घमंडी मोर | Panchatantra Stories in Hindi | पंचतन्त्र की कहानियाँ

Mor ki Kahani
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Panchatantra Stories in Hindi

एक जंगल में एक मोर रहता था। मोर को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था। एक दिन एक बंदर मोर के पास आया और उसने मोर से पूछा।

बंदर: मोर भाई कैसे हो काफी दिनों के बाद दिखाई दिये।

मोर ने घमंड में बंदर से कहा

मोर: खबरदार जो तूने मुझे अपना भाई कहा अपनी शक्ल देखी है तूने मैं कितना सुन्दर हूॅं और तू कितना बदसूरत है।

यह सुनकर बंदर ने कहा

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बंदर: तुझे अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड है लेकिन तू यह मत भूल हम सबको ईश्वर ने बनाया है मैं तो इसी नाते तुझे अपना भाई मान रहा था। एक दिन तू पछतायेगा अपनी सुंदरता का इतना घमंड नहीं करना चाहिये।

मोर: चुप रह मेरी सुंदरता को नजर मत लगा चल भाग यहां से।

बंदर चुपचाप वहां से चला जाता है।

इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं।

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एक दिन जंगल में दो शिकारी आते हैं। उनमें से एक कहता है

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पहला शिकारी: देख उस पेड़ पर बंदर बैठा है। चल इसे पकड़ लेते हैं और किसी मदारी को बेच देंगे अच्छे पैसे मिलेंगे।

दूसरा शिकारी: अरे वह देख दूसरे पेड़ पर मोर बैठा है जानता है इसके एक -एक पंख की कीमत कितनी है। इसे पकड़ कर इसके पंख बेच देंगे फिर मोर को मार कर इसका मांस पका कर खायेंगे।

मोर यह बात सुनकर कर रोने लगता है।

शिकारी बंदर को छोड़ कर मोर की तरफ लपकते हैं तभी बंदर उन दोंनो पर हमला कर देता है। वह पहले शिकारी के कान काट लेता है। वह किसी तरह जान छुड़ा कर वहां से भाग जाता है। उसके बाद वह दूसरे शिकारी के पैर में काट लेता है वह भी वहां से भाग जाता है। उनके जाने के बाद मोर बंदर के पास आता है।

मोर: बंदर भाई मुझे माफ कर दो मैंने घमंड में आपका अपमान किया। जिस सुंदरता पर में घमंड कर रहा था। वही आज मेरी मौत का कारण बनने वाली थी।

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बंदर: मोर भाई हम सब ईश्वर की संतान हैं हमें मिलजुल कर रहना चाहिये।

इसके बाद बंदर और मोर में पक्की दोस्ती हो जाती है।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी सुंदरता, धन दौलत, सेहत का कभी भी घमंड नहीं करना चाहिये।

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