता है कि वह आईस्क्रीम खा रहा है। लेकिन उसके सोचते ही आईसक्रीम नहीं आती। वह परेशान हो जाता है।
कुछ देर बाद वह सो जाता है उसे सपने में वही बुढ़िया माई दिखाई देती है।
बुढ़िया माई: बेटा मैंने तो पहले ही कहा था इन जूतों को पहन कर कोई गलत काम मत करना। अब ये जूते तुम्हारे नहीं रहे।
यह सुनकर चिंटू की आंख खुल जाती है ओर वह देखता है वहां जूते नहीं थे। चिंटू काफी ढूंढता है उसे जूते नहीं मिलते। वह भागा भागा उसी मैदान में जाता है। लेकिन वहां वह बुढ़िया माई भी नहीं मिलती।
इस तरह वह निराश होकर घर आ जाता है। अगले दिन से वह सबसे अच्छे से बात करने लगता है।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ईश्वर भी हमारा साथ तब तक देते हैं। जब तक हम अच्छे कर्म करते हैं।
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