Short Story for Children : एक नगर में राजा भीमसेन राज करते थे। उनके एक प्यारी सी राजकुमारी थी। ब्रजबाला। राजा अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे। एक दिन वे अपने महल के बाग में घूम रहे थे। तभी उन्हें एक चिड़िया दिखाई दी। राजा उस चिड़िया के पास गये तो देखा वह सोने की तरह चमक रही थी।
राजा: अरे यह कैसी चिड़िया है मैंने तो ऐसी चिड़िया पहले कभी नहीं देखी।
चिड़िया: राजा मैं सोने की चिड़िया हूं।
यह सुनकर राजा सोच में पड़ गये कि सोने की चिड़िया इंसानों की आवाज में बात कर रही है।
राजा: अरे चिड़िया तू इंसानों की आवाज में कैसे बात कर रही है।
चिड़िया: मैं दूर पहाड़ के पीछे से आई हूं। वहां सब मेरी जैसी सोने की चिड़ियां रहती हैं। मैं उड़ते उड़ते यहां तक आ गई। अब मैं थक गई हूं। कुछ देर आराम करके चली जाउंगी।
राजा: रूको चिड़िया क्या तुम मेरे महल में रह सकती हों। मेरी बेटी तुम्हें देख कर बहुत खुश हो जायेगी।
चिड़िया: ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है। जब तक मेरा मन करेगा मैं यहां रहूंगी। जब मैं जाना चाहूंगी मुझे जाने दोगे।
राजा मान जाता है। वह अपनी उंगली पर बैठा कर उस सोने की चिड़िया को अपनी बेटी ब्रजबाला को देता है। ब्रजबाला उसे देख कर बहुत खुश होती है।
ब्रजबाला उस चिड़िया को बहुत प्यार से रखने लगती है। दोंनो बहुत देर तक बात करती रहती थीं। इसी तरह कुछ दिन बीत गये।
एक दिन चिड़िया रो रही थी।
ब्रजबाला: क्या हुआ चिड़िया रानी तुम रो क्यों रही हों।
चिड़िया: मुझे अपने घरवालों की याद आ रही है अब मैं जाना चाहती हूं।
यह सुनकर ब्रजबाला अपने पिता के पास गई उसे सारी बात बताई।
ब्रजबाला: पिताजी इसे रोक लो मैं इसके बिना नहीं रह सकती।
राजा अपनी बेटी की बातों में आ गया। उसने चिड़िया से रुकने के लिये कहा लेकिन वह नहीं मानी। उसने राजा को उसका वचन याद दिलाया।
राजा: मैं अपनी बेटी की खुशी के लिये कुछ भी कर सकता हूं। अगर तुम अपनी मर्जी से नहीं रुकीं तो मैं तुम्हें पिंजरे में कैद कर लूंगा।
चिड़िया: तुमने वचन दिया था अब तुम अपने वचन से मुकर रहे हो अब मैं यहां एक पल भी नहीं रुक सकती।
चिड़िया उड़ कर चली गई राजा उसे पकड़ न सका।
यह देख कर ब्रजबाला बेहोश हो गई। राजवैद्य को बुलाया गया। बहुत मुश्किल से ब्रजबाला को होशा आया। लेकिन वह न किसी से बात कर रही थी न कुछ खा रही थी। यह देखकर राजा बहुत परेशान हो गया। उसने पूरे राज्य में ऐलान कर दिया कि जो कोई सोने की चिड़िया लायेगा। उसे बहुत सारा ईनाम दिया जायेगा।
ऐलान सुनकर बहुत से लोगों ने उस पहाड़ी के पीछे जाने की कोशिश की लेकिन कोई वहां तक पहुंच नहीं सका।
इधर ब्रजबाला की हालत बिगड़ती जा रही थी।
एक दिन रात के समय राजा अपने महल की खिड़की के पास खड़े होकर रो रहा था।
राजा: काश मैंने वह चिड़िया अपनी बेटी को न दी होती। काश मैंने उस चिड़िया को कैद करने की कोशिश न की होती तो वह रुक जाती।
कुछ देर बाद उसे खिड़की पर वही चिड़िया बैठी दिखाई दी।
चिड़िया: क्यों राजा क्या हुआ अपनी पूरी ताकत लगा कर भी मुझे नहीं ला पाये।
राजा: चिड़िया रानी मुझे माफ कर दो मेरी बेटी को बचा लो।
चिड़िया उड़ कर ब्रजबाला के पास पहुंच जाती है।
चिड़िया को देख कर ब्रजबाला बहुत खुश होती है।
चिड़िया कुछ दिन वहीं रहने लगती है। जब ब्रजबाला पूरी तरह से ठीक हो जाती है। तो चिड़िया जाने के लिये कहती है।
चिड़िया: ब्रजबाला मुझे जाने दो मेरा परिवार मेरा इंतजार कर रहा होगा। जब तुम मुझे याद करोंगी मैं आ जाउंगीं
ब्रजबाला मान जाती है।
राजा: तुम्हारा उपकार मैं कभी नहीं भूल सकता।
चिड़िया: एक बात याद रखना कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना।
यह कहकर चिड़िया उड़ जाती है। इसके बाद जब भी ब्रजबाला उसे याद करती वह आ जाती थी।
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