Hindi Story for Kids : सोनी चिड़िया की शादी नट्टू कबूतर के साथ होती है। सोनी चिड़िया पहली बार अपने नये घर में आती है।
तभी घर के गेट पर बबली चिड़िया रास्ता रोक लेती है।
बबली: बिना नेग दिये अन्दर कहां घुसी जा रही हों भाभी पहले मेरा नेग दो फिर अन्दर जाना।
सोनी: हां हां दीदी मुझे सब पता है लेकिन नेग तो तुम्हारे भैया देंगे।
बबली: भैया क्यों देंगे तुम्हारे पीहर वालों ने कुछ नहीं दिय क्या।
सोनी बबली को नेग के रुपये दे देती है।
बबली: यह तो बहुत कम हैं पर चलो काम चला लेंगे।
नट्टू कबूतर और सोनी चिड़िया घर के अन्दर आ जाते हैं।
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अगले दिन नट्टू कबूतर कहीं बाहर गया था। तभी बबली सोनी से कहती है।
बबली: सुनो भाभी नट्टू मेरे से छोटा है। और हमारे मॉं बाप पहले ही नहीं हैं। इसलिए इस घर में मेरी हुकुमत चलती है। तुम्हें भी मेरे हिसाब से चलना पड़ेगा।
सोनी: यह आप क्या कह रही हैं दीदी मैं आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगी।
बबली: तो ठीक है आज से घर का सारा काम तुम करोंगी वैसे भी आज तक तुम्हारे मैं तुम्हारे पति की देखभाल करती रही अब तुम हम दोंनो की देखभाल में लग जाओ।
सोनी चिड़िया घर के काम में लग जाती है। और बबली बैठ कर हुक्म चलाती रहती है।
एक दिन बबली और नट्टू कबूतर घर में बातें कर रहे थे।
बबली: भाई मुझे एक सोने का हार पसंद आया मुझे वह चाहिये।
नट्टू: दीदी मैं कभी आपको मना किया है क्या कुछ लेने को लेकिन सोने का हार बहुत महंगा होगा। इस महीने शादी में बहुत खर्च हो गया है। आप अगले महीने ले लेना।
बबली: ओ हो तो आ गया न अपनी बीबी की बातों में। पहले तो तूने कभी किसी चीज को मना नहीं किया जरूर सोनी चिड़िया ने तेरे कान भरे होंगे।
नट्टू: अरे दीदी यह आप क्या कह रही हो मैं तो यह कह रहा था इस महीने काफी खर्च हो गया है हार अगले महीने ले लेना।
बबली: रहने दे मैं कहीं ओर से पैसों का इंतजाम कर लूंगी और वैसे भी जो हार मुझे पसंद है वह तो दो चार दिन में ही बिक जायेगा।
तभी सोनी चिड़िया वहां आती है।
सोनी: सुनिये जी आप आज ही वह हार ले आईये ये मेरे गहने ले जाईये इनके बदले दीदी के लिए हार ले आईये।
बबली: रहने दो भाभी आप जिन्दगी भर ताना मारोंगी। मेरे माता पिता होते तो मुझे सब कुछ ला देते।
यह सुनकर नट्टू सोनी के गहने बेच कर बबली के लिए हार ला देता है जिसे पहन कर बबली बहुत खुश होती है।
एक दिन बबली कहीं बाहर जाती है तभी पड़ोस में रहने वाली मिट्ठू तोती सोनी चिड़िया के पास आती है।
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मिट्ठू तोती: अरे सोनी बहन यह जो तुम्हारी नन्द है यह बहुत मक्कार है। यह तुम्हारे पति को बेवकूफ बना कर पैसे ऐंठती रहती है। इसके पास बैंक में बहुत पैसा है। तुम जरा इससे बच कर रहना। यह हर महीने गहने खरीदती है यह बहुत लालची है। तुम्हारे आने के बाद तो यह सारा दिन बाहर घूमती रहती है। घूमने की उम्र तो तुम्हारी है।
सोनी: यह आप कैसी बातें कर रही हैं। दीदी हमारे घर की मुखिया हैं। उनका सबसे पहला हक बनता है अपने भाई की कमाई पर। अगर दीदी पैसे बचा कर बैंक में रखती हैं तो क्या हुआ वे पैसे बचा रही हैं कहीं उड़ा तो नहीं रही और रही बात गहने बनवाने के लिए तो मैं बता तू जितने गहने वो बनावाती हैं उसमें से आधे मुझे दे देती हैं। अब आप अपने घर जाओ और फिर कभी मेरी दीदी के बारे बुरा मत बोलना।
यह सुनकर मिट्ठू तोती चुपचाप चली जाती है।
कुछ दिन बाद बबली चिड़िया घर आती है।
बबली: भाभी आप बहुत अच्छी हो मैंने बाहर खिड़की से आपकी सारी बातें सुन लीं मुझे माफ कर दीजिये मैं हमेशा आपको नौकरानी बना कर रखना चाहती थी। यह कहकर वह रोने लगती है।
सोनी: अरे दीदी आप बड़ी हैं। आप यह सब मत सोचिये ये पड़ोसी तो हमसे जलते हैं और लड़ाई करवाना चाहते हैं।
बबली: नहीं भाभी वह सच कह रही थी। मैं ऐसी ही हूं। लेकिन मैं आगे से ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगी मुझे माफ कर दीजिये।
सोनी और बबली दोंनो गले लग जाती हैं। उस दिन से दोंनो खुशी खुशी रहने लगती हैं।
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