आम का बाग | Hindi Kahani Aam Ka Bagh

Hindi Kahani Aam Ka Bagh
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Hindi Kahani Aam Ka Bagh : गांव के बीच में एक आम का बाग था। जिसका माली था। सुन्दर। लंबा हट्टा कट्टा हाथ में लट्ठ लिये पूरे बाग में चक्कर लगाता रहता था।

दिन रात वहीं पास में एक कुट्यिा बना कर रहता था। एक दिन दोपहर को वह सो रहा था। इधर कपिल अपने दोस्तों के साथ मिल कर बाग में से आम तोड़ने की तरकीब बना रहा था।

कपिल: दोस्तों आज सुन्दर जैसे ही सो जाये चुपचाप पीछे से बाग में घुसेंगे। वहां आम तोड़ेंगे हम में से एक कुट्यिा के पास खड़े रह कर पहरा देगा।

सभी दोस्त उसकी बात मान कर ऐसा ही करते हैं। चुपचाप बाग में पहुंच जाते हैं। पीछे के पेड़ों से आम तोड़ने लगते हैं। मुरारी, सुन्दर की कुट्यिा के पास खड़े रहकर पहरा दे रहा था।

कुछ देर बाद सुन्दर पानी पीने के लिये उठता है तो उसे कुछ आवाजें सुनाई देती हैं।

सुन्दर: कौन हैं वहां कोई आम चुरा रहा है क्या?

मुरारी: भागो भागो माली जाग गया।

कहता हुआ पीछे की ओर भागने लगता है। सुन्दर उसके पीछे दौड़ने लगता है। दौड़ते दौड़ते वह देखता है कि कुछ बच्चे पेड़ पर चढ़े हुए थे, कुछ नीचे खड़े आम बटोर रहे थे। मुरारी की आवाज सुनकर वे सब नीचे उतर कर भागने लगते हैं।

सुन्दर उनके पीछे भागता है। सभी बच्चे भाग जाते हैं। लेकिन कपिल को सुन्दर पकड़ लेता है।

सुन्दर: क्यों बेटा बहुत होशियार बनते हो। कहां भागे जा रहे हो। चलो आज तुम्हारे घर चलते हैं इन सब आमो का हिसाब चुकाने।

कपिल: काका थोड़े से ही तो आम लिये हैं बाग में तो कितने आम हैं। छोड़ दो न घर पर बेकार में पिटाई हो जायेगी।

सुन्दर नहीं मानता वह तो आम के पैसे वसूल करना चाहता था। वह कपिल को लेकर सीधा कपिल के घर पहुंच जाता है।

सुन्दर: जगत भाई कहां हो देखो तुम्हारा लड़का आम चुरा रहा था।

जगत जी बाहर आते हैं –

जगत जी: क्या कहा यह नालायक फिर पहुंच गया आम चुराने। इसकी पिटाई मैं करता हूं तभी सुधरेगा ये।

यह कहकर जगत जी उसे मारने के लिये डंडा ढूंढने लगते हैं। तभी कपिल की मां सुनीता बाहर आ जाती है।

सुनीता: अरे छोड़ दो बच्चा है। गलती हो गई उससे  सुन्दर तेरा जितना नुकसान हुआ है मैं भर दूंगी जा अब छोड़ मेरे बच्चे को।

सुन्दर गुस्सा होते हुए चला जाता है।

जगत जी: तुमने ही बिगाड़ रखा है इसे।

यह कहकर वे खेत पर चले जाते हैं।

सुनीता: क्यों इतनी शैतानी करता है। आज तो मैंने बचा लिया लेकिन आगे क्या होगा। तुझे आम खाने थे तो मुझसे पैसे ले जाता।

कपिल: मुझे माफ कर दो मां आगे से तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।

लेकिन अगले दिन जब कपिल अपने दोस्तों से मिलता है –

कपिल: यार उस सुन्दर ने तो पापा से शिकायत कर दी उसे सबक सिखाना पड़ेगा।

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मुरारी: अरे तेरे पे भाग नहीं गया। मैंने कितनी आवाज लगाई थी।

कपिल: मैं देख रहा था कोई रह तो नहीं गया। मेरी छोड़ ये बता उसे सबक कैसे सिखायें।

मुरारी: एक काम करते हैं। रात को सोते समय उसके मुंह में कपड़ा ठूंस देंगे फिर उसके हाथ पांव चारपाई से बांध कर उसे उठा कर पास वाली नहर में फेंक देंगे।

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सभी दोस्त उसकी हां में हां मिलाते हैं। रात को वे सुन्दर के सोने का इंतजार करने लगते हैं। उसके सोते ही उसके हाथ पैर बांध कर उसे नहर में फैंक देते हैं और वहां से भाग जाते हैं।

सुन्दर बहुत हाथ पैर मारता है। किसी तरह वह रस्सी खोल कर चारपाई से अपने आप को छुड़ाता है।

सुन्दर समझ जाता है कि यह सब कपिल और उसके दोस्तों ने किया है। वह अगले दिन से गायब हो जाता है। तभी एक आदमी गांव की चौपाल पर आता है।

आदमी: गांव वालो एक आदमी नहर में डूब कर मर गया। जिसने भी उसे नहर में फेंका हो अपने आप सामने आ जाये नहीं तो पुलिस उससे मार मार कर उगलवायेगी।

यह सुनकर कपिल और उसके दोस्तों के हाथ पैर फूल जाते हैं।

कपिल: अरे ये क्या हो गया वह तो सच में मर गया। अब तो हम सबको फांसी होगी।

सभी दोस्त डरते डरते अपने घर पहुंचते हैं।

कपिल अपनी मां के पास पहुंच कर उसे सब सच बता देता है।

सुनीता: नालायक यह तूने क्या किया। किसी को मार देते हैं क्या अब तो तुझे जेल जाना ही पड़ेगा।

सुनीता शाम को जगत जी को सारी बात बताती है। वे रात को ही कपिल और उसके दोस्तों को इकट्ठा करते हैं और सबके माता पिता के साथ पुलिस चौकी की ओर चल देते हैं। पुलिस चौकी दूर थी।

रात को जंगल के रास्ते जा रहे थे। तभी उन्हें कंबल ओढ़े एक आदमी रोक लेता है। उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।

आदमी: आपके बच्चों ने एक आदमी की जान ली है। इन्हें फांसी होगी।

जगत जी: भैया इसीलिये हम इन्हें पुलिस के पास ले जा रहे हैं शायद इनकी सजा कम हो पाये।ं

आदमी: मैं इन्हें बचा सकता हूं। लेकिन फिर ये किसी और को मार देंगे।

तभी सभी बच्चे उसके पैरों में पढ़ जाते हैं।

बच्चे: भैया हमें बचा लो अब हम कुछ नहीं करेंगे। घर से बाहर भी नहीं निकलेंगे।

आदमी: नहीं तुमने पहले भी वादा किया था जब आम चोरी किये थे। अब तो तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिये।

बच्चे रोने लगते हैं। उनके माता पिता भी उस आदमी से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने लगते हैं।

तभी वह अपना कंबल हटाता है। अरे यह तो सुन्दर है। यह तो जिन्दा है।

सुन्दर: हां मैं जिन्दा बच गया क्योंकि मेरे अंदर ताकत थी। मैंने बहुत मुश्किल से रस्सी तोड़ी और पानी से बाहर आया। कोई और होता तो मर जाता।

कपिल: भैया हमें माफ कर दो आगे से ऐसी गलती कभी नहीं होगी। हमें बचा लो।

जगत जी: लेकिन वो आदमी कौन था।

सुन्दर: उसे मैंने ही भेजा था ताकि इन बच्चों की सच्चाई बाहर आ सके। इसीलिये मैं यहां तुम लोगों का इंतजार कर रहा था। अगर ये सारी बातें में पुलिस को बता दूं तो सबको जेल हो जाये।

मुरारी: भैया बस एक बार माफ कर दो। हम वादा करते हैं अब कभी ऐसा नहीं करेंगे। हमारी जिन्दगी तुम्हारे हाथों में है।

सुन्दर सबको माफ कर देता है।

उसके बाद सारे बच्चे सुधर जाते हैं और मन लगा कर पढ़ाई करने लगते हैं।

शिक्षा: कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिये।

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