सोने की चम्मच | Rich Boy Story in Hindi

Rich Boy Story in Hindi
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Rich Boy Story in Hindi : मेहुल स्कूल जाने के लिये तैयार हो रहा था। उसकी नौकरानी आभा उसे तैयार कर रही थी।

तभी मेहुल की मम्मी आशा जी ने आवाज लगाई – ‘‘आभा कितना टाईम लगेगा बाबा को तैयार करने में देर हो रही है।’’

‘‘जी बस हो गया चलो बाबा जल्दी चलो तुम खेल में लगे रहते हो डाट मुझे पड़ती है।’’

मम्मी की आवाज सुनकर मेहुल जल्दी से बाहर आ गया। गेट के पास आशा जी खड़ी थीं उन्होंने मेहुल का बैग चैक किया फिर ड्राईवर को बुला कर बैग उसे दे दिया।

बाहर चमचमाती हुई गाड़ी में मेहुल जाकर बैठ गया। कुछ ही देर में गाड़ी फर्राटे मारती हुई स्कूल पहुंच गई।

मेहुल ने गाड़ी से उतरते ही ड्राईवर से कहा – ‘‘अंकल टाईम से आ जाना नहीं तो मम्मी से आपकी शिकायत कर दूंगा आप कल कितना लेट आये थे। मैं यहां धूप में खड़ा रहा।’’

‘‘बेटा वो कल तो मेमसाहब ही के साथ था उन्हें कहीं जाना था। वापस आने में समय लग गया।’’

मेहुल ने कोई जबाब नहीं दिया और अंदर चला गया।

रोशन जी कई सालों से सेठ दीवानचंद जी के ड्राईवर थे। सभी उनसे बहुत इज्जत से बात करते थे। लेकिन मेहुल उनसे हमेशा बदतमीजी से बात करता था। रोशन जी को बुरा लगता था। लेकिन बच्चा है इसलिये वो कभी उसकी शिकायत नहीं करते थे।

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आज सही समय पर रोशन जी मेहुल को लेने पहुंच गये। छुट्टी होते ही मेहुल बाहर आया। रोशन जी ने उसके कंधे से बैग उतारा और पानी की बोतल हाथ में लेकर गाड़ी में रखी। मेहुल गाड़ी में बैठा तो झल्ला गया।

‘‘आपको दिखाई नहीं देता गाड़ी कितनी गर्म हो रही है। एसी पहले से क्यों नहीं चलाया। मैं गर्मी में मरता रहूं। आज तो मैं आपकी शिकायत करके ही रहूंगा।’’

रोशन जी ने जबाब नहीं दिया। जल्दी से ऐसी चला दिया और घर की ओर चल दिये।

अगले दिन दीवानचंद जी घर पर ही थे। सुबह जब रोशन जी ड्यूटी पर पहुंचे थे आशा जी ने उन्हें अंदर बुलाया – ‘‘रोशन जी मेहुल कह रहा था कि परसों आप उसे देर से लेने पहुचे और कल उसे गर्म गाड़ी में बैठा दिया। आपसे काम नहीं होता तो बता दीजिये।’’

रोशन जी ने सर झुकाते हुए जाबाब दिया – ‘‘मालकिन परसों तो आप ही को लेकर गया था। आपको तो पता है वापस आने में देर हो गई आपको छोड़ कर तुरंत निकल गया था बाबा को लेने। कल मैं ऐसी चलाना भूल गया था। लेकिन बाबा के बैठते ही मैंने तुरंत ऐसी चला दिया था।’’

दीवानचंद सब सुन रहे थे। उन्होंने कहा – ‘‘कोई बात नहीं रोशन जी आप जाईये।’’

उनके जाने के बाद उन्होंने आशा जी से कहा – ‘‘रोशन जी मेरे पिताजी के समय से काम कर रहे हैं कभी लापरवाही नहीं की। लेकिन हम मेहुल को कुछ ज्यादा ही आराम दे रहे हैं। थोड़ी देर गर्मी में बैठ गया तो क्या हो गया। इतना ऐशो आराम उसके लिये घातक बन जायेगा।’’

‘‘आप तो रहने ही दो। एक ही तो बेटा है हमारा वो भी कष्ट पाये तो क्या फायदा इतना अमीर होने का।’’ यह कहकर आशा जी किचन में चली गईं।

हर नये दिन के साथ मेहुल की आदतें बिगड़ती जा रहीं थी। कभी वह खाना फेंक देता। कभी किसी भी नौकर को डाट देता। आशा जी हमेशा उसका पक्ष लेकर नौकरों को डांटती रहती थीं।

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एक दिन रोशन जी छुट्टी लेकर अपने गांव चले गये। उनकी माताजी बीमार थीं।

सुबह जब मेहुल स्कूल के लिये तैयार हुआ तो आशा जी ने कहा – ‘‘बेटा आज रोशन जी तो आये नहीं। तुम आज टैक्सी से स्कूल चले जाओ। मैं कैब बुक कर देती हूं।’’

मेहुल ने कहा – ‘‘मैं उस गंदी सी कार में नहीं बैठूंगा और ये ड्राईवर कहां मर गया। इसे नौकरी से निकाल दीजिये।’’

दीवानचंद जी ने डाटते हुए कहा – ‘‘क्या बकवास कर रहे हो तुम कुछ ज्यादा ही नखरे मारने लगे हो चुपचाप चले जाओ कैब से बहुत से बच्चे पैदल ही स्कूल जाते हैं। अगर कैब से नहीं जाना तो आभा तुम्हें स्कूल छोड़ आयेगी। पैदल चले जाओ और रोशन जी को ड्राईवर कभी मत कहना अंकल कहने की आदत डाल लो।’’

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मेहुल को बहुत गुस्सा आ रहा था। आभा बैग लेकर मेहुल के साथ चलने लगी। वह बड़बड़ा रहा था – ‘‘आने दो इस रोशन के बच्चे को इसकी वजह से मुझे इतनी गर्मी में पैदल स्कूल जाना पड़ रहा है। इसे तो सबक सिखा कर छोड़ूंगा।’’

अगले दिन जब स्कूल जाने का समय हुआ तो रोशन जी आ चुके थे। वे अच्छे से मेहुल को स्कूल ले गये। स्कूल पहुंच कर मेहुल ने कहा – ‘‘सुनो तुम यहीं खड़े रहना और गाड़ी के बाहर जब तक मेरी छृट्टी न हो गाड़ी यहीं खड़ी रहेगी और तुम बाहर गाड़ी में ऐसी चला कर मत बैठे रहना। तुम्हें भी तो पता लगे गर्मी क्या होती है।’’

रोशन जी बोले – ‘‘बाबा मैं छुट्टी से पहले गाड़ी लेकर आ जाउंगा।’’

मेहुल बोला – ‘‘नहीं चहीं खड़े रहो नहीं तो तुम्हें नौकरी से निकलवा दूंगा।’’

यह कहकर मेहुल अंदर चला गया। रोशन जी बाहर ही खड़े रहे। स्कूल के आस पास कोई जगह नहीं थी बैठने की गाड़ी के पास खड़े खड़े गर्मी से उनका बुरा हाल हो गया था।

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छुट्टी के समय जब मेहुल बाहर आया तो देखा न वहां रोशन जी थे न गाड़ी। उसे बहुत गुस्सा आया तभी सामने से आभा आती हुई दिखाई दी।

‘‘चलो बाबा हम ऑटो करके चलते हैं।’’

‘‘लेकिन यह रोशन कहां मर गया मैंने उससे कहा था यहीं खड़ा रह।’’

आभा बोली -‘‘वो तो यहीं खड़े थे लेकिन गर्मी से चक्कर खाकर गिर पड़े उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया है।’’

यह सुनकर मेहुल के पैरों तले जमीन खिसक गई।

वह घर पहुंचा तो देखा मम्मी पापा वहां नहीं है। मेहुल बैठ कर रोने लगा। कि उसे अब डाट पड़ेगी यह सब उसकी वजह से हुआ है।

कुछ देर बाद मेहुल के मम्मी पापा आ गये तो मेहुल ने पूछा – ‘‘अंकल कैसे हैं?’’

आशा जी ने कहा – ‘‘बेटा वो अब ठीक हैं। कह रहे थे बस तुम्हें छोड़ कर वापस आ रहे थे अचानक चक्कर आ गया।’’

मेहुल सोच रहा था आज उसे डाट पड़ेगी लेकिन रोशन जी ने उसकी शिकायत ही नहीं की।

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तभी मेहुल पापा के पास पहुंचा और बोला – ‘‘पापा मुझे माफ कर दीजिये। मैंने ही कल का बदला लेने के लिये रोशन अंकल से कहा कि जब तक छुट्टी न हो वे गाड़ी के बाहर खड़े रहें। तभी गर्मी से उनकी तबियत खराब हो गई।

पापा मुझे उनके पास ले चलिये मुझे उनसे माफी मांगनी है।’’

दीवानचंद जी ने बेटे को गोद में बिठाया और कहा – ‘‘कल वो आयेंगे तब माफी मांग लेना लेकिन वादा करो आगे से कभी किसी से गलत व्यवहार नहीं करोगे।’’

मेहुल ने वादा किया और अगले दिन रोशन जी से माफी भी मांगी अब वह किसी को परेशान नहीं करता अपना सारा काम खुद करता है।

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