Bedtime Story for Kids : एक जंगल में एक बहुत शक्तिशाली शेर पूरे जंगल पर राज करता था। उसे अपने उपर बहुत घमंड था। शेर से जंगल के सभी जानवर बहुत डरते थे। एक दिन शेर जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक चींट्यिों की लाईन दिखाई दी।
शेर: अरे तुम सब लाईन में कहां जा रही हों।
चींटीः हम सब खाने की तलाश में जा रही हैं। इतने बड़े जंगल में कहीं खो न जायें इसलिये लाईन में जा रहे हैं।
शेर: ये जंगल मेरा है मैं यहां का राजा हूं। तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता।
चींटी: हमें कैसा डर आप बड़े जानवरों को खा सकते हो इसलिये वो आपसे डरते होंगे हमें तो आप खा नहीं सकते।
शेर: अच्छा ये बात है मैं तुम्हें एक बार में मसल दूंगा। सारी मारी जाओंगी।
चींटी: जाओ जाओ अभी हमारे पास समय नहीं है। फिर कभी मिलना और कोशिश कर लेना।
शेर: रुको जरा मैं अभी बताता हूं।
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कहकर उनके उपर पैर रखने की कोशिश करता है लेकिन वे सारी एक तने की जड़ में घुस जाती हैं जहां तक शेर का पंजा पहुंच नहीं पाता। शेर को बहुत गुस्सा आता है।
शेर गुस्से में घूम रहा था तभी उसके पास एक चीता आता है।
चीता: क्या बात महाराज आप बहुत परेशान नजर आ रहे हैं।
शेर चीते को सारी बात बताता है।
चीता: बस महाराज इतनी सी बात इन चीट्यिों को सबक सिखाने का उपाय मैं आपको बता दूंगा। लकिन ये चिट्यिों वाली बात आप किसी को मत बताना नहीं तो जंगल के बाकी जानवर आपसे डरना बंद कर देंगे।
इससे आपका नुकसान तो होगा ही साथ ही मेरा भी नुकासान हो जायेगा आपका बचा हुआ भोजन मुझे मिल जाता है।
शेर: वो सब छोड़ पहले ये बता करना क्या है।
चीता: पास ही एक पेड़ पर मधुमक्खी का छत्ता है वहां से थोड़ा सा शहद ले आते हैं उस शहद को एक पत्ते पर रख कर मैदान में रख देंगे जब मैदान में चीट्यिां उसे खाने आयेंगी तो आप पैर से उन्हें मसल देना।
शेर: लेकिन इतनी उपर से शहद कैसे उतरेगा।
चीता: महाराज मैं शहद की मक्खी से शहद मांग लूंगा।
शेर: ठीक है कल सुबह शहद लेकर मैदान में पहुंच जाना।
चीता शहद की मक्खी के पास जाता है।
चीता: शहद की मक्खी थोड़ा सा शहद दे दो हमारे महाराज शेर की तबियत ठीक नहीं है वे शहद खायेंगे। अगर तुमने शहद नहीं दिया तो महाराज तुम्हारे छत्ते को तोड़ देंगे।
शहद की मक्खी डर जाती है और शहद चीते को दे देती है।
अगले दिन चीता शहद लेकर मैदान में शेर का इंतजार करने लगता है।
इधर शहद की मक्खी बाकी जानवरों से महाराज के बीमार होने की बात करती है। यह खबर चींटी तक भी पहुंच जाती है।
चींटी: साथियों देखो शेर ने हमें फसाने के लिये शहद इकट्ठा किया है। इसलिये आज से कोई भी चींटी अपने बिल से बाहर नहीं निकलेगी। केवल चार चीट्यिां जाकर उस शेर से मुकाबला करेंगी।
अगले दिन शेर और चीता शहद को एक पत्ते पर रख कर चींटी के आने का इंतजार करने लगते हैं।
चार चीट्यिां धीरे धीरे शेर और चीते की ओर बढ़ने लगती हैं। शेर और चीता दोंनो पत्ते पर नजर रखते हैं।
दो चींटी चुपचाप शेर और चीते के उपर चढ़ जाती हैं और उनके कान के अन्दर जाकर काट लेती हैं। शेर और चीते के काम में खुजली होने लगती हैं। दोंनो कान को खुजाने लगते हैं।
इसी बीच उनका ध्यान पत्ते से हटा जाता है। उसके बाद चारों चीट्यिां उस पत्ते को उठा कर मैदान से दूर पेड़ की जड़ में अपने बिल में पहुंच जाती हैं।
शेर ओर चीता दोंनो बहुत देर तक कान खुजाते रहते हैं। जब उन्हें थोड़ा सा ध्यान आता है तो वे देखते हैं कि न वहां पत्ता है न शहद।
यह देख कर शेर समझ जाता है, कि चिट्यिों से जीतना उसके बस की बात नहीं।
शेर चींटी के बिल के पास पहुंच जाता है।
शेर: बहन मुझे माफ कर दो तुम छोटी होकर भी मुझसे जीत गईं। अब मैं कभी घमंड नहीं करूंगा।
Image Source : Playground
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